ETV Bharat / bharat

बारूद की गंध नहीं अब फिजाओं में घुल रही शहद की सोंधी महक, हथियार नहीं हेनार से पहचान बना रहा बूढ़ापहाड़! - Wild Honey Henar

author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 27, 2024, 6:33 PM IST

Updated : May 27, 2024, 7:29 PM IST

Wild Honey Henar produced in Budhapahad. झारखंड का बूढ़ापहाड़, जो कभी बारूद के गंध से जार-जार रहा करती थी. आज वही बूढ़ापहाड़ शहद की सोंधी खूश्बू से सराबोर है. यहां का वाइल्ड हनी जो नक्सलियों के गढ़ से निकल कर लोगों की जुबान में मिठास घोल रहा है.

Wild Honey Henar produced in Budhapahad areas of Jharkhand
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

पलामूः वैसे तो आपने कई तरह के मधु (HONEY) का स्वाद लिया होगा. लेकिन हम आपको एक ऐसे शहद के बारे में बता रहे हैं जो नक्सलियों के गढ़ से निकालता है और पूरी तरह से नेचुरल है. इस प्राकृतिक मधु को वाइल्ड हनी भी कहा जाता है, जिसका टेस्ट पूरी तरह से जंगली पेड़ के फूल जैसा नेचुरल है.

जानकारी देते पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक (ETV Bharat)

यह शहद नक्सल इलाके में बदलाव ला रहा है. ये आज सैकड़ों लोगों की आमदनी का जरिया बन गया है. इस वाइल्ड हनी को हेनार हनी ब्रांड नाम दिया गया है. हेनार हनी को एक गांव के नाम पर ब्रांड नाम दिया गया है. हेनार गांव पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में मौजूद है जबकि यह इलाका लातेहार के बारेसाढ़ के अंतर्गत आता है. हेनार का इलाका नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले बूढ़ापहाड़ 15 से 20 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है.

साल, आसन, कुसुम और नाशपती के फूल से तैयार हो रहा है हेनार हनी

हेनार गांव के इलाके में प्राकृतिक रूप से मधु (हनी) का उत्पादन होता है. इस इलाके में साल, आसन और कुसुम और नाशपती के पेड़ हैं. मधुमक्खी इन्हीं पेड़ों के फूलों से पराग को लेते हैं और मधु को तैयार करते है. प्राकृतिक से तैयार यह मधु खाने में काफी टेस्टी होता है. हेनार के इलाके में लंबे वक्त से ग्रामीण नेचुरल हनी उत्पादन करते आ रहे हैं. पलामू टाइगर प्रबंधन की नजर इस उत्पादन पर गई थी. इसके बाद पीटीआर प्रबंधन में ग्रामीणों के आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए मधु के उत्पादन को एक ब्रांड नाम दिया और हेनार हनी नाम रखा. हेनार हनी के उत्पादन के लिए कोई बॉक्स नहीं लगाया जाता है यह पूरी तरह से मधुमक्खी प्राकृतिक रूप से तैयार करती है.

wild-honey-henar-produced-in-budhapahad-areas-of-jharkhand
हेनार हनी की खासियत (ETV Bharat)

एक सीजन में बिका दो टन हेनार हनी

2023-24 के सीजन में करीब दो टन हेनार हनी की बिक्री हुई है. हेनार हनी देशभर के ब्यूरोक्रेट के बीच काफी चर्चित है और इसके ऑर्डर एडवांस में मिलते हैं. प्राकृतिक रूप से तैयार इस हनी को देश के कई हिस्सों में भेजा जाता है. पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन में ग्रामीणों का लाइवलीहुड को बढ़ाने के लिए मारोमार के इलाके में हनी फिल्टरेशन प्लांट भी लगाया है. इस प्लांट में हनी को फिल्टर किया जाता है जबकि प्लांट के माध्यम से बिना फिल्टर हनी भी लोगो को उपलब्ध करवाया जाता है.

