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वन्यजीवों के संरक्षण में अग्रणी विश्नोई समाज, वाइल्डलाइफ के लिए सुरक्षित बना हरियाणा, राजस्थान बॉर्डर, उत्तराखंड को सीखने की जरूरत

विश्नोई समाज ने किया अखिल भारतीय जीव रक्षक बिश्नोई सभा का गठन, वन्यजीवों के संरक्षण का शुरू किया काम

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 3 hours ago

BISHNOI SAMAJ WILDLIFE CONSERVATION
वन्यजीवों के संरक्षण में अग्रणी विश्नोई समाज (ETV BHARAT)

देहरादून: उत्तराखंड समेत देशभर के कई राज्यों में मानव वन्य जीव संघर्ष बढ़ने से नई चुनौतियां पैदा हो गई हैं. ये हालात लोगों में वन्यजीवों के लिए आक्रोश को बढ़ा रहे हैं. वहीं, इसके उलट हरियाणा और राजस्थान बॉर्डर पर बिश्नोई समाज वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर दुनियाभर को अहम सीख दे रहा है. जिसके किए भारतीय वन्यजीव संस्थान ने बिश्नोई समाज के लोगों को भी सम्मानित किया है.

उत्तराखंड में शिकारी वन्यजीवों को लेकर लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है. प्रदेश में कई जगह तो मानव वन्यजीव संघर्ष होने के बाद लोग सड़कों पर भी आए हैं. ये हालत यह बताने के लिए काफी है कि इंसानों की वन्यजीवों के साथ सह अस्तित्व की बात केवल किताबों या सुझावों तक ही सीमित हैं. खास बात यह है कि इस तरह की स्थिति केवल उत्तराखंड तक सीमित नहीं है बल्कि देशभर के दूसरे कई राज्यों में भी मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं देखने को मिल रही हैं. इन स्थितियों के बीच एक ऐसा क्षेत्र भी है जहां इंसान वन्य जीवों के साथ रहना सीख रहे हैं. यही नहीं वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर ये समाज पूरे देश को बड़ा संदेश भी दे रहा है.

वन्यजीवों के संरक्षण में अग्रणी विश्नोई समाज (ETV BHARAT)

भारतीय वन्यजीव संस्थान ने बिश्नोई समाज से जुड़े लोगों को एक ऐसे कार्य के लिए सम्मानित किया, जिसे अक्सर वन विभाग की ही जिम्मेदारी माना जाता है. दरअसल बिश्नोई समाज से जुड़े कुछ लोगों ने वन्यजीव संरक्षण के लिए एक पूरा संस्थान चलाया हुआ है.. यह लोग न केवल वन्यजीव संरक्षण के लिए लोगों को जागरुक कर रहे हैं बल्कि कई तरह की पैरवी करते हुए वन्यजीवों के लिए क्षेत्र में नया माहौल भी तैयार कर रहे हैं. शायद यही कारण है कि भारतीय वन्यजीव संस्थान ने समाज से जुड़े लोगों को वन्य जीव सप्ताह के दौरान सम्मानित करने का फैसला लिया.

बिश्नोई समाज ने हरियाणा के चार जिलों के साथ ही राजस्थान बॉर्डर पर भी कई वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर बड़ा अभियान छेड़ा हुआ है. भारतीय वन्यजीव संस्थान में सम्मानित होने के लिए पहुंचे विश्नोई समाज के विनोद कड़वासरा ने बताया उन्होंने और उनके कुछ साथियों ने मिलकर अखिल भारतीय जीव रक्षक बिश्नोई सभा का गठन किया है. ये सभा वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कई तरह के काम कर रही है.

अखिल भारतीय जीव रक्षक बिश्नोई सभा के बड़े काम

  • बिश्नोई समाज से जुड़े यह लोग काला हिरण, चिंकारा समेत विलुप्त हो रहे वन्यजीवों के संरक्षण पर कर रहे काम.
  • भिवाड़ी, जींद, आदमपुर के चौधरीवाला गांव में अबतक 3 रिजर्व क्षेत्र नोटिफाई करवाये. तीन और क्षेत्र को नोटिफाई करने की कोशिश जारी
  • हर जिले में वन्यजीवों के लिए रेस्क्यू सेंटर बनाने की मांग.
  • सरकार ने चार एकड़ जमीन पर 8 करोड़ की लागत से रेस्क्यू सेंटर बनाने की घोषणा की.
  • शिकारियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए भी हर मामले पर यह संगठन निजी रूप से करता है कानूनी पैरवी.
  • इस संगठन ने रिजर्वॉयर फेंसिंग को क्षेत्र में पूरी तरह से बैन करवाया
  • वन्यजीवों के संरक्षण के लिए काम कर रहे इन लोगों को पूरे विश्नोई समाज का समर्थन मिल रहा है.
  • यह लोग अब वन्यजीवों के साथ कैसे रहे इसके लिए भी लोगों को जागरुक कर रहे हैं.

