देहरादून (उत्तराखंड): भारत देश की महिलाएं, पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर चलती रही हैं. आज के दौर में महिलाओं ने हर क्षेत्र में उन पोजिशन को हासिल किया है जो कभी केवल पुरुषों के लिए 'रिजर्व' मानी जाती थीं. यहां तक कि वर्तमान में देश की कमान भी राष्ट्रपति के तौर पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रहीं द्रौपदी मुर्मू संभाल रही हैं. केंद्र की मोदी सरकार भी महिला सशक्तिकरण पर जोर दे रही है. महिला सशक्तिकरण को लेकर मोदी सरकार ने 'नारी शक्ति वंदन' अधिनियम भी पास किया है.
बात अगर महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है तो राज्यों के सर्वोच्च पदों पर सेवाएं दे रही महिलाओं की बात भी जरूर होगी. देशभर के 28 राज्यों और 8 संघ राज्य क्षेत्रों के इतिहास को देखें तो कई महिलाएं अधिकारी वर्ग के टॉप तक पहुंची हैं. हालांकि, वर्तमान में केवल चार राज्यों मध्य प्रदेश, मिजोरम, तेलंगाना और हाल ही में उत्तराखंड में महिला अधिकारी मुख्य सचिव पद पर तैनात हैं.
- मध्य प्रदेश में वीरा राणा मुख्य सचिव की जिम्मेदारी संभाल रही हैं.
- मिजोरम में रेनू शर्मा मुख्य सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहीं हैं.
- तेलंगाना में शांति कुमार अभी मुख्य सचिव की कमान संभाल रही हैं.
- उत्तराखंड में भी राधा रतूड़ी को मुख्य सचिव की जिम्मेदारी दी गई है. वो उत्तराखंड में मुख्य सचिव बनने वाली पहली महिला हैं.
तमिलनाडु में महिला मुख्य सचिव: साल 2002 में जे जयललिता ने लक्ष्मी प्रणेश को तमिलनाडु का मुख्य सचिव नियुक्त किया था. लक्ष्मी प्रणेश राज्य में यह पद संभालने वाली पहली महिला थीं. वह दिसंबर 2002 से अप्रैल 2005 तक तक इस पद पर रहीं. इसके बाद 2010 में 1977 बैच की आईएएस अधिकारी एस. मलाथी को 39वें अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया. इसके बाद साल 2012 में 1976 बैच की आईएएस अधिकारी शीला बालाकृष्णन को अगला प्रमुख नियुक्त किया गया. वहीं, गिरिजा वैद्यनाथन को 22 दिसंबर 2016 को तमिलनाडु का मुख्य सचिव बनाया गया. वो जून 2019 तक इस पद पर बनी रहीं और इसके साथ ही गिरिजा वैद्यनाथन तमिल सरकार की चौथी और सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली महिला मुख्य सचिव थीं.
आंध्र में भी महिला मुख्य सचिव बनी: 2019 में 1984 बैच की आईएएस अधिकारी नीलम साहनी शेष आंध्र प्रदेश की पहली महिला सीएस बनीं. इससे पहले संयुक्त आंध्र प्रदेश में 2002 में राज्य को पहली महिला मुख्य सचिव मिलीं. तब 1966 बैच की साथी नायर को एन चंद्रबाबू नायडू ने मुख्य सचिव नियुक्त किया था. इसके बाद 2012 में 1976 बैच की आईएएस अधिकारी मिन्नी मैथ्यू को इस पद पर नियुक्त किया गया.
केरल में 1990 में बनी पहली मुख्य सचिव: बात अगर केरल की करें तो साल 1990 में पद्मा रामचन्द्रन राज्य की पहली महिला मुख्य सचिव बनीं. उन्होंने 1 नवंबर 1990 से जुलाई 1991 तक सेवा दी. उनके बाद अक्टूबर 2006 में लिजी जैकब ने केरल के मुख्य सचिव का पद संभाला. वो 2007 तक इस पद पर रहीं. साल 2012 में 1975 कैडर की आईएएस अधिकारी नीला गंगाधरन को मुख्य सचिव नियुक्त किया गया. 2017 में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी नलिनी नेट्टो ने केरल के नए के रूप में तिरुवनंतपुरम में कार्यभार संभाला.
राजस्थान में बनी दो महिला मुख्य सचिव: वहीं, राजस्थान में भी दो महिलाएं मुख्य सचिव के पद तक पहुंची हैं. जनवरी 2022 में 1985 बैच की आईएएस ऊषा शर्मा को राजस्थान का मुख्य सचिव बनाया गया था. इसके बाद फरवरी 2009 से अक्टूबर 2009 तक कुशल सिंह भी राज्य की मुख्य सचिव रहीं.
एमपी में वीरा राणा अभी मुख्य सचिव: मध्य प्रदेश में अभी वीरा राणा इस पद पर पदोन्नत होने वाली दूसरी महिला आईएएस अधिकारी बनी हैं. उनसे पहले आईएएस अधिकारी निर्मला बुच इस पद तक पहुंची. बुच 1960 बैच की अधिकारी थीं. 97 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद उनका 2023 जुलाई में निधन हुआ.
उत्तराखंड को मिली पहली महिला मुख्य सचिव: उत्तराखंड की आईएएस राधा रतूड़ी को लेकर हाल ही में ही राज्य का मुख्य सचिव बनाए जाने को लेकर आदेश जारी किया गया है. आईएएस राधा रतूड़ी 1988 बैच की आईएएस अधिकारी हैं. वो फिलहाल शासन में अपर मुख्य सचिव की जिम्मेदारी देख रही हैं. राधा रतूड़ी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की करीबी अफसरों में गिनी जाती हैं. राधा रतूड़ी के पास अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी भी है. राधा रतूड़ी उत्तराखंड कई बड़ी जिम्मेदारियां संभल चुकी हैं. वो कई जिलों की जिलाधिकारी भी रही हैं. महिला एवं सशक्तिकरण विभाग में राधा रतूड़ी ने लंबे समय तक काम किया है.
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