अनार और उसके आसपास साल आसन कुसुम के जंगल है, इसी के फूल पराग से मधु तैयार होता है. हेनार हनी पूरी तरह से प्राकृतिक है जिसे वाइल्ड हनी भी कहा जाता है. इसके उत्पादन के लिए कोई बॉक्स नहीं लगाया जाता है. इसका उत्पादन भी सीमित है मांग के अनुसार इसका उत्पादन नहीं हो सकता है. यह प्राकृतिक रूप से निर्भर है की कितना उत्पादन होगा. हेनार हनी देश के कई हिस्सों में जा रहा है. इलाके में ग्रामीणों के लाइवलीहुड को लेकर इसकी ब्रांडिंग की जा रही है. -प्रजेशकांत जेना, उपनिदेशक पलामू टाइगर रिजर्व.

नक्सलियों का गढ़ माना जाता है हेनार का इलाका

हेनार और उसके आसपास के इलाके में छह से सात हजार की आबादी है. यह इलाका बूढ़ापहाड़ से कुछ ही दूरी पर है जिस कारण यह अतिनक्सल प्रभावित इलाका माना जाता रहा है. इलाके में नक्सलियों के कमजोर होने के बाद प्राकृतिक रूप से तैयार होने वाले हनी की ब्रांडिंग शुरू हुई है. हनी उत्पादन से इलाके में 200 से अधिक परिवार जुड़ गए हैं. ग्रामीण जंगलों में जाते हैं और प्राकृतिक रूप से तैयार हनी को निकलते हैं. पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन इसकी पैकिंग और ब्रांडिंग करता है. हेनार ग्रामीण रामस्वरूप ने बताया पहले वह मधु को जंगल से सिर्फ घर में उपयोग करने के लिए निकालते थे. ब्रांडिंग के बाद यह आमदनी का बड़ा जरिया बनता जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- मधुमक्खी सिर्फ शहद के लिए नहीं, फल-फूल और फसलों के लिए भी जरूरी - World Bee Day

इसे भी पढ़ें- JSLPS ने की पहल, राज्य के 9 हजार महिला किसानों को दिया जा रहा है शहद उत्पादन का प्रशिक्षण

इसे भी पढ़ें- योगवाही होता है शहद, सेहत और सौन्दर्य दोनों को बढ़ाता है

पलामूः वैसे तो आपने कई तरह के मधु (HONEY) का स्वाद लिया होगा. लेकिन हम आपको एक ऐसे शहद के बारे में बता रहे हैं जो नक्सलियों के गढ़ से निकालता है और पूरी तरह से नेचुरल है. इस प्राकृतिक मधु को वाइल्ड हनी भी कहा जाता है, जिसका टेस्ट पूरी तरह से जंगली पेड़ के फूल जैसा नेचुरल है.

जानकारी देते पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक (ETV Bharat)

यह शहद नक्सल इलाके में बदलाव ला रहा है. ये आज सैकड़ों लोगों की आमदनी का जरिया बन गया है. इस वाइल्ड हनी को हेनार हनी ब्रांड नाम दिया गया है. हेनार हनी को एक गांव के नाम पर ब्रांड नाम दिया गया है. हेनार गांव पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में मौजूद है जबकि यह इलाका लातेहार के बारेसाढ़ के अंतर्गत आता है. हेनार का इलाका नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले बूढ़ापहाड़ 15 से 20 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है.

