छिंदवाड़ा: सबसे महंगा ड्राई फ्रूट्स होने के बाद भी उसकी उपज करने वाले ग्रामीणों को सही दाम नहीं मिल पाते हैं, जिसके कारण ओने पौने दामों में बेचकर किसी तरीके से जीवन यापन करते हैं. महंगे ड्राई फ्रूट्स का सही दाम मिल सके इसलिए अब मध्य प्रदेश सरकार इसके एक्सपोर्ट की योजना बना रही है और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां से चर्चा कर रही है ताकि इसका सही भाव मिल सके.
सूखे मेवे की जंगल में उपज, बाजार में बिकता है सबसे महंगा
अमरवाड़ा चिरौंजी उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. चिरौंजी एक तरह की वनोपज है, जिसे चार चिरौंजी या चारोली के नाम से भी जाना जाता है और इसका उपयोग सूखे मेवों की तरह किया जाता है. अमरवाड़ा, हर्रई के वन क्षेत्र में इसके वृक्ष अधिक पाए जाते हैं, यहां के ग्रामीण इनको इकट्ठा करते हैं और यहां के व्यापारी इसे खरीद कर लोकल बाजार में बेच देते हैं. इससे काफी मंहगे बिकने वाले इस मेवे के सही दाम यहां के ग्रामीणों और व्यापारियों को नहीं मिल पाते हैं. इसके चलते मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर अमरवाड़ा क्षेत्र के ग्रामीणों और व्यापारियों को लाभ दिलाने और इंडस्ट्री लगाने के लिए कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने एसडीएम कार्यालय अमरवाड़ा में चिरौंजी व्यापारियों की बैठक ली.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाएगा चिरौंजी एक्सपोर्ट
कलेक्टर ने व्यापारियों से चर्चा कर उन्हें चिरौंजी को ग्रेडिंग कर अच्छी पैकेजिंग के साथ एक्सपोर्ट करने और साथ ही डी मार्ट, रिलायंस फ्रेश जैसी कंपनियों को सीधे बेचने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि, बड़ा सोचें और बड़ा करें. व्यापारियों ने भी उत्साहित होकर एक्सपोर्ट के करने की बात की. व्यापारियों की इच्छा को देखते हुए चिरौंजी के एक्सपोर्ट के लिए कलेक्टर ने महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र वरकड़े को डी.जी.एफ.टी. (डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड) के साथ इन सभी व्यापारियों की बैठक आगामी एक सप्ताह के अंदर कराने के निर्देश दिए हैं. जिससे एक्सपोर्ट की प्रक्रिया और दस्तावेजों की जानकारी व्यापारियों को मिल सके. साथ ही चिरौंजी की ग्रेडिंग और अच्छी पैकेजिंग स्थानीय स्तर पर ही की जा सके, इसके लिए व्यापारियों को ग्रेडिंग व पैकेजिंग की इंडस्ट्री लगाने के लिए भी कहा गया. बैठक में इंडस्ट्री के लिए अमरवाड़ा में एक अलग इंडस्ट्रियल एरिया विकसित करने के संबंध में भी चर्चा एवं विचार विमर्श किया गया. साथ ही व्यापारियों से चिरौंजी के व्यापार को और अधिक सरल बनाने के संबंध में कई सुझाव भी लिए गए.
जंगल की दुनिया का पॉकेट साइज पॉवर हाउस
वनस्पति शास्त्र विशेषज्ञ डॉक्टर विकास शर्मा ने बताया कि, ''ऐसा नही है कि यह सिर्फ फल और मेवे के रूप में पसंद किया जाता है, बल्कि इसकी गिरी से निकला तेल बहुत ही औषधीय महत्व का होता है. इससे उच्च गुणवत्ता वाली कॉस्मेटिक क्रीम बनाई जाती है. इसका तेल गर्म स्वभाव का होता है व बहुत अच्छी कफ निवारक औषधि है. इसके तेल या बीजों के गूदे को हल्दी और दूध के साथ चेहरे और लेपन करने से चेहरे में निखार आता है, व झाइयाँ तथा दाग धब्बे दूर हो जाते हैं.
सेहत का खजाना चिरौंजी
पौधे की गोंद एक बढ़िया दर्द निवारक औषधि है जो गर्मियों में होने वाले तलवों व पिंडलियों के दर्द को दूर करती है. इसे सुबह सुबह बकरी के दूध में घिसकर चटाया जाता है. इसके पेड़ छोटे या सामान्य आकार के होते हैं, जिनका जीवनकाल कुछ वर्षों का होता है. इसकी लकड़ी काफी कमजोर होती है जो फलों के भार से ही अक्सर टूट जाया करती है. सुबह सुबह गाय के दूध में डालकर इसकी गिरी का सेवन करने से याददाश्त में वृद्धि होती है. इसके बीज की गिरी में प्राकृतिक शर्करा, विटामिन्स और महत्वपूर्ण द्वितीयक उत्पाद पाये जाते हैं. जिसके कारण इसमें ज्वरनाशक व एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. कई तरह के सूक्ष्म एवं वृहद पोषक तत्व जैसे आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सल्फर, आदि भी इसमें अच्छी खासी मात्रा में पाए जाते हैं. कुल मिलाकर इसे अगर जंगलों की दुनिया का पॉकेट साइज पावर हाउस कहें तो भी कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी.