नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इलेक्शन कमीशन ने इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा जारी कर दिया है. डेटा तब जारी किया गया जब सुप्रीम कोर्ट ने इस सप्ताह की शुरुआत में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से 2019 के बाद से गुमनाम चुनावी बांड खरीदने वालों और भुनाने वालों के सभी विवरण प्रस्तुत करने को कहा था. इसने चुनाव आयोग से भी कहा था 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर डेटा प्रकाशित करें. इस डेटा के मुताबिक आइये जानते हैं उन टॉप 10 कंपनियों को, जिन्होंने राजनीतिक दलों को सबसे अधिक चंदा दिया है.
टॉप 10 कंपनियां की लिस्ट पर डालें एक नजर
फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज पीआर 1,368 करोड़ रुपये के साथ चुनावी बॉन्ड के टॉप खरीदार के रूप में उभरा है, मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड 966 करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर है.
- फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज पीआर- 1,368 करोड़ रुपये
- मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड- 966 करोड़ रुपये
- क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड- 410 करोड़ रुपये
- वेदांता लिमिटेड- 398 करोड़ रुपये
- हल्दिया एनर्जी लिमिटेड- 377 करोड़ रुपये
- भारती समूह (इसमें शामिल हैं- भारती एयरटेल लिमिटेड, भारती एयरटेल करंट एसी जीसीओ, भारती इंफ्राटेल, भारती टेलीमीडिया)- 246 करोड़ रुपये
- एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड- 224.5 करोड़ रुपये
- वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड- 220 करोड़ रुपये
- केवेंटर फूडपार्क इंफ्रा लिमिटेड- 195 करोड़ रुपये
- मदनलाल लिमिटेड- 185 करोड़ रुपये
इन टॉप 10 के अलावा ये भारत की जानी-मानी कंपनियां, जिन्होंने बॉन्ड खरीदा है.
- अपोलो टायर्स
- बजाज ऑटो
- बजाज फाइनेंस
- सिप्ला लिमिटेड
- डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स लिमिटेड
- डॉ रेड्डीज लेबोरेटरीज लिमिटेड
- एडलवाइज
- फिनोलेक्स केबल्स
- फोर्स मोटर्स
- ग्रासिम इंडस्ट्रीज
- आईनॉक्स एयर प्रोडक्ट
- इंटरग्लोब रियल एस्टेट
- जेके सीमेंट
- लक्ष्मी मित्तल
- मुथूट फाइनेंस
- Keventer
- पीवीआर
- रेडिको खेतान
- सुला वाइनयार्ड्स
- सन फार्मा
- टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स
- वेलस्पन एंटरप्राइजेज
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन करते हुए चुनावी बॉन्ड पर डेटा जारी किया है. भारतीय स्टेट बैंक ने 12 मार्च को पोल पैनल के साथ डेटा साझा किया था. पोल पैनल ने 'एसबीआई द्वारा प्रस्तुत चुनावी बाॉन्ड के डिस्क्लोजर' पर विवरण दो भागों में प्रकाशित किया है. पहले भाग में राजनीतिक दलों की सूची के साथ-साथ उन्हें प्राप्त राशि भी शामिल है. दूसरे में उन सभी कंपनियों के नाम हैं जिन्होंने बांड खरीदे हैं. हालांकि, डेटा डोनर और रेसिपेंट के बीच कोई संबंध नहीं दिखाता है.