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मोदी 3.0 बनने से पहले महंगे लोन से राहत नहीं, होम लोन की EMI का बना रहेगा बोझ - RBI Monetary Policy June 2024

RBI Monetary Policy June 2024- आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली एमपीसी ने रेपो js' को 6.50 फीसदी पर रखने का फैसला किया है. इसका मतलब है कि रियल एस्टेट या होम लोन EMI पर तत्काल कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. पढ़ें पूरी खबर...

RBI Governor Shaktikanta Das-
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (फाइल फोटो) (IANS Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 7, 2024, 11:05 AM IST

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी जून मौद्रिक नीति में लगातार आठवी बार रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है. नतीजतन, रियल एस्टेट या होम लोन EMI पर तत्काल कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. रेपो रेट अपरिवर्तित रहने के कारण, बैंकों द्वारा अपनी उधार दरों में जल्द ही बदलाव करने की संभावना नहीं है, जिसका मतलब है कि आपकी EMI अभी वही रहेगी. RBI, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित रेपो दर, भारत में होम लोन की ब्याज दरों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

ब्याज दर में उतार-चढ़ाव रियल एस्टेट की मांग को प्रभावित करता है. कम ब्याज दरें आम तौर पर उधार को अधिक किफायती बनाकर मांग को बढ़ाती हैं, जिससे संपत्ति की कीमतें बढ़ सकती हैं. इसका उलटा, उच्च ब्याज दरें मांग को कम कर सकती हैं और परिणामस्वरूप संपत्ति की कीमतें कम हो सकती हैं.

EMI में कोई बदलाव क्यों नहीं हुआ?
RBI ब्याज दरों पर यथास्थिति बनाए रखा क्योंकि महंगाई चिंता का विषय बनी हुई है. हालांकि यूरोपीय सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ कनाडा ने अपनी संबंधित प्रमुख दरों को कम करना शुरू कर दिया है. एसबीआई के एक रिसर्च पेपर के अनुसार, केंद्रीय बैंक को समायोजन वापस लेने के मौजूदा रुख को जारी रखने की आवश्यकता है.

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ब्याज दर में उतार-चढ़ाव रियल एस्टेट की मांग को प्रभावित करता है. कम ब्याज दरें आम तौर पर उधार को अधिक किफायती बनाकर मांग को बढ़ाती हैं, जिससे संपत्ति की कीमतें बढ़ सकती हैं. इसका उलटा, उच्च ब्याज दरें मांग को कम कर सकती हैं और परिणामस्वरूप संपत्ति की कीमतें कम हो सकती हैं.

EMI में कोई बदलाव क्यों नहीं हुआ?
RBI ब्याज दरों पर यथास्थिति बनाए रखा क्योंकि महंगाई चिंता का विषय बनी हुई है. हालांकि यूरोपीय सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ कनाडा ने अपनी संबंधित प्रमुख दरों को कम करना शुरू कर दिया है. एसबीआई के एक रिसर्च पेपर के अनुसार, केंद्रीय बैंक को समायोजन वापस लेने के मौजूदा रुख को जारी रखने की आवश्यकता है.

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