शिमला: हिमाचल में राज्यसभा चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग से उठे सियासी तूफान ने कांग्रेस की जड़े हिला दी हैं. प्रदेश में 1 जून को लोकसभा सहित 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, लेकिन अभी तक कांग्रेस प्रत्याशियों का चयन नहीं कर पाई है. खासकर कांग्रेस के जिन 6 विधायकों ने बागी होकर पासा पलट दिया है, उससे पार्टी में उम्मीदवारों का टोटा पड़ गया है. प्रदेश में साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जो चेहरे चुनाव जीते थे, उनमें से धर्मशाला से सुधीर शर्मा, सुजानपुर से राजेंद्र राणा, बड़सर से इंद्र दत्त लखनपाल, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर, गगरेट से चैतन्य शर्मा व कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो अब बागी होकर भाजपा में शामिल हो चुके हैं.
कांग्रेस के 6 बागियों ने थामा बीजेपी का हाथ: वहीं, राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग से हर्ष महाजन की जीत को आसान बनाने वाले कांग्रेस के इन 6 बागियों को भाजपा ने उपचुनाव के लिए टिकट भी थमा दिया है. ऐसे में अब कांग्रेस के सामने उनके खिलाफ प्रत्याशी ढूंढना भी एक बड़ी चुनौती है. वहीं, लोकसभा चुनाव के लिए प्रतिभा सिंह से लेकर कौल सिंह ठाकुर जैसे नेता चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं. इससे कांग्रेस को अब प्रत्याशियों के चयन के लिए पसीना बहाना पड़ रहा है. उधर बीजेपी ने चारों लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार तय कर दिए हैं.
हिमाचल में कांग्रेस को नहीं मिल रहे उम्मीदवार: हिमाचल में 1 जून को लोकसभा सहित विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान होना है, लेकिन प्रदेश की सत्ता में काबिज कांग्रेस को लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव के लिए सशक्त उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं. वर्ष 2022 में हाथ के चुनाव चिन्ह पर विधायक बने अब उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार बनकर कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. बागियों के पाला बदल देने से विधानसभा उपचुनाव अब कांग्रेस का प्रत्याशी कौन हो सकता है, इसको लेकर मंथन चल रहा है. वहीं, बागियों को टिकट देने के बाद भाजपा में सुलगी बगावत की चिंगारी पर भी कांग्रेस की नजर है. भाजपा से नाराज लोगों पर भी कांग्रेस डोरे डालने का प्रयास कर रही है. ऐसे में भाजपा असंतुष्टों को मनाने में कितनी सफल रहती है, कांग्रेस के लिए ये काफी महत्वपूर्ण रहने वाला हैं.
सिटिंग विधायकों को उतारने से सरकार पर मंडरा सकता है खतरा: हिमाचल में चार लोकसभा सीटों के लिए चुनाव होने है. इसमें मंडी संसदीय सीट से कांग्रेस के बड़े चेहरे प्रतिभा सिंह और कौल सिंह ठाकुर चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं. इसी तरह से शिमला संसदीय सीट से विधायक विनोद सुल्तानपुरी, अमित नंदा, स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल का नाम चल रहा है. वहीं हमीरपुर संसदीय सीट पर पूर्व विधायक सतपाल रायजादा का नाम पैनल में है. इसके अलावा कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से विधायक रघुवीर सिंह बाली और पूर्व मंत्री आशा कुमारी का नाम लोकसभा चुनाव प्रत्याशियों के तौर पर चल रहा है. लेकिन दिक्कत ये है कि शिमला और कांगड़ा से कांग्रेस सिटिंग एमएलए को लोकसभा चुनाव उतारने का खतरा नहीं उठा सकती है. इससे विधानसभा के लिए जरूरी संख्या बल का गणित गड़बड़ा सकता है. जिससे सरकार पर खतरा मंडरा सकता है. वहीं, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस चारो खाने चित्त हो गई थी. इन दोनों की. लोकसभा चुनाव में चली मोदी की आंधी से कांग्रेस प्रत्याशी लाखों वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे. ऐसे में इस बार के माहौल को देखते हुए कांग्रेसी चुनाव लड़ने से परहेज कर रहे हैं. ये भी एक कारण है कि अभी तक पार्टी चुनाव रण में अपने योद्धाओं कि नहीं उतार पा रही है.
बीजेपी ने ढाई महीने फाइनल कर दिए उम्मीदवार: लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव के ऐलान के बाद भाजपा ने ढाई महीने पहले की उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर दिए हैं. इस तरह से प्रत्याशियों के चयन को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालने का प्रयास किया है. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी उतारने में पिछड़ गई है. अभी उम्मीदवारों के चयन को लेकर पार्टी बैठकों में ही व्यस्त है. भाजपा ने चारों लोकसभा सीटों में उम्मीदवार उतार दिए हैं. जिन्होंने अपना संपर्क अभियान भी शुरू कर दिया है. भाजपा ने मंडी से बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत, शिमला से सुरेश कश्यप, हमीरपुर से अनुराग ठाकुर और कांगड़ा से डॉ. राजीव भारद्वाज को चुनाव मैदान में उतारा है. इसी तरह से छह विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस के बागियों को भाजपा ने टिकट दिया है. इसमें धर्मशाला से सुधीर शर्मा, सुजानपुर से राजेंद्र राणा, कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो, बड़सर से इंद्र दत्त लखनपाल, गगरेट से चैतन्य शर्मा व लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर को कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार उतारा गया है.
वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि कांग्रेस के अपने सीमित संसाधन है. ऐसे में पार्टी सोच विचार से ही कोई कदम उठाना चाह रही है. जिस कारण लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के चयन में देरी हो रही हैं. वहीं, जिन 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं, इसमें चार सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस के स्थापित चेहरे बागी होकर भाजपा में चले गए हैं. जिसमें धर्मशाला से सुधीर शर्मा चार बार विधायक रह चुके हैं. इसी तरह से सुजानपुर से राजेंद्र राणा तीन बार के विधायक हैं. वहीं बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल भी तीन बार विधानसभा चुनाव जीते हैं. लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर भी दो बार विधायक चुने जा चुके हैं. ऐसे में स्थापित नेताओं की जगह कांग्रेस को नए चेहरे तलाशने में देरी हो रही रही है. उनका कहना कि कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक के बाद अब अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक कांग्रेस लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर सकती है.
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