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त्योहारी सीजन में बढ़ सकती है सोने की मांग, ज्वैलरी खरीदने के लिए लाइन लगा रहे हैं लोग!...क्या ये है निवेश का सही मौका? - Gold demand in India

Gold demand in India- त्योहारी सीजन के दौरान भारत में सोने की मांग बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि आयात शुल्क कम होने से कीमतें अधिक आकर्षक हो जाएंगी. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक भारत में इस साल 850 टन सोने की खपत होने का अनुमान है. इस साल देश में सोने की डिमांड बढ़ाने में सबसे बड़ा रोल ज्वेलरी का होगा. पढ़ें पूरी खबर...

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सोना (प्रतीकात्मक फोटो) (AFP)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 3, 2024, 2:29 PM IST

नई दिल्ली: भारत में इस साल सोने की खपत पिछले साल के मुकाबले बढ़ने का अनुमान वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने लगाया है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक बेहतर मानसून और सोने पर ड्यूटी में हुई कटौती से डिमांड के बढ़ने का अनुमान है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक भारत में इस साल 850 टन सोने की खपत होने का अनुमान है जबकि 2023 में 750 टन सोने की खपत हुई थी. पिछले साल के मुकाबले करीब 13 फीसदी से अधिक सोना खरीदा जा सकता है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार इस साल देश में सोने की डिमांड बढ़ाने में सबसे बड़ा रोल ज्वेलरी का होगा.

सोने की मांगों में बढ़ोतरी की उम्मीद
सोने के आयात शुल्क में हाल ही में 15 फीसदी से 6 फीसदी की कटौती से पूरे देश में सोने की खरीद में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने की संभावना है. खासकर आगामी त्यौहारी और शादी के मौसम के दौरान. सोने के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के साथ-साथ एक निवेश के रूप में इसकी भूमिका के कारण मांग में पर्याप्त बढ़ोतरी होने की उम्मीद है.

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि शादी के मौसम, दिवाली और अक्षय तृतीया के शुभ अवसरों के करीब आने पर पीली धातु का आकर्षण नई ऊंचाइयों पर पहुंच जाएगा.

त्यौहारों में सोने की मांग
भारत में जन्माष्टमी, दिवाली और अक्षय तृतीया जैसे त्यौहारों के दौरान सोने की खरीदारी पारंपरिक रूप से चरम पर होती है. अक्षय तृतीया सोने और चांदी की खरीदारी के लिए विशेष रूप से शुभ दिन है, जो समृद्धि और प्रचुरता का प्रतीक है, और देवी लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है. यह विश्वास कि इस दिन की गई खरीदारी समृद्धि और सौभाग्य लाती है, सोने और चांदी के उत्पादों की मांग में वृद्धि को बढ़ावा देती है.

सांस्कृतिक महत्व
भारतीय संस्कृति में सोने का महत्व इसके भौतिक मूल्य से कहीं अधिक है. भारतीय संस्कृति में सोने को अक्सर धन, समृद्धि और सौभाग्य से जोड़ा जाता है. कई हिंदू मानते हैं कि अक्षय तृतीया जैसे त्यौहारों के दौरान सोना खरीदने से आशीर्वाद और सौभाग्य मिलता है और बुराइयों से बचाव होता है.

उद्योग की तैयारियां और पेशकशें
आभूषण विक्रेता और सोने के खुदरा विक्रेता प्रत्याशित मांग में उछाल के लिए कमर कस रहे हैं. भारत में हाल ही में सोने पर शुल्क में कटौती ने मांग को बढ़ावा दिया है, जिसमें शादियों के मौसम के दौरान उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. सांस्कृतिक परंपराओं, धार्मिक प्रथाओं और शुभ निवेश की इच्छा के कारण खरीदारी में वृद्धि होती है.

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सोने की मांगों में बढ़ोतरी की उम्मीद
सोने के आयात शुल्क में हाल ही में 15 फीसदी से 6 फीसदी की कटौती से पूरे देश में सोने की खरीद में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने की संभावना है. खासकर आगामी त्यौहारी और शादी के मौसम के दौरान. सोने के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के साथ-साथ एक निवेश के रूप में इसकी भूमिका के कारण मांग में पर्याप्त बढ़ोतरी होने की उम्मीद है.

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि शादी के मौसम, दिवाली और अक्षय तृतीया के शुभ अवसरों के करीब आने पर पीली धातु का आकर्षण नई ऊंचाइयों पर पहुंच जाएगा.

त्यौहारों में सोने की मांग
भारत में जन्माष्टमी, दिवाली और अक्षय तृतीया जैसे त्यौहारों के दौरान सोने की खरीदारी पारंपरिक रूप से चरम पर होती है. अक्षय तृतीया सोने और चांदी की खरीदारी के लिए विशेष रूप से शुभ दिन है, जो समृद्धि और प्रचुरता का प्रतीक है, और देवी लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है. यह विश्वास कि इस दिन की गई खरीदारी समृद्धि और सौभाग्य लाती है, सोने और चांदी के उत्पादों की मांग में वृद्धि को बढ़ावा देती है.

सांस्कृतिक महत्व
भारतीय संस्कृति में सोने का महत्व इसके भौतिक मूल्य से कहीं अधिक है. भारतीय संस्कृति में सोने को अक्सर धन, समृद्धि और सौभाग्य से जोड़ा जाता है. कई हिंदू मानते हैं कि अक्षय तृतीया जैसे त्यौहारों के दौरान सोना खरीदने से आशीर्वाद और सौभाग्य मिलता है और बुराइयों से बचाव होता है.

उद्योग की तैयारियां और पेशकशें
आभूषण विक्रेता और सोने के खुदरा विक्रेता प्रत्याशित मांग में उछाल के लिए कमर कस रहे हैं. भारत में हाल ही में सोने पर शुल्क में कटौती ने मांग को बढ़ावा दिया है, जिसमें शादियों के मौसम के दौरान उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. सांस्कृतिक परंपराओं, धार्मिक प्रथाओं और शुभ निवेश की इच्छा के कारण खरीदारी में वृद्धि होती है.

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