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Holi 2024 : होली पर क्यों है भांग पीने की परंपरा? जानें इससे जुड़ी रोचक कहानी - Bhang On Holi - BHANG ON HOLI

Bhang On Holi रंगों का त्योहार होली नजदीक आ गया है. बिहार का होली कुछ खास अलग अंदाज में मनाया जाता है. होली का त्योहार रंगों के साथ-साथ लोग तरह तरह के पकवान और भांग की ठंडाई भी बनाते हैं. होली पर क्यों शुरू हुआ भांग पीने का चलन? आइए जानते हैं.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 23, 2024, 6:23 AM IST

पटना : होली रंगों और खुशियों का त्योहार है. यह फाल्गुन महीने के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. होली में जब भांग का रंग चढ़ता है तब होली का खुमार और बढ़ता है. होली और भांग का रिश्ता भारतीय संस्कृति में सदियों पुराना है. भांग खाने के पीछे लोग अलग-अलग तथ्य बताते हैं पर हम आपको होली के मौके पर भांग खाने और पीने के पीछे कि दिलचस्प कहानी बता रहे है.

'भांग के बिना होली, ना बा-बा ना' : रंगों के इस त्यौहार पर भांग का इस्तेमाल प्राचीन काल से होता आ रहा है. भांग को होली का एक अभिन्न अंग माना जा रहा है. बिना भांग के होली रंग मानो फिका है. हालांकि एक्सपर्ट की मानें तो कम मात्रा में इसका सेवन ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन ज्यादा पीने से शरीर पर बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है.

आखिर कैसे बनता है भांग? : भांग को बनाने के लिए इसके पौधे की पत्तियों और फूल का इस्तेमाल किया जाता है. पत्तियों और फूलों को पीसकर इसका गाढ़ा पेस्ट तैयार होता है. जिसमें दूध, चीनी और काजू-बादाम मिलाकर भांग की ठंडई बनती है. आयुर्वैदाचार्य की माने तो भांग में कई औषधीय गुन होते हैं. भांग पीने के बाद शरीर और मन शांत रहता है, बशर्ते इसका सेवन कम मात्रा में करें, जबकि अधिक मात्रा में भांग नशे का रूप धारण कर लेती है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट? : आखिर ऐसा क्या होता है भांग लोगों को बेफिक्र बना देता है. भांग का सेवन करने के बाद लोग हंस-हंस कर लोटपोट हो जाते हैं. जाने माने फिजिशियन डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी की मानें तो कम मात्रा में जो लोग भांग का सेवन करते हैं उनके लिए होली हैप्पी होगी, लेकिन ज्यादा भांग का सेवन जानलेवा हो सकता है. ज्यादा भांग खाने और पीने से सोचने समझने की क्षमता कम हो जाती है. ब्रेन पर इसका बुरा असर पड़ता है. बेचैनी, ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक का खतरा, सांस और कई तरह की समस्या होने लगती है.

डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी

क्या कहते हैं आर्युवेदाचार्य? : आयुर्वेद के जाने-माने चिकित्सक रामजी प्रसाद का कहना है ज्यादा भांग खाने और पीने के बाद दिमाग काम करना बंद कर देता है. इंसान के सोचने समझने की शक्ति कम हो जाती है. इसलिए आयुर्वेद में जड़ी बूटी के रूप में भांग का उपयोग किया जाता है. लेकिन भांग प्रतिदिन खाया जाए, सेवन किया जाए तो यह हर व्यक्ति के लिए हानिकारक है.

''भांग खाने और पीने के बाद आप खुश होने लगते है, इसके पीछे डोपामाइन हॉर्मोन काम करने लगता है. भांग की अधिक मात्रा शरीर में पहुंचते ही यह हॉर्मोन रिलीज होना शुरू होता है. यह मूड को नियंत्रित करना शुरू कर देता है, इसे सामान्य भाषा में हैप्पी हार्मोन भी कहते हैं.'' - रामजी प्रसाद, चिकित्सक, आयुर्वेद

होली पर क्यों पीते है भांग? : आखिर भांग पीने की परंपरा क्यों शुरू हुई. दरअसल, इसका वर्णन पौराणिक ग्रंथ शिव पुराण की कथा में मिलता है. भांग को महादेव (भगवान शिव) का पसंदीता पेय माना जाता है. कहा जाता है कि महादेव को भांग बहुत पसंद था. हिन्दू मान्यताओं की माने तो भांग भगवान शंकर और भगवान विष्णु की दोस्ती का प्रतीक है.

क्या है पौराणिक महत्व : आचार्य मनोज मिश्रा बताते हैं कि भांग पीने की परंपरा भगवान शिव और विष्णु से जुड़ी हुई है. राक्षस हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे. भगवान विष्णु को हिरण्यकश्यप अपना दुश्मन मानते थे. इसलिए अपने पुत्र के द्वारा भगवान विष्णु के नाम लिए जाने पर वह अपने पुत्र पर ही अत्याचार करता थे. उन्होंने कई बार मारने की कोशिश की, लेकिन हर बार नाकामयाब रहे. अंत में भगवान विष्णु हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए नरसिंह रूप धारण किया और उनका वध किया.

आचार्य मनोज मिश्रा

'इसलिए भगवान शिव को प्रिय है भांग': ऐसे माना जाता है कि हिरण्यकश्यप को मारने के बाद भगवान विष्णु का गुस्सा कम नहीं हुआ. उनके गुस्से को शांत करने के लिए भगवान शिव ने शरभ अवतार (आधा शरीर सिंह, आधा शरीर मनुष्य) लिया. इसके बाद भगवान विष्णु ने शिव जी को अपना आसन (छाल) अर्पित किया. इस खुशी को मनाने के लिए शिव गणों ने उत्सव मनाया और खूब भांग पिया. जिसके बाद से होली पर भांग पीने की परंपरा शुरू हुई.

