नई दिल्ली: बिच्छू एक खतरनाक जानवर है, जिन्हें आम तौर पर कीट माना जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है. वास्तव में, कीड़े उनके प्रमुख मुख्य आहारों में से एक हैं. वे लाखों वर्षों से पृथ्वी पर हैं. बिच्छू की लगभग 1700 जीवित प्रजातियां हैं और उनमें से केवल 1.47 फीसदी ही जहरीली हैं. वे कीड़े खाकर फूड चेन साइकल में प्रमुख भूमिका निभाते हैं.
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दुनिया का सबसे महंगा लिक्विड
डेथस्टॉकर बिच्छू के जहर की कीमत 39 मिलियन डॉलर प्रति गैलन है, जो इसे पृथ्वी पर सबसे महंगा लिक्विड बनाता है. एक गैलन भरने के लिए एक बिच्छू को 2.64 मिलियन बार दूध पिलाने की आवश्यकता होती है. ट्यूमर की पहचान करने से लेकर मलेरिया के इलाज तक, बिच्छू के जहर का कई तरह के चिकित्सीय अनुप्रयोग हैं. हालांकि, एक बिच्छू एक बार में दो मिलीग्राम जहर पैदा करता है. अगर आप एक बिच्छू का मालिक बनना चाहते हैं, तो आपको 1 गैलन जहर पाने के लिए उन्हें 2.64 मिलियन बार दूध देना होगा. (1 गैलन में 3.78541 लीटर होता है)
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काला बिच्छू (हेटेरोमेट्रस लॉन्गिमैनस, स्कॉर्पियोनिडे परिवार का), या एशियाई वन बिच्छू, ट्रॉपिकल एशियाई क्षेत्रों का निवासी है. काले बिच्छू आमतौर पर लकड़ियों और अन्य मलबे के नीचे रहते हैं. काले बिच्छू अन्य बिच्छुओं की तुलना में बड़े होते हैं (आमतौर पर इन्हें विशालकाय माना जाता है). ब्लैक एम्परर बिच्छू, गिनी में पाई जाने वाली एक अफ्रीकी प्रजाति है, जिसके शरीर की लंबाई लगभग 18 सेमी और वजन 60 ग्राम होता है. लेकिन इनकी डिमांड दुनियाभर में काफी ज्यादा है.
इंटरनेशनल मार्केट में कीमत
वैसें को बिच्छू एक बार डंक मार दे तो इलाज नहीं मिलने पर इंसान की जान जा सकती है. वहीं इसके जहर की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी अधिक है. बिच्छूओं के जहर से करोड़ों रुपये का फायदा होता है. आपको बता दें कि इंटरनेशनल मार्केट में बिच्छू के 1 लीटर जहर की कीमत 85 करोड़ रुपये है. इसका जहर कैंसर जैसी कई जानलेवा बीमारियों में यूज होता है.
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बिच्छू अपने जहर का यूज शिकारियों से बचाव के लिए और शिकार को मारने के लिए करते हैं, लेकिन बिच्छू की केवल 25 प्रजातियों में ही जहर होता है जो मनुष्यों के लिए घातक हो सकता है. हालांकि, बिच्छू के जहर में पाए जाने वाले प्रोटीन का उपयोग उन मनुष्यों में दर्द के इलाज के लिए किया जा सकता है जो मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस), सूजन आंत्र रोग और संधिशोथ से पीड़ित हैं.
काले बिच्छुओं की तस्करी
विभिन्न प्रयोजनों के लिए काले बिच्छुओं की बाजार में बहुत मांग है और इसके लिए इनकी खूब तस्करी की जाती है. इनकी कीमत औसतन सैकड़ों डॉलर हो सकती है. विभिन्न क्षेत्रों में इनकी काफी मांग है, लेकिन ज्यादातर मेडिकल रिसर्च के लिए यूज किया जाता है. इसके जहर का यूज कैंसर रोधी दवाओं के लिए कंपाउंड डेवलप करने के लिए किया जाता है.
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वहीं, आपको बता दें कि चीन जैसे कुछ देशों में, वे लोकप्रिय स्ट्रीट-फूड स्नैक्स हैं. चूंकि ये एशियाई क्षेत्रों में पाए जाते हैं, इसलिए अफगानिस्तान, पाकिस्तान आदि देशों में इनकी अत्यधिक तस्करी की जाती है. इसके कारण कई प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं और कुछ विलुप्त होने के कगार पर हैं. इनके जहर की अमेरिका और यूरोप में भी काफी मांग है.
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वॉल स्ट्रीट जर्नल में के एक रिपोर्ट के मुताबिक बिच्छुओं की जहर 39 मिलियन डॉलर प्रति गैलन के हिसाब से बिकता है.
क्यों इतना महंगा है जहर?
हर अपनी जटिल संरचना और संभावित मेडिकल रिसर्च के कारण महंगा होता है. आपको बता दें कि बिच्छू के जहर में प्रोटीन और पेप्टाइड्स का मिश्रण होता है जिसने चिकित्सा अनुसंधान में, विशेष रूप से कैंसर और ऑटोइम्यून बीमारियों जैसी स्थितियों के लिए नई दवाओं के विकास में मदद करता है. बिच्छू के जहर को निकालने और प्यूरिफाई करने की प्रक्रिया भी चुनौतीपूर्ण है, जिसके लिए विशेष उपकरण और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है. इसके अतिरिक्त, कुछ बिच्छू प्रजातियों की सीमित उपलब्धता उनके जहर की उच्च लागत में योगदान करती है.