नई दिल्ली: चीन ने अपने कार निर्माताओं को यह सुनिश्चित करने की सख्त सलाह दी है कि इलेक्ट्रिक वाहन तकनीक देश में ही रहे. जबकि वे चीनी निर्यात पर पेनल्टी चार्ज से बचने के लिए दुनिया भर में कारखाने बना रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीजिंग चीनी वाहन निर्माताओं को अपने विदेशी प्लांट में तथाकथित नॉक-डाउन किट निर्यात करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. इसका मतलब है कि वाहन के प्रमुख भागों का घरेलू स्तर पर उत्पादन किया जाएगा और फिर उन्हें डेस्टिनेशन बाजार में अंतिम असेंबली के लिए भेजा जाएगा.
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने जुलाई में एक दर्जन से अधिक वाहन निर्माताओं के साथ बैठक की थी, जिन्हें यह भी कहा गया था कि उन्हें भारत में कोई भी ऑटो-संबंधित निवेश नहीं करना चाहिए.
इसके अलावा, तुर्की में निवेश करने के इच्छुक कार निर्माताओं को पहले उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, जो चीन के ईवी उद्योग की देखरेख करता है, और तुर्की में स्थानीय चीनी दूतावास को सूचित करना चाहिए.
ये निर्देश ऐसे समय में आए हैं जब बीवाईडी कंपनी से लेकर चेरी ऑटोमोबाइल कंपनी तक की कंपनियां स्पेन से लेकर थाईलैंड और हंगरी तक में कारखाने स्थापित करने की योजना बना रही हैं. क्योंकि उनके नवोन्मेषी और किफायती ईवी वाहन विदेशी बाजारों में अपनी पैठ बना रहे हैं.
चीन का यह निर्देश ऐसे समय में आया है जब अधिकांश प्रमुख चीनी कार निर्माता चीन में निर्मित इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैरिफ से बचने के लिए विनिर्माण को स्थानीय बनाना चाह रहे हैं. MOFCOM के दिशा-निर्देश जो मांग करते हैं कि प्रमुख उत्पादन चीन के भीतर ही रहना चाहिए. वे वैश्विकीकरण के लिए ऑटोमेकर्स के प्रयासों को नुकसान पहुंचा सकते हैं क्योंकि वे नए ग्राहकों की तलाश कर रहे हैं ताकि वे भयंकर प्रतिस्पर्धा और घरेलू स्तर पर सुस्त बिक्री को संतुलित कर सकें जो उनके मुनाफे को कम कर रही है.