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'न्यायिक प्रक्रिया से लोग इतने तंग आ चुके हैं कि वे महज समझौता चाहते हैं': सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ - CJI favours Lok Adalats in SC

CJI favours Lok Adalats in SC : सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट में आयोजित लोक अदालत एक महान सीखने का अनुभव था और लोगों के मूड से यह स्पष्ट था कि वे अदालती प्रक्रिया से निराश हो गए थे और कई लोग नियमित अदालती प्रक्रिया से बचने के इच्छुक थे.

CJI favours Lok Adalats in SC
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ (ANI)
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By Sumit Saxena

Published : Aug 3, 2024, 7:48 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र के रूप में लोक अदालतों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लोग अदालतों के मामलों से 'इतने तंग' आ गए हैं कि वे बस समझौता चाहते हैं. लोक अदालतें ऐसा मंच हैं जहां न्यायालयों में लंबित या मुकदमेबाजी से पहले के विवादों और मामलों का निपटारा या सौहार्दपूर्ण ढंग से समझौता किया जाता है. पारस्परिक रूप से स्वीकृत समझौते के विरुद्ध कोई अपील दायर नहीं की जा सकती.

चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष लोक अदालत सप्ताह के उपलक्ष्य में कहा, 'लोग इतना परेशान हो जाते हैं अदालत के मामलों से कि वे कोई भी समझौता चाहते हैं… बस अदालत से दूर करा दीजिए। यह प्रक्रिया ही सजा है और यह हम सभी न्यायाधीशों के लिए चिंता का विषय है.' मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें हर स्तर पर लोक अदालत के आयोजन में बार और बेंच सहित सभी से जबरदस्त समर्थन और सहयोग मिला.

चंद्रचूड़ ने कहा कि जब लोक अदालत के लिए पैनल गठित किए गए थे तो यह सुनिश्चित किया गया था कि प्रत्येक पैनल में दो न्यायाधीश और बार के दो सदस्य होंगे. चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्हें सचमुच में लगता है कि सुप्रीम कोर्ट भले ही दिल्ली में स्थित हो, लेकिन यह दिल्ली का उच्चतम न्यायालय नहीं है. यह भारत का सुप्रीम कोर्ट है. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'लोक अदालत का उद्देश्य लोगों के घरों तक न्याय पहुंचाना और लोगों को यह सुनिश्चित करना है कि हम उनके जीवन में निरंतर मौजूद हैं.'

सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि इसका उद्देश्य संस्था पर अधिवक्ताओं को स्वामित्व देना था क्योंकि यह कोई ऐसी संस्था नहीं है जो केवल न्यायाधीशों द्वारा चलाई जाती है, और यह न्यायाधीशों की, न्यायाधीशों के लिए, न्यायाधीशों द्वारा संचालित संस्था नहीं है. सीजेआई ने कहा, "हम एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखते हैं. उन्होंने कहा कि शुरुआत में लोक अदालत सात पीठों के साथ शुरू हुई और 'गुरुवार तक हमारे पास 13 पीठें थीं और बहुत सारा काम था".

सुप्रीम कोर्ट ने लंबित मामलों को कम करने के लिए शीर्ष अदालत की स्थापना के 75 साल पूरे होने के अवसर पर 3 अगस्त तक विशेष लोक अदालत का आयोजन किया. इस मौके पर कानून मंत्री अर्जुन सिंह मेघवाल भी मौजूद थे. शीर्ष अदालत के एक सूत्र के अनुसार, विशेष लोक अदालत के लिए चौदह हजार मामलों का चयन किया गया और 4,883 मामलों को सूचीबद्ध किया गया और 920 मामलों का निपटारा किया गया.

ये भी पढ़ें: कर्नाटक: जजों की अन्य उच्च न्यायालयों में नियुक्ति के लिए CJI को पत्र

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र के रूप में लोक अदालतों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लोग अदालतों के मामलों से 'इतने तंग' आ गए हैं कि वे बस समझौता चाहते हैं. लोक अदालतें ऐसा मंच हैं जहां न्यायालयों में लंबित या मुकदमेबाजी से पहले के विवादों और मामलों का निपटारा या सौहार्दपूर्ण ढंग से समझौता किया जाता है. पारस्परिक रूप से स्वीकृत समझौते के विरुद्ध कोई अपील दायर नहीं की जा सकती.

चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष लोक अदालत सप्ताह के उपलक्ष्य में कहा, 'लोग इतना परेशान हो जाते हैं अदालत के मामलों से कि वे कोई भी समझौता चाहते हैं… बस अदालत से दूर करा दीजिए। यह प्रक्रिया ही सजा है और यह हम सभी न्यायाधीशों के लिए चिंता का विषय है.' मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें हर स्तर पर लोक अदालत के आयोजन में बार और बेंच सहित सभी से जबरदस्त समर्थन और सहयोग मिला.

चंद्रचूड़ ने कहा कि जब लोक अदालत के लिए पैनल गठित किए गए थे तो यह सुनिश्चित किया गया था कि प्रत्येक पैनल में दो न्यायाधीश और बार के दो सदस्य होंगे. चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्हें सचमुच में लगता है कि सुप्रीम कोर्ट भले ही दिल्ली में स्थित हो, लेकिन यह दिल्ली का उच्चतम न्यायालय नहीं है. यह भारत का सुप्रीम कोर्ट है. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'लोक अदालत का उद्देश्य लोगों के घरों तक न्याय पहुंचाना और लोगों को यह सुनिश्चित करना है कि हम उनके जीवन में निरंतर मौजूद हैं.'

सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि इसका उद्देश्य संस्था पर अधिवक्ताओं को स्वामित्व देना था क्योंकि यह कोई ऐसी संस्था नहीं है जो केवल न्यायाधीशों द्वारा चलाई जाती है, और यह न्यायाधीशों की, न्यायाधीशों के लिए, न्यायाधीशों द्वारा संचालित संस्था नहीं है. सीजेआई ने कहा, "हम एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखते हैं. उन्होंने कहा कि शुरुआत में लोक अदालत सात पीठों के साथ शुरू हुई और 'गुरुवार तक हमारे पास 13 पीठें थीं और बहुत सारा काम था".

सुप्रीम कोर्ट ने लंबित मामलों को कम करने के लिए शीर्ष अदालत की स्थापना के 75 साल पूरे होने के अवसर पर 3 अगस्त तक विशेष लोक अदालत का आयोजन किया. इस मौके पर कानून मंत्री अर्जुन सिंह मेघवाल भी मौजूद थे. शीर्ष अदालत के एक सूत्र के अनुसार, विशेष लोक अदालत के लिए चौदह हजार मामलों का चयन किया गया और 4,883 मामलों को सूचीबद्ध किया गया और 920 मामलों का निपटारा किया गया.

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