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सरकार के लिए सब्सिडी सबसे बड़ा चैलेंज, जानें केंद्रीय बजट में चौथे सबसे बड़े खर्च से कैसे निपटें? - Subsidy expenditure in Union budget

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 30, 2024, 3:27 PM IST

Subsidy expenditure in Union budget- सरकार जरूरतमंद और गरीब वर्गों की मदद करने के लिए हर साल बजट में सब्सिडी को शामिल करती है. ये सब्सिडी केंद्र सरकार का चौथा सबसे बड़ा खर्च है. ऐसे में केंद्रीय बजट में चौथे सबसे बड़े खर्च से निपटना भी एक तरह का चैलेंज है. जानें सरकार चौथे सबसे बड़े खर्च से कैसे निपटेगा? पढ़ें कृष्णानंद की रिपोर्ट...

Subsidy expenditure in Union budget
(प्रतीकात्मक फोटो) (Getty Image)

नई दिल्ली: समाज के जरूरतमंद और गरीब वर्गों को दी जाने वाली सब्सिडी या वित्तीय सहायता, ब्याज भुगतान, परिवहन और रक्षा खर्च के बाद केंद्र सरकार का चौथा सबसे बड़ा खर्च है. उदाहरण के लिए, अगर केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष में एक रुपया खर्च करने जा रही है, तो अकेले ब्याज भुगतान पर 20 पैसे, रक्षा पर 8 पैसे और सब्सिडी पर 6 पैसे खर्च होंगे.

इन तीनों क्षेत्रों में सबसे अधिक सब्सिडी
वित्त वर्ष 2022-23 से वित्त वर्ष 2024-25 (चालू वित्त वर्ष) तक की तीन साल की अवधि के लिए, तीन मदों- फूड, फ्यूल और फर्टिलाइजर- पर केंद्र का संचयी सब्सिडी बिल अकेले 13.26 लाख करोड़ रुपये है. किसी भी सरकार के लिए हर बजट में समाज के जरूरतमंद वर्गों के लिए वित्तीय सहायता के रूप में लगभग 4 लाख करोड़ रुपये से 5 लाख करोड़ रुपये अलग रखना एक चुनौती है.

बजट डॉक्यूमेंट के अनुसार, केंद्र सरकार ने 2022-23 में तीन आइटम्स में सब्सिडी देने के लिए 5.31 लाख करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष के संशोधित अनुमान में यह 4.13 लाख करोड़ रुपये और चालू वित्तीय वर्ष के बजट अनुमान में 3.81 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान लगाया गया है, जो गिरावट का रुझान दिखाता है.

फूड आइटम्स पर मिलने वाले सब्सिडी
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत 810 मिलियन से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने के लिए सब्सिडी बिल इन तीनों आइटम्स के समग्र सब्सिडी बिल का सबसे बड़ा हिस्सा है.

उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2022-23 में अकेले केंद्र का फूड सब्सिडी बिल 2.73 लाख करोड़ रुपये था. संशोधित अनुमान के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष के लिए यह 2.12 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है. बजट अनुमान के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष के लिए आवंटन 2.05 लाख करोड़ रुपये से अधिक है.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, केंद्र ने पहले 28 महीनों के दौरान 3.42 लाख करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप के मद्देनजर शुरू की गई योजना के पहले से चौथे चरण को शामिल किया गया.

फर्टिलाइजर पर सब्सिडी
फूड सब्सिडी के बाद, फर्टिलाइजर पर सब्सिडी आती है, जो कुल सब्सिडी बिल का 43-46 फीसदी है. वित्त वर्ष 2022-23 में केंद्र का फर्टिलाइजर सब्सिडी बिल 2.51 लाख करोड़ रुपये से अधिक था. पिछले वित्तीय वर्ष के लिए संशोधित अनुमानों के अनुसार यह 1.99 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है. चालू वित्त वर्ष के लिए बजट आवंटन 1.64 लाख करोड़ रुपये है.

पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर सब्सिडी
हालांकि, पेट्रोलियम प्रोडक्ट के लिए सब्सिडी बिल फूड और उर्वरक फर्टिलाइजर बिलों की तुलना में बहुत कम है. पिछले कुछ सालों में, दो सबसे बड़ी वस्तुओं - पेट्रोल और डीजल के लिए बाजार मूल्य वसूलने के सरकार के फैसले के कारण यह बहुत कम हो गया है.

