नई दिल्ली : चीन का शेयर बाजार पिछले कुछ समय से सुर्खियों में है. विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालकर चीन में निवेश करने लगे. बाजार के विशेषज्ञों का मानना था कि क्योंकि चीन ने विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की है, इसलिए निवेशक चीनी बाजार को लेकर रूख करने लगे. हालांकि, निवेशकों का उत्साह अब ठंडा होता हुआ दिख रहा है.
लंबे समय के लिए भारत बेहतर
चीन का मुख्य सूचकांक शंघाई कंपोजिट 7 फीसदी से अधिक गिर चुका है. विदेशी निवेशक जो भारतीय शेयर बाजार से निकल रहे थे, वे अब भारत में ही टिके रहने पर विचार करने लगे हैं. वैसे, भारतीय बाजार अभी काफी वोलाटाइल है.
बिजनेस टुडे की एक खबर के मुताबिक मैक्वेरी ने अपनी एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. इसमें बताया गया है कि ट्रेडिंग के हिसाब से चीन का बाजार भारत की तुलना में बेहतर है, लेकिन किसी को लंबे समय तक निवेश करना है तो उनके लिए भारत बेस्ट मार्केट है.
इस रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि भारतीय शेयर मार्केट को तीन कारणों से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पहला कारण - जीडीपी में कमजोर वृद्धि, दूसरा कारण - हाई ईपीएस उम्मीदें और तीसरा कारण है - 23 के मल्टीपल पर बाजार का होना.
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इसके बावजूद मैक्वेरी को उम्मीद है कि भारतीय इक्विटी मार्केट 16-17 फीसदी की दर से रिटर्न दे सकता है, जबकि चीन का मार्केट 9 फीसदी तक ही रिटर्न दे सकता है. रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रिटेल निवेशक और घरेलू संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार को नई ऊर्जा दी है. पर, यदि चीन प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा कर देता है, तो तात्कालिक रूप से चीन को फायदा मिल सकता है.
आइए अब यह समझते हैं कि निवेशक चीनी बाजार में क्यों निवेश करने लगे थे
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक साल की बात करें, तो शंघाई कंपोजिट ने मात्र चार फीसदी का रिटर्न दिया है, जबकि उसी अवधि में भारत के निफ्टी50 ने करीब 27 फीसदी का रिटर्न दिया है. इस वजह से भारतीय बाजार काफी महंगा हो गया और चीन का बाजार सस्ता रहा. मार्केट सस्ता होने की वजह से निवेशकों को चीन में वैल्युएशन कंफर्ट मिला. इसका मतलब होता है कि वहां पर सस्ते में शेयर उपलब्ध होना.
वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा
चीनी राष्ट्रपति ने मार्केट की इस स्थिति का फायदा उठाया. उन्होंने दुनिया भर के निवेशकों को आकर्षित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा कर दी. उन्होंने अपने रियल स्टेट सेक्टर को मजबूत करने के लिए सबसे ज्यादा सहूलियतें दीं. चीन के इस कदम से निवेशकों को चीन में मौका दिखा और वे वहां पर निवेश करने लगे.
परिणाम ये हुआ कि एक महीने में ही शंघाई कंपोजिट 20 फीसदी तक बढ़ गया. इसके बाद तो आम निवेशकों में भी चीन को लेकर दीवानगी देखने को मिली. लोग वैसे फंड हाउस से संपर्क करने लगे, जो शंघाई कंपोजिट की लिस्टेड कंपनियों में निवेश कर रहे थे.
प्रोत्साहन पैकेज को लेकर चीन में संशय
चीन को लेकर जो उतावलापन था, उस समय ठंडा पड़ गया, जब चीन के वित्त मंत्री ने प्रोत्साहन पैकेज को लेकर कोई बड़ी घोषणा नहीं की. निवेशक उम्मीद कर रहे थे कि चीन 283 अरब डॉलर के विशेष पैकेज की घोषणा कर सकता है. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. चीन सरकार ने किसी भी आंकड़े का जिक्र नहीं किया. अब निवेशकों को लग रहा है कि चीन ने कहीं कोई चालबाजी तो नहीं की.
इसके साथ ही, आयात और निर्यात को लेकर चीन से जो आंकड़े आ रहे हैं, वो उत्साहवर्धक नहीं हैं. भारत, अमेरिका और यूरोपियन यूनियन ने चीन से आयात होने वाले सामानों पर ड्यूटी बढ़ा दी है. इसकी वजह से चीन का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर प्रभावित हुआ है. रियल एस्टेट पहले से सुस्त है. वहां पर बुजुर्गों की आबादी लगातार बढ़ रही है. वन फैमिली, वन चिल्ड्रेन की नीति अपनाने के कारण पहले से वहां पर युवाओं की आबादी घट रही है.
ट्रंप की घोषणा से चीन को लग सकता है झटका
दूसरी ओर अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा कर रखी है कि यदि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में वह विजयी होते हैं, तो वह चीन से आने वाले सामानों पर ड्यूटी बढ़ा देंगे और अमेरिकी हितों की रक्षा करेंगे. ट्रंप ने कहा कि वह 60 फीसदी तक आयात कर लगा सकते हैं. आर्थिक जानकार मानते हैं कि ट्रंप के इस कदम से चीन को सबसे बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंच सकता है. दरअसल, पूरी दुनिया में चीन सबसे सस्ता सामान बनाता है, और दूसरे देशों में उसे सस्ते भाव पर निर्यात कर देता है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऐसी स्थिति बनती है तो निश्चित तौर पर भारत का बाजार चीन से बेहतर होगा. एमएससीआई के इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में भारत का वेटेज बढ़ाया गया है. इस इंडेक्स में भारत दूसरे स्थान पर है. इस इंडेक्स में जितनी अधिक रैंकिंग होती है, दुनिया भर के निवेशक उस आधार पर निवेश करने के बारे में निर्णय लेते हैं.
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