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पटना : होली रंगों और खुशियों का त्योहार है. यह फाल्गुन महीने के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. होली में जब भांग का रंग चढ़ता है तब होली का खुमार और बढ़ता है. होली और भांग का रिश्ता भारतीय संस्कृति में सदियों पुराना है. भांग खाने के पीछे लोग अलग-अलग तथ्य बताते हैं पर हम आपको होली के मौके पर भांग खाने और पीने के पीछे कि दिलचस्प कहानी बता रहे है.

'भांग के बिना होली, ना बा-बा ना' : रंगों के इस त्यौहार पर भांग का इस्तेमाल प्राचीन काल से होता आ रहा है. भांग को होली का एक अभिन्न अंग माना जा रहा है. बिना भांग के होली रंग मानो फिका है. हालांकि एक्सपर्ट की मानें तो कम मात्रा में इसका सेवन ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन ज्यादा पीने से शरीर पर बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है.

आखिर कैसे बनता है भांग? : भांग को बनाने के लिए इसके पौधे की पत्तियों और फूल का इस्तेमाल किया जाता है. पत्तियों और फूलों को पीसकर इसका गाढ़ा पेस्ट तैयार होता है. जिसमें दूध, चीनी और काजू-बादाम मिलाकर भांग की ठंडई बनती है. आयुर्वैदाचार्य की माने तो भांग में कई औषधीय गुन होते हैं. भांग पीने के बाद शरीर और मन शांत रहता है, बशर्ते इसका सेवन कम मात्रा में करें, जबकि अधिक मात्रा में भांग नशे का रूप धारण कर लेती है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट? : आखिर ऐसा क्या होता है भांग लोगों को बेफिक्र बना देता है. भांग का सेवन करने के बाद लोग हंस-हंस कर लोटपोट हो जाते हैं. जाने माने फिजिशियन डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी की मानें तो कम मात्रा में जो लोग भांग का सेवन करते हैं उनके लिए होली हैप्पी होगी, लेकिन ज्यादा भांग का सेवन जानलेवा हो सकता है. ज्यादा भांग खाने और पीने से सोचने समझने की क्षमता कम हो जाती है. ब्रेन पर इसका बुरा असर पड़ता है. बेचैनी, ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक का खतरा, सांस और कई तरह की समस्या होने लगती है.

डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी

क्या कहते हैं आर्युवेदाचार्य? : आयुर्वेद के जाने-माने चिकित्सक रामजी प्रसाद का कहना है ज्यादा भांग खाने और पीने के बाद दिमाग काम करना बंद कर देता है. इंसान के सोचने समझने की शक्ति कम हो जाती है. इसलिए आयुर्वेद में जड़ी बूटी के रूप में भांग का उपयोग किया जाता है. लेकिन भांग प्रतिदिन खाया जाए, सेवन किया जाए तो यह हर व्यक्ति के लिए हानिकारक है.

''भांग खाने और पीने के बाद आप खुश होने लगते है, इसके पीछे डोपामाइन हॉर्मोन काम करने लगता है. भांग की अधिक मात्रा शरीर में पहुंचते ही यह हॉर्मोन रिलीज होना शुरू होता है. यह मूड को नियंत्रित करना शुरू कर देता है, इसे सामान्य भाषा में हैप्पी हार्मोन भी कहते हैं.'' - रामजी प्रसाद, चिकित्सक, आयुर्वेद

होली पर क्यों पीते है भांग? : आखिर भांग पीने की परंपरा क्यों शुरू हुई. दरअसल, इसका वर्णन पौराणिक ग्रंथ शिव पुराण की कथा में मिलता है. भांग को महादेव (भगवान शिव) का पसंदीता पेय माना जाता है. कहा जाता है कि महादेव को भांग बहुत पसंद था. हिन्दू मान्यताओं की माने तो भांग भगवान शंकर और भगवान विष्णु की दोस्ती का प्रतीक है.

क्या है पौराणिक महत्व : आचार्य मनोज मिश्रा बताते हैं कि भांग पीने की परंपरा भगवान शिव और विष्णु से जुड़ी हुई है. राक्षस हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे. भगवान विष्णु को हिरण्यकश्यप अपना दुश्मन मानते थे. इसलिए अपने पुत्र के द्वारा भगवान विष्णु के नाम लिए जाने पर वह अपने पुत्र पर ही अत्याचार करता थे. उन्होंने कई बार मारने की कोशिश की, लेकिन हर बार नाकामयाब रहे. अंत में भगवान विष्णु हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए नरसिंह रूप धारण किया और उनका वध किया.

आचार्य मनोज मिश्रा

'इसलिए भगवान शिव को प्रिय है भांग': ऐसे माना जाता है कि हिरण्यकश्यप को मारने के बाद भगवान विष्णु का गुस्सा कम नहीं हुआ. उनके गुस्से को शांत करने के लिए भगवान शिव ने शरभ अवतार (आधा शरीर सिंह, आधा शरीर मनुष्य) लिया. इसके बाद भगवान विष्णु ने शिव जी को अपना आसन (छाल) अर्पित किया. इस खुशी को मनाने के लिए शिव गणों ने उत्सव मनाया और खूब भांग पिया. जिसके बाद से होली पर भांग पीने की परंपरा शुरू हुई.

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