वित्त वर्ष 2022-23 में पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर केंद्र का सब्सिडी बिल 6,800 करोड़ रुपये से अधिक था. संशोधित अनुमानों के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में 12,240 करोड़ रुपये था. चालू वित्त वर्ष के लिए 11,925 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है.

हालांकि तीन साल की अवधि में सब्सिडी बिल में गिरावट का रुख है. लेकिन हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में हिंदी पट्टी और पंजाब और हरियाणा जैसे कृषि प्रधान राज्यों में सत्तारूढ़ पार्टी की चुनावी असफलताओं ने सब्सिडी बिल को धीरे-धीरे कम करने की सरकार की सोच को बदल दिया है.

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इन तीनों क्षेत्रों में सबसे अधिक सब्सिडी
वित्त वर्ष 2022-23 से वित्त वर्ष 2024-25 (चालू वित्त वर्ष) तक की तीन साल की अवधि के लिए, तीन मदों- फूड, फ्यूल और फर्टिलाइजर- पर केंद्र का संचयी सब्सिडी बिल अकेले 13.26 लाख करोड़ रुपये है. किसी भी सरकार के लिए हर बजट में समाज के जरूरतमंद वर्गों के लिए वित्तीय सहायता के रूप में लगभग 4 लाख करोड़ रुपये से 5 लाख करोड़ रुपये अलग रखना एक चुनौती है.

बजट डॉक्यूमेंट के अनुसार, केंद्र सरकार ने 2022-23 में तीन आइटम्स में सब्सिडी देने के लिए 5.31 लाख करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष के संशोधित अनुमान में यह 4.13 लाख करोड़ रुपये और चालू वित्तीय वर्ष के बजट अनुमान में 3.81 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान लगाया गया है, जो गिरावट का रुझान दिखाता है.

फूड आइटम्स पर मिलने वाले सब्सिडी
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत 810 मिलियन से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने के लिए सब्सिडी बिल इन तीनों आइटम्स के समग्र सब्सिडी बिल का सबसे बड़ा हिस्सा है.

उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2022-23 में अकेले केंद्र का फूड सब्सिडी बिल 2.73 लाख करोड़ रुपये था. संशोधित अनुमान के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष के लिए यह 2.12 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है. बजट अनुमान के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष के लिए आवंटन 2.05 लाख करोड़ रुपये से अधिक है.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, केंद्र ने पहले 28 महीनों के दौरान 3.42 लाख करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप के मद्देनजर शुरू की गई योजना के पहले से चौथे चरण को शामिल किया गया.

फर्टिलाइजर पर सब्सिडी
फूड सब्सिडी के बाद, फर्टिलाइजर पर सब्सिडी आती है, जो कुल सब्सिडी बिल का 43-46 फीसदी है. वित्त वर्ष 2022-23 में केंद्र का फर्टिलाइजर सब्सिडी बिल 2.51 लाख करोड़ रुपये से अधिक था. पिछले वित्तीय वर्ष के लिए संशोधित अनुमानों के अनुसार यह 1.99 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है. चालू वित्त वर्ष के लिए बजट आवंटन 1.64 लाख करोड़ रुपये है.

पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर सब्सिडी
हालांकि, पेट्रोलियम प्रोडक्ट के लिए सब्सिडी बिल फूड और उर्वरक फर्टिलाइजर बिलों की तुलना में बहुत कम है. पिछले कुछ सालों में, दो सबसे बड़ी वस्तुओं - पेट्रोल और डीजल के लिए बाजार मूल्य वसूलने के सरकार के फैसले के कारण यह बहुत कम हो गया है.

वित्त वर्ष 2022-23 में पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर केंद्र का सब्सिडी बिल 6,800 करोड़ रुपये से अधिक था. संशोधित अनुमानों के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में 12,240 करोड़ रुपये था. चालू वित्त वर्ष के लिए 11,925 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है.

हालांकि तीन साल की अवधि में सब्सिडी बिल में गिरावट का रुख है. लेकिन हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में हिंदी पट्टी और पंजाब और हरियाणा जैसे कृषि प्रधान राज्यों में सत्तारूढ़ पार्टी की चुनावी असफलताओं ने सब्सिडी बिल को धीरे-धीरे कम करने की सरकार की सोच को बदल दिया है.

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