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IAS मोहम्मद मुस्तफा को योगी सरकार से मिली मुक्ति, VRS हुआ मंजूर - IAS Mohammad Mustafa

योगी सरकार ने आईएएस मोहम्मद मुस्तफा का वीआरएस मंजूर कर लिया है. मुस्तफा ने कुछ दिन पहले वीआरएस के लिए आवेदन किया था. आइए जानते हैं कि क्यों नौकरी छोड़ी?

आईएएस मोहम्मद मुस्तफा
आईएएस मोहम्मद मुस्तफा (Photo Credit; Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 19, 2024, 3:36 PM IST

लखनऊ: आईएएस मोहम्मद मुस्तफा के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) बुधवार मंजूर हो गया है. सार्वजनिक उपक्रम विभाग के प्रमुख सचिव और 1995 बैच के IAS मोहम्मद मुस्तफा ने राज्य सरकार को पत्र भेजकर व्यक्तिगत कारणों से वीआरएस की मांग की थी. उन्होंने राज्य सरकार को लिखे पत्र में कहा था कि मन अब नौकरी में नही लग रहा है. इस लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्त (VRS) दिया जाए. जिसे अब राज्य सरकार ने स्वीकृति दे दी है. बता दें कि मोहम्मद मुस्तफा अलग-अलग सरकारों के समय में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं.

पिछले साल 3 आईएस ने लिया था वीआरएस
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में लगातार आईएस अधिकारी वीआरएस ले रहे हैं. जिससे उत्तर प्रदेश की अफसरशाही में अलग ही माहौल बना हुआ है. पिछले साल भी उत्तर प्रदेश कैडर के तीन आईएएस अधिकारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग की थी. उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में इन दिनों यह चर्चा आम है कि आईएएस अधिकारियों की ताकत दिन पर दिन कम होती जा रही है. इसके अलावा उन पर सख्ती और सर्विलांस बहुत अधिक हो गया है. इस वजह से वे अब इस सेवा को जारी रखने के इच्छुक नहीं है. इसीलिए विपरीत परिस्थितियां पड़ते ही पद को छोड़ना ही उचित समझ रहे हैं.

योगी कार्यकाल में ये आईएस भी ले चुके हैं वीआरएस
पिछले साल 28 जुलाई को एक आदेश जारी हुआ था, जिसमें 1987 बैच की वरिष्ठ आईएएस रेणुका कुमार को केंद्र सरकार में बिना प्रतिनियुक्ति पूरे हुए उनके मूल कैडर में उत्तर प्रदेश में प्रत्यावर्तित किया गया था. इसके बाद 25 जुलाई को ही रेणुका कुमार ने वीआरएस के लिए डीओपीटी की सचिव को आवेदन भेज दिया था. साथ ही मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव नियुक्ति को भी इस सम्बंध में पत्र भी भेजा था. इसके अलावा 2003 बैच के आईएएस विकास गोठलवाल और 1988 बैच के जूथिका पाटणकर भी वीआरएस मांगा था. गोठवाल सचिव अवस्थापना और औद्योगिक विकास पर तैनात थे. स्वास्थ्य कारणों से विकास ने वीआरएस मांगा था. 1988 बैच की यूपी कैडर की IAS जूथिका पाटणकर ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए वीआरएस मांगा था. उनकी केंद्रीय सूचना आयोग में तैनात थीं. साल 2019 में उत्तर प्रदेश कैडर के संयुक्त सचिव स्तर के केंद्र में अधिकारी राजीव अग्रवाल ने भी इस्तीफा देकर टैक्सी स्टार्टअप ऊबर में उच्च पद पर जॉइन कर लिया था.

लखनऊ: आईएएस मोहम्मद मुस्तफा के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) बुधवार मंजूर हो गया है. सार्वजनिक उपक्रम विभाग के प्रमुख सचिव और 1995 बैच के IAS मोहम्मद मुस्तफा ने राज्य सरकार को पत्र भेजकर व्यक्तिगत कारणों से वीआरएस की मांग की थी. उन्होंने राज्य सरकार को लिखे पत्र में कहा था कि मन अब नौकरी में नही लग रहा है. इस लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्त (VRS) दिया जाए. जिसे अब राज्य सरकार ने स्वीकृति दे दी है. बता दें कि मोहम्मद मुस्तफा अलग-अलग सरकारों के समय में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं.

पिछले साल 3 आईएस ने लिया था वीआरएस
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में लगातार आईएस अधिकारी वीआरएस ले रहे हैं. जिससे उत्तर प्रदेश की अफसरशाही में अलग ही माहौल बना हुआ है. पिछले साल भी उत्तर प्रदेश कैडर के तीन आईएएस अधिकारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग की थी. उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में इन दिनों यह चर्चा आम है कि आईएएस अधिकारियों की ताकत दिन पर दिन कम होती जा रही है. इसके अलावा उन पर सख्ती और सर्विलांस बहुत अधिक हो गया है. इस वजह से वे अब इस सेवा को जारी रखने के इच्छुक नहीं है. इसीलिए विपरीत परिस्थितियां पड़ते ही पद को छोड़ना ही उचित समझ रहे हैं.

योगी कार्यकाल में ये आईएस भी ले चुके हैं वीआरएस
पिछले साल 28 जुलाई को एक आदेश जारी हुआ था, जिसमें 1987 बैच की वरिष्ठ आईएएस रेणुका कुमार को केंद्र सरकार में बिना प्रतिनियुक्ति पूरे हुए उनके मूल कैडर में उत्तर प्रदेश में प्रत्यावर्तित किया गया था. इसके बाद 25 जुलाई को ही रेणुका कुमार ने वीआरएस के लिए डीओपीटी की सचिव को आवेदन भेज दिया था. साथ ही मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव नियुक्ति को भी इस सम्बंध में पत्र भी भेजा था. इसके अलावा 2003 बैच के आईएएस विकास गोठलवाल और 1988 बैच के जूथिका पाटणकर भी वीआरएस मांगा था. गोठवाल सचिव अवस्थापना और औद्योगिक विकास पर तैनात थे. स्वास्थ्य कारणों से विकास ने वीआरएस मांगा था. 1988 बैच की यूपी कैडर की IAS जूथिका पाटणकर ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए वीआरएस मांगा था. उनकी केंद्रीय सूचना आयोग में तैनात थीं. साल 2019 में उत्तर प्रदेश कैडर के संयुक्त सचिव स्तर के केंद्र में अधिकारी राजीव अग्रवाल ने भी इस्तीफा देकर टैक्सी स्टार्टअप ऊबर में उच्च पद पर जॉइन कर लिया था.

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