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एक्सपोर्ट में भारत ने लगाई छलांग, टॉप पर ये देश, इम्पोर्ट में चीन और रूस ने मारी बाजी - Export import data

Export import data- वित्त वर्ष अप्रैल-जून तिमाही में आकर्षक पश्चिमी बाजारों में भारत के निर्यात मेंदोहरे अंकों की मजबूत बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो इकोनॉमी की प्रतिस्पर्धी ताकत को दिखाता है. पढ़ें पूरी खबर...

Export import data
प्रतीकात्मक फोटो) (Canva)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 22, 2024, 11:10 AM IST

नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में प्रमुख पश्चिमी बाजारों में भारत के एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी देखी गई है, जो देश की आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता को दिखाती है. वाणिज्य विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-जून तिमाही के दौरान भारत के टॉप-10 एक्सपोर्ट (देश के अनुसार) 16.5 फीसदी की तेजी से बढ़ा. जबकि देश के समग्र व्यापारिक निर्यात में 5.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.

चीन को छोड़कर, जिसके एक्सपोर्ट में 2.8 फीसदी की गिरावट देखी गई. टॉप-10 देशों में से नौ - संयुक्त राज्य अमेरिका (10.4 फीसदी), संयुक्त अरब अमीरात (17.6 फीसदी), नीदरलैंड (41.3 फीसदी), यूनाइटेड किंगडम (21.9 फीसदी), सिंगापुर (26.55 फीसदी), सऊदी अरब (4.9 फीसदी), बांग्लादेश (10.5 फीसदी), जर्मनी (3.4 फीसदी) और मलेशिया (81.8 फीसदी) ने सकारात्मक बढ़ोतरी देखी गई.

इन टॉप-10 देशों में इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के दौरान भारत से एक्सपोर्ट किए गए कुल माल का 52 फीसदी शामिल था.

अमेरिका ने बनाई टॉप पर जगह
संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार बना रहा, उसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और नीदरलैंड का स्थान रहा. वित्तीय वर्ष 2023-24 में 3 फीसदी दबाव देखने के बाद, भारत से आउटबाउंड शिपमेंट में चालू वित्त वर्ष के लगातार तीन महीनों में सकारात्मक बढ़ोतरी देखी गई. हालांकि, बढ़ोतरी समान नहीं थी. साल की शुरुआत अप्रैल में 2 फीसदी निर्यात वृद्धि के साथ हुई, जिसके बाद मई में 13 फीसदी की मजबूत बढ़ोतरी हुई. इसके बाद जून के दौरान बढ़ोतरी दर धीमी होकर 2.5 फीसदी रह गई. क्योंकि निर्यातकों को कमजोर मांग और लॉजिस्टिक्स संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ा.

इम्पोर्ट
भारत के टॉप-10 इम्पोर्ट साझेदारों में से - सिंगापुर, सऊदी अरब और स्विटजरलैंड को छोड़कर बचे देशों से आने वाले शिपमेंट में वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के दौरान बढ़ोतरी देखी गई, जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है. भारत के व्यापारिक आयात में शीर्ष-10 देशों की हिस्सेदारी 62 फीसदी से अधिक है.

इन टॉप-10 देशों से आयात वृद्धि 7.6 फीसदी की कुल आवक शिपमेंट बढ़ोतरी की तुलना में 12 फीसदी बढ़ी. यह इलेक्ट्रॉनिक सामान, पेट्रोलियम उत्पाद, नॉन फेरस मेटलऔर मशीनरी जैसी वस्तुओं के कारण हुआ.

अमेरिका (5.4 फीसदी), यूएई (35.7 फीसदी), इराक (27.6 फीसदी), इंडोनेशिया (17.9 फीसदी), दक्षिण कोरिया (7.2 फीसदी), रूस (19.7 फीसदी) और चीन (8.3 फीसदी) के मामले में आवक शिपमेंट में बढ़ोतरी देखी गई.

जून में समाप्त तिमाही के दौरान रूस से आयात लगभग पांचवें हिस्से से बढ़कर 18.36 बिलियन डॉलर हो गया. इसका मुख्य कारण भारत की कच्चे तेल पर निर्भरता है.