काला हिरण शिकार मामले में सलमान खान को लेकर भी बिश्नोई समाज ने ही सबसे ज्यादा विरोध किया था. उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की भी मांग उठी थी. इतना ही नहीं अपने समाज की नाराजगी को देखते हुए ही लॉरेंस बिश्नोई ने सलमान खान को मारने की धमकी दी थी, हालांकि इस मामले में कई सालों तक केसे चला. कोर्ट ने सलमान खान को सजा भी सुनाई, लेकिन इस मामले के बाद से बड़े स्तर पर बिश्नोई समाज का वन्यजीव को लेकर लगाव सबके सामने आया.

बिश्नोई समाज से जुड़े लोग हरियाणा के चार जिलों के अलावा राजस्थान बॉर्डर पर भी वन्यजीवों के संरक्षण के लिए छोटे-छोटे इलाकों को रिजर्व घोषित किए जाने के लिए प्रयास कर रहे हैं इस प्रयास के तहत अब तक तीन इलाकों को वाइल्डलाइफ के लिए रिजर्व किया गया है. उत्तराखंड वन विभाग में प्रमुख वन संरक्षक हॉफ धनंजयमोहन कहते हैं बिश्नोई समाज का वन्य जीव संरक्षण को लेकर इतिहास नया नहीं है. पिछले लंबे समय से यह समाज वन्य जीव संरक्षण के लिए सभी को संदेश दे रहे हैं. उत्तराखंड के लिए भी यह एक बड़ा संदेश है.

उत्तराखंड में भी लोगों को वन्यजीवों के साथ रहने का तरीका सीखना होगा. बिश्नोई समाज के प्रयास और उनका वन्यजीवों को लेकर लगाव एक बड़ी सीख है. उत्तराखंड में मानव वन्य जीव संघर्ष बढ़ने से वन्यजीवों के खिलाफ लोगों में माहौल बना है. ऐसे में अब इन स्थितियों को पीछे छोड़ते हुए लोगों को वन्य जीव संरक्षण के लिए बिश्नोई समाज की तरह की कदम आगे बढ़ाने होंगे.

पढे़ं- देश में हाथियों की गिनती के लिए नए मेथर्ड की तलाश, सटीक आंकड़ों के करीब पहुंचाएगा अध्ययन

देहरादून: उत्तराखंड समेत देशभर के कई राज्यों में मानव वन्य जीव संघर्ष बढ़ने से नई चुनौतियां पैदा हो गई हैं. ये हालात लोगों में वन्यजीवों के लिए आक्रोश को बढ़ा रहे हैं. वहीं, इसके उलट हरियाणा और राजस्थान बॉर्डर पर बिश्नोई समाज वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर दुनियाभर को अहम सीख दे रहा है. जिसके किए भारतीय वन्यजीव संस्थान ने बिश्नोई समाज के लोगों को भी सम्मानित किया है.

उत्तराखंड में शिकारी वन्यजीवों को लेकर लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है. प्रदेश में कई जगह तो मानव वन्यजीव संघर्ष होने के बाद लोग सड़कों पर भी आए हैं. ये हालत यह बताने के लिए काफी है कि इंसानों की वन्यजीवों के साथ सह अस्तित्व की बात केवल किताबों या सुझावों तक ही सीमित हैं. खास बात यह है कि इस तरह की स्थिति केवल उत्तराखंड तक सीमित नहीं है बल्कि देशभर के दूसरे कई राज्यों में भी मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं देखने को मिल रही हैं. इन स्थितियों के बीच एक ऐसा क्षेत्र भी है जहां इंसान वन्य जीवों के साथ रहना सीख रहे हैं. यही नहीं वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर ये समाज पूरे देश को बड़ा संदेश भी दे रहा है.

