देहरादून (उत्तराखंड): भारत में फिलहाल 29964 हाथी होने का दावा किया जाता है.ये आंकड़ा भारतीय वन्यजीव संस्थान और कुछ दूसरी संस्थाओं की मदद से की गई हाथियों की गणना के बाद सामने आया है. दरअसल भारतीय वन्यजीव संस्थान विभिन्न वैज्ञानिकों के साथ मिलकर देश भर में हाथियों की गणना करते हैं और विभिन्न विधि के माध्यम से की गई इस गणना के आधार पर ही देश में मौजूद हाथियों की संख्या का पता लगाया जाता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि हाथियों की जो संख्या देश में होने का दावा किया जाता है, वह पूरी तरह से सटीक नहीं होती है. इसी हकीकत के साथ भारत सरकार की अनुमति से भारतीय वन्यजीव संस्थान हाथियों की गणना का नया मेथड तलाश कर रहा है.
राजाजी नेशनल पार्क में हो रहा अध्ययन: संस्थान की तरफ से पिछले दो सालों से इस पर अध्ययन किया जा रहा है. ये अध्ययन राजाजी नेशनल पार्क में हो रहा है और देश में मौजूद हाथी गणना की 11 विधियों का आकलन करते हुए एक नए प्रोटोकॉल को तैयार करने की कोशिश हो रही है. इसके लिए सभी 11 मेथड को टेस्ट करने की प्रक्रिया चलाई जा रही है.
क्या कह रहे वाइल्डलाइफ वैज्ञानिक: अच्छी बात यह है कि अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिक आने वाले 5 से 6 महीने के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा करने का भी दावा कर रहे हैं. वहीं वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. बिलाल हबीब कहते हैं कि प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए किए जा रहे रिसर्च को काफी हद तक पूरा कर लिया गया है और जल्दी इस काम को खत्म कर लिया जाएगा.
नए मेथड से किया जाएगा रिसर्च: उत्तराखंड में पूर्व में हुई गणना के अनुसार कुल 2026 हाथी मौजूद हैं. इसमें सबसे ज्यादा हाथी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हैं तो राजाजी नेशनल पार्क में भी 311 हाथी होना दर्ज किया गया है. उधर वैज्ञानिकों ने राजा जी नेशनल पार्क को ही हाथी की गणना के लिए नए मेथड पर रिसर्च करने को लेकर सबसे बेहतर पाया. इसलिए हाथियों की गणना के लिए अपनाई जाने वाली 11 विधियों का राजाजी नेशनल पार्क में टेस्ट किया जा रहा है.
हाथियों की सटीक जानकारी आएगी सामने : अध्ययन के अनुसार पूरे देश भर में 80000 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में हाथियों का वास माना जाता है. देश भर में कुल 1000 क्षेत्र प्रोटेक्टेड हैं. खास बात यह है कि हाथी गणना के लिए अपनाई जा रही विधि से आने वाले परिणामों में 5 से 55% तक वेरिएशन की संभावना रहती है, जो की बहुत ज्यादा है. इसलिए अब वैज्ञानिक एक ऐसी सटीक विधि को जानने में जुड़ गए हैं जो हकीकत के ज्यादा करीब हो और हाथियों की गणना को ज्यादा सटीक रूप से बता सके.
इन चीजों पर हो रहा फोकस : नई विधि को लाने के लिए तीन खास बातों पर फोकस किया जाएगा जिसमें पहले तैयार किए जाने वाला हाथियों की गणना का प्रोटोकॉल टेक्निकली, लॉजिस्टिक और साइंटिफिक तीनों पैमाने पर बेहतर हो. इस दौरान ऐसी विधि को तलाशा जा रहा है, जिसमें समय भी ज्यादा ना लगे और इस विधि के जरिए हाथियों की गणना करना आसान हो, साथ ही यह विधि ज्यादा खर्चीली भी ना हो.
गणना के लिए वैज्ञानिकों ने कसी कमर: वैसे देश भर में एक बड़े क्षेत्रफल में हाथियों की गणना करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है, आकलन के अनुसार दुनिया भर में करीब 50000 से ज्यादा एशियाई हाथी मौजूद हैं. जिसमें से 60% अकेले भारत में मौजूद हैं. अब इन हाथियों की गणना के लिए वैज्ञानिकों ने कमर कस ली है और जल्द ही एक ऐसी विधि या प्रोटोकॉल को तैयार कर लिया जाएगा, जिससे भविष्य में पूरे देश में हाथियों की गणना होगी.
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