हैदराबादः दुनिया ने पहली बार 2001 में विश्व दुग्ध दिवस मनाया था. इस आयोजन के दौरान प्रतीक के तौर पर एक जगह जमा होकर एक साथ दूध 'एक गिलास उठाया'. तब से अब तक यह वार्षिक आयोजन 40 से अधिक देशों में फैल चुका है और साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है. दूध के सभी पहलुओं को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, लेकिन इन सबों का थी थीम एक सामान्य है: दूध और दूध उद्योग की शक्ति.
इसकी शुरुआत कैसे हुई?
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने 2001 में विश्व दुग्ध दिवस की शुरुआत की थी. चूंकि कई देश पहले से ही 1 जून या उसके आसपास राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मना रहे थे, इसलिए इस तिथि को चुना गया. विश्व दुग्ध दिवस (WMD) को अभी तक संयुक्त राष्ट्र की ओर से आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मान्यता नहीं दी गई है. इस तरह FAO बाजार और व्यापार प्रभाग वर्तमान में WMD समारोहों के बारे में जानकारी प्राप्त करने और इसे डेयरी मार्केट नेटवर्क और ऑनलाइन के साथ साझा करने पर ध्यान केंद्रित करता है. नेटवर्क दुनिया के डेयरी उद्योग में विकास के बारे में सदस्यों के लिए एक फ्री सूचना-विनिमय मंच प्रदान करता है.
इसकी शुरुआत कहां से हुई? FAO (संयुक्त राष्ट्र का खाद्य और कृषि संगठन) को एक विशिष्ट दिन प्रस्तावित करने के लिए कहा गया था जिस पर दूध के सभी पहलुओं को मनाया जा सके.
इसे क्यों मनाते हैं?
दूध दुनिया में सबसे ज्यादा उत्पादित और मूल्यवान कृषि वस्तुओं में से एक है. जरूरी पोषक तत्वों के एक शक्तिशाली मिश्रण से युक्त, यह खाद्य सुरक्षा, पोषण और आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है. विश्व दुग्ध दिवस इस संदेश को फैलाने का आदर्श अवसर है. चाहे दूध के डिब्बे बांटना हो, टीवी विज्ञापन दिखाना हो या बच्चों और वयस्कों को शामिल करते हुए मजेदार सामुदायिक कार्यक्रम आयोजित करना हो, यह क्षेत्र के सभी लोगों के लिए दूध की शक्ति का जायजा लेने का एक मौका है.
श्वेत क्रांति के जनक
भारत दुग्ध उत्पादन के मामले में अग्रणी देशों में शामिल है. देश में दुग्ध उत्पादन में अग्रणी देशों में शामिल करने में डॉ. वर्गीज कुरियन का सबसे बड़ा योगदान है. उन्हें श्वेत क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है. इनके द्वारा स्थापित दुग्ध सहकारी समिति मॉडल आज पूरी दुनिया में फैल चुका है. गुजरात के आनंद में स्थापित दुग्ध उत्पादन मॉडल जो अमूल के नाम से पूरी दुनिया में फैला हुआ है. बता दें कि डॉ वर्गीज कुरियन की जयंती (26 नवंबर ) को भारत में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के रूप में जाना जाता है.
कई पोषक तत्वों का खजाना है दूध
- 26 नवंबर को हर साल भारत में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है.
- भारत की बड़ी आबादी के पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में दूध का महत्वपूर्ण योगदान है.
- दूध अपने आप में संपूर्ण आहार माना जाता है.
- दूध में कई पोषक तत्व मौजूद हैं, जैसे- प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन बी12, विटामिन डी, विटामिन ई जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं.
- दूध में लैक्टोज (प्राकृतिक शर्करा) मौजूद होता है. लैक्टोज दातों और मसूड़ों को मजबूत बनाता है.
- भारत सरकार के डेटा के अनुसार 2021-22 में 221.1 मिलियन टन दुग्ध का उत्पादन हुआ था.