वन्यजीवों के संरक्षण में अग्रणी विश्नोई समाज (ETV BHARAT)

भारतीय वन्यजीव संस्थान ने बिश्नोई समाज से जुड़े लोगों को एक ऐसे कार्य के लिए सम्मानित किया, जिसे अक्सर वन विभाग की ही जिम्मेदारी माना जाता है. दरअसल बिश्नोई समाज से जुड़े कुछ लोगों ने वन्यजीव संरक्षण के लिए एक पूरा संस्थान चलाया हुआ है.. यह लोग न केवल वन्यजीव संरक्षण के लिए लोगों को जागरुक कर रहे हैं बल्कि कई तरह की पैरवी करते हुए वन्यजीवों के लिए क्षेत्र में नया माहौल भी तैयार कर रहे हैं. शायद यही कारण है कि भारतीय वन्यजीव संस्थान ने समाज से जुड़े लोगों को वन्य जीव सप्ताह के दौरान सम्मानित करने का फैसला लिया.

बिश्नोई समाज ने हरियाणा के चार जिलों के साथ ही राजस्थान बॉर्डर पर भी कई वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर बड़ा अभियान छेड़ा हुआ है. भारतीय वन्यजीव संस्थान में सम्मानित होने के लिए पहुंचे विश्नोई समाज के विनोद कड़वासरा ने बताया उन्होंने और उनके कुछ साथियों ने मिलकर अखिल भारतीय जीव रक्षक बिश्नोई सभा का गठन किया है. ये सभा वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कई तरह के काम कर रही है.

अखिल भारतीय जीव रक्षक बिश्नोई सभा के बड़े काम

  • बिश्नोई समाज से जुड़े यह लोग काला हिरण, चिंकारा समेत विलुप्त हो रहे वन्यजीवों के संरक्षण पर कर रहे काम.
  • भिवाड़ी, जींद, आदमपुर के चौधरीवाला गांव में अबतक 3 रिजर्व क्षेत्र नोटिफाई करवाये. तीन और क्षेत्र को नोटिफाई करने की कोशिश जारी
  • हर जिले में वन्यजीवों के लिए रेस्क्यू सेंटर बनाने की मांग.
  • सरकार ने चार एकड़ जमीन पर 8 करोड़ की लागत से रेस्क्यू सेंटर बनाने की घोषणा की.
  • शिकारियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए भी हर मामले पर यह संगठन निजी रूप से करता है कानूनी पैरवी.
  • इस संगठन ने रिजर्वॉयर फेंसिंग को क्षेत्र में पूरी तरह से बैन करवाया
  • वन्यजीवों के संरक्षण के लिए काम कर रहे इन लोगों को पूरे विश्नोई समाज का समर्थन मिल रहा है.
  • यह लोग अब वन्यजीवों के साथ कैसे रहे इसके लिए भी लोगों को जागरुक कर रहे हैं.

काला हिरण शिकार मामले में सलमान खान को लेकर भी बिश्नोई समाज ने ही सबसे ज्यादा विरोध किया था. उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की भी मांग उठी थी. इतना ही नहीं अपने समाज की नाराजगी को देखते हुए ही लॉरेंस बिश्नोई ने सलमान खान को मारने की धमकी दी थी, हालांकि इस मामले में कई सालों तक केसे चला. कोर्ट ने सलमान खान को सजा भी सुनाई, लेकिन इस मामले के बाद से बड़े स्तर पर बिश्नोई समाज का वन्यजीव को लेकर लगाव सबके सामने आया.

बिश्नोई समाज से जुड़े लोग हरियाणा के चार जिलों के अलावा राजस्थान बॉर्डर पर भी वन्यजीवों के संरक्षण के लिए छोटे-छोटे इलाकों को रिजर्व घोषित किए जाने के लिए प्रयास कर रहे हैं इस प्रयास के तहत अब तक तीन इलाकों को वाइल्डलाइफ के लिए रिजर्व किया गया है. उत्तराखंड वन विभाग में प्रमुख वन संरक्षक हॉफ धनंजयमोहन कहते हैं बिश्नोई समाज का वन्य जीव संरक्षण को लेकर इतिहास नया नहीं है. पिछले लंबे समय से यह समाज वन्य जीव संरक्षण के लिए सभी को संदेश दे रहे हैं. उत्तराखंड के लिए भी यह एक बड़ा संदेश है.

उत्तराखंड में भी लोगों को वन्यजीवों के साथ रहने का तरीका सीखना होगा. बिश्नोई समाज के प्रयास और उनका वन्यजीवों को लेकर लगाव एक बड़ी सीख है. उत्तराखंड में मानव वन्य जीव संघर्ष बढ़ने से वन्यजीवों के खिलाफ लोगों में माहौल बना है. ऐसे में अब इन स्थितियों को पीछे छोड़ते हुए लोगों को वन्य जीव संरक्षण के लिए बिश्नोई समाज की तरह की कदम आगे बढ़ाने होंगे.

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