चीन के बाद रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा आयात भागीदार बना हुआ है.

स्विट्जरलैंड से आयात, जो मुख्य रूप से सोने पर आधारित है, 10.5 फीसदी घटकर 4.56 बिलियन डॉलर रह गया.

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नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में प्रमुख पश्चिमी बाजारों में भारत के एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी देखी गई है, जो देश की आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता को दिखाती है. वाणिज्य विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-जून तिमाही के दौरान भारत के टॉप-10 एक्सपोर्ट (देश के अनुसार) 16.5 फीसदी की तेजी से बढ़ा. जबकि देश के समग्र व्यापारिक निर्यात में 5.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.

चीन को छोड़कर, जिसके एक्सपोर्ट में 2.8 फीसदी की गिरावट देखी गई. टॉप-10 देशों में से नौ - संयुक्त राज्य अमेरिका (10.4 फीसदी), संयुक्त अरब अमीरात (17.6 फीसदी), नीदरलैंड (41.3 फीसदी), यूनाइटेड किंगडम (21.9 फीसदी), सिंगापुर (26.55 फीसदी), सऊदी अरब (4.9 फीसदी), बांग्लादेश (10.5 फीसदी), जर्मनी (3.4 फीसदी) और मलेशिया (81.8 फीसदी) ने सकारात्मक बढ़ोतरी देखी गई.

इन टॉप-10 देशों में इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के दौरान भारत से एक्सपोर्ट किए गए कुल माल का 52 फीसदी शामिल था.

अमेरिका ने बनाई टॉप पर जगह
संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार बना रहा, उसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और नीदरलैंड का स्थान रहा. वित्तीय वर्ष 2023-24 में 3 फीसदी दबाव देखने के बाद, भारत से आउटबाउंड शिपमेंट में चालू वित्त वर्ष के लगातार तीन महीनों में सकारात्मक बढ़ोतरी देखी गई. हालांकि, बढ़ोतरी समान नहीं थी. साल की शुरुआत अप्रैल में 2 फीसदी निर्यात वृद्धि के साथ हुई, जिसके बाद मई में 13 फीसदी की मजबूत बढ़ोतरी हुई. इसके बाद जून के दौरान बढ़ोतरी दर धीमी होकर 2.5 फीसदी रह गई. क्योंकि निर्यातकों को कमजोर मांग और लॉजिस्टिक्स संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ा.

इम्पोर्ट
भारत के टॉप-10 इम्पोर्ट साझेदारों में से - सिंगापुर, सऊदी अरब और स्विटजरलैंड को छोड़कर बचे देशों से आने वाले शिपमेंट में वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के दौरान बढ़ोतरी देखी गई, जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है. भारत के व्यापारिक आयात में शीर्ष-10 देशों की हिस्सेदारी 62 फीसदी से अधिक है.

इन टॉप-10 देशों से आयात वृद्धि 7.6 फीसदी की कुल आवक शिपमेंट बढ़ोतरी की तुलना में 12 फीसदी बढ़ी. यह इलेक्ट्रॉनिक सामान, पेट्रोलियम उत्पाद, नॉन फेरस मेटलऔर मशीनरी जैसी वस्तुओं के कारण हुआ.

अमेरिका (5.4 फीसदी), यूएई (35.7 फीसदी), इराक (27.6 फीसदी), इंडोनेशिया (17.9 फीसदी), दक्षिण कोरिया (7.2 फीसदी), रूस (19.7 फीसदी) और चीन (8.3 फीसदी) के मामले में आवक शिपमेंट में बढ़ोतरी देखी गई.

जून में समाप्त तिमाही के दौरान रूस से आयात लगभग पांचवें हिस्से से बढ़कर 18.36 बिलियन डॉलर हो गया. इसका मुख्य कारण भारत की कच्चे तेल पर निर्भरता है.

चीन के बाद रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा आयात भागीदार बना हुआ है.

स्विट्जरलैंड से आयात, जो मुख्य रूप से सोने पर आधारित है, 10.5 फीसदी घटकर 4.56 बिलियन डॉलर रह गया.

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