Bank Cash Withdrawal Limit: आज के इस डिजिटल पेमेंट के जमाने में लोगों को कभी न कभी नकद रुपयों यानि कैश की आवश्यकता पड़ जाती है. भारत में लगातार लोग यूपीआई के जरिए ट्रांजैक्शन कर रहे हैं. इसके बाद भी अभी भी एक बड़ा तबका ऐसा है जो कैश के इस्तेमाल को ही ज्यादा महत्व देता है. अगर आपको लगातार किसी भी बैंक से नकद रुपए निकालने की आदत है तो अब आपको सतर्क होने की जरूरत है. क्योंकि पहले आप फ्री में अपने बैंक अकाउंट से रुपए निकाल लेते थे. अभी तक आपको केवल एटीएम से रुपए निकालने पर ही ट्रांजैक्शन चार्ज देने पड़ते थे, लेकिन अब बैंक खाता से रुपए निकालने पर भी ट्रांजैक्शन चार्ज देने पड़ सकते हैं. ये ट्रांजैक्शन लिमिट नाम की जो चीज है यह सिर्फ एटीएम पर लागू नहीं होती, बल्कि यह आपके द्वारा पासबुक से रुपए निकालने पर भी लागू होती है.
बैंक अकाउंट से नकद निकासी के नियम
आज के इस डिजिटल जमाने में अमूमन हर व्यक्ति के पास किसी न किसी बैंक में अकाउंट है. आमतौर पर हर व्यक्ति का बचत खाता यानि सेविंग अकाउंट जरूर होता है, इस खाते को लेकर कई नियम भी होते हैं, जिनके बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी होती है. इन सेविंग अकाउंट के नियमों के बारे में जानकारी रखना हर किसी के लिए बहुत ही जरूरी होता है. 1 जुलाई 2019 को इनकम टैक्स विभाग ने एक सीमा से अधिक नकद निकासी पर यानि इन हैंड कैश लेने पर टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) के संबंध में नए नियम पेश किए थे.
टीडीएस की सीमा
यदि किसी व्यक्ति के द्वारा एक वित्त वर्ष में अपने बैंक अकाउंट से 20 लाख रुपये या उससे अधिक नकद कैश निकाला जाता है और उस व्यक्ति ने बीते 3 सालों से आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है, तो इस स्थिति में 2% टीडीएस काटा जाएगा. वहीं अगर किसी ने 1 करोड़ से ज्यादा रुपए अपने अकाउंट से निकाले हैं तो इस स्थिति में टीडीएस दर 5 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. ये नियम व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों, साझेदारी फर्मों, LLPs, कंपनियों और स्थानीय निकायों पर लागू होते हैं.
इन्हें मिलती है इस नियम से छूट
साथ ही किसी सरकारी संस्थान, बैंक, डाकघर और बैंक के रूप में कार्य कर रही सहकारी समितियों को इस नियम से छूट दी गई है. यहां ध्यान देने वाली बात ये है आप इस बात को जरूर सुनिश्चित करें कि आपके बैंक खाते के साथ आपका पैन कार्ड जरूर लिंक हो. यदि आपने पहले ही अपना पैन कार्ड बैंक में दिया हुआ है और आयकर रिटर्न दाखिल कर दिया है, तो आप टीडीएस कटौती से बच सकते हैं.
आखिर क्या है टीडीएस
आईटीआर एक वित्तीय कागजात होता है, जिसमें किसी व्यक्ति या संस्था की आय और व्यय की जानकारी होती है, उन्हें इसके लिए TDS चार्ज देना होता है. जबकि, TDS एक इंडायरेक्ट टैक्स होता है, जिसे किसी व्यक्ति या संस्था को किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था को पेमेंट की गई राशि से काटा जाता है.