साल, आसन, कुसुम और नाशपती के फूल से तैयार हो रहा है हेनार हनी

हेनार गांव के इलाके में प्राकृतिक रूप से मधु (हनी) का उत्पादन होता है. इस इलाके में साल, आसन और कुसुम और नाशपती के पेड़ हैं. मधुमक्खी इन्हीं पेड़ों के फूलों से पराग को लेते हैं और मधु को तैयार करते है. प्राकृतिक से तैयार यह मधु खाने में काफी टेस्टी होता है. हेनार के इलाके में लंबे वक्त से ग्रामीण नेचुरल हनी उत्पादन करते आ रहे हैं. पलामू टाइगर प्रबंधन की नजर इस उत्पादन पर गई थी. इसके बाद पीटीआर प्रबंधन में ग्रामीणों के आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए मधु के उत्पादन को एक ब्रांड नाम दिया और हेनार हनी नाम रखा. हेनार हनी के उत्पादन के लिए कोई बॉक्स नहीं लगाया जाता है यह पूरी तरह से मधुमक्खी प्राकृतिक रूप से तैयार करती है.

wild-honey-henar-produced-in-budhapahad-areas-of-jharkhand
हेनार हनी की खासियत (ETV Bharat)

एक सीजन में बिका दो टन हेनार हनी

2023-24 के सीजन में करीब दो टन हेनार हनी की बिक्री हुई है. हेनार हनी देशभर के ब्यूरोक्रेट के बीच काफी चर्चित है और इसके ऑर्डर एडवांस में मिलते हैं. प्राकृतिक रूप से तैयार इस हनी को देश के कई हिस्सों में भेजा जाता है. पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन में ग्रामीणों का लाइवलीहुड को बढ़ाने के लिए मारोमार के इलाके में हनी फिल्टरेशन प्लांट भी लगाया है. इस प्लांट में हनी को फिल्टर किया जाता है जबकि प्लांट के माध्यम से बिना फिल्टर हनी भी लोगो को उपलब्ध करवाया जाता है.

अनार और उसके आसपास साल आसन कुसुम के जंगल है, इसी के फूल पराग से मधु तैयार होता है. हेनार हनी पूरी तरह से प्राकृतिक है जिसे वाइल्ड हनी भी कहा जाता है. इसके उत्पादन के लिए कोई बॉक्स नहीं लगाया जाता है. इसका उत्पादन भी सीमित है मांग के अनुसार इसका उत्पादन नहीं हो सकता है. यह प्राकृतिक रूप से निर्भर है की कितना उत्पादन होगा. हेनार हनी देश के कई हिस्सों में जा रहा है. इलाके में ग्रामीणों के लाइवलीहुड को लेकर इसकी ब्रांडिंग की जा रही है. -प्रजेशकांत जेना, उपनिदेशक पलामू टाइगर रिजर्व.

नक्सलियों का गढ़ माना जाता है हेनार का इलाका

हेनार और उसके आसपास के इलाके में छह से सात हजार की आबादी है. यह इलाका बूढ़ापहाड़ से कुछ ही दूरी पर है जिस कारण यह अतिनक्सल प्रभावित इलाका माना जाता रहा है. इलाके में नक्सलियों के कमजोर होने के बाद प्राकृतिक रूप से तैयार होने वाले हनी की ब्रांडिंग शुरू हुई है. हनी उत्पादन से इलाके में 200 से अधिक परिवार जुड़ गए हैं. ग्रामीण जंगलों में जाते हैं और प्राकृतिक रूप से तैयार हनी को निकलते हैं. पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन इसकी पैकिंग और ब्रांडिंग करता है. हेनार ग्रामीण रामस्वरूप ने बताया पहले वह मधु को जंगल से सिर्फ घर में उपयोग करने के लिए निकालते थे. ब्रांडिंग के बाद यह आमदनी का बड़ा जरिया बनता जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- मधुमक्खी सिर्फ शहद के लिए नहीं, फल-फूल और फसलों के लिए भी जरूरी - World Bee Day

इसे भी पढ़ें- JSLPS ने की पहल, राज्य के 9 हजार महिला किसानों को दिया जा रहा है शहद उत्पादन का प्रशिक्षण

इसे भी पढ़ें- योगवाही होता है शहद, सेहत और सौन्दर्य दोनों को बढ़ाता है

Last Updated : May 27, 2024, 7:29 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.