करनाल: भारत सरकार ने इस साल 114 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का टारगेट रखा है. गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने भी उम्मीद जताई है कि भारत इस बार 114 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन करके एक नया रिकॉर्ड बनाएगा. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक भारत गेहूं उत्पादन में विश्व में दूसरे नंबर पर आता है. विश्व में गेहूं उत्पादन में पहला स्थान चीन का है. जिसने 2022-23 में 134 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन किया था.
गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने बताया कि भारत ने 2022-23 में 110 मिलियन टन से ज्यादा गेहूं का उत्पादन किया था. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस साल भारत 114 मिलियन टन से ज्यादा का गेहूं उत्पादन कर नया कीर्तिमान स्थापित करेगा. कृषि वैज्ञानिकों ने ये भी उम्मीद जताई कि भारत में गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर कर चीन को पछाड़ा जा सकता है.
34 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बुवाई: गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के डायरेक्टर डॉक्टर ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया "हमारे देश में पिछले साल 33 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बुवाई की गई थी. जिससे हमने 110.6 मिलियन टन गेहूं उत्पादन किया था. इस साल गेहूं का रकबा पहले से बढ़ा है. इस बार देश में 34 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई की गई है. हमारा अनुमान है कि हम इस वर्ष 114 मिलियन टन गेहूं उत्पादन करेंगे. फिलहाल विश्व में गेहूं उत्पादन की हमारी 15 से 18% भागीदारी है."
चीन गेहूं उत्पादन में पहले नंबर पर: संस्थान के डायरेक्टर ने बताया कि "चीन में गेहूं की फसल का समय भारत की फसल से लगभग डेढ़ गुना ज्यादा है. वहां पर गेहूं की बिजाई भारत से कम क्षेत्रफल में की गई है. भारत में 34 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई की गई है, जबकि चीन में 25 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई की गई है. वैदर और मिट्टी के अनुसार वहां पर ज्यादा समय में गेहूं की फसल पक कर तैयार होती है, जबकि भारत में गेहूं कम अवधि की फसल है. जिसके चलते कम समय में हमारे गेहूं पककर तैयार हो जाती है और उसकी कटाई हो जाती है. अगर प्रतिदिन उत्पादकता की बात करें तो गेहूं उत्पादन में भारत पूरे विश्व में नंबर वन पर आता है."
'मौसम के अनुसार तैयार की गई बुवाई': संस्थान के डायरेक्टर ने बताया कि "मौसम के अनुसार तैयार की गई किस्म से उत्पादन में बढ़ोतरी होती है. देश में 80% भूमि पर क्लाइमेट के अनुसार बिजाई की गई है. जितने भी भारत में गेहूं संस्थान स्थापित किए गए हैं. वहां के वैज्ञानिक इस पर लगातार काम कर रहे हैं. हमारे देश के वैज्ञानिकों ने गेहूं के नए-नए बीज तैयार किए हैं. ये सभी हमने भारत की जलवायु के अनुसार तैयार किए हैं. जिस क्षेत्र में जैसी जलवायु होती है. उसके अनुसार ही बीज को तैयार किया जाता है. इस बार पूरे देश में जलवायु के अनुसार 80% गेहूं के बीज की बुवाई की गई है."
गेहूं के बीज में बीमारियों से लड़ने की क्षमता: गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के डायरेक्टर डॉक्टर ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया "हमारे वैज्ञानिकों के द्वारा सिर्फ मौसम के अनुसार ही बीज तैयार नहीं किए गए, ऐसे बीज भी तैयार किए गए हैं. जिसमें बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है. येलो रस्ट बीमारी की बात की जाए, तो वो दिसंबर जनवरी के महीने में ही हमारी फसलों को अपना शिकार बना लेती थी, लेकिन इस बार इस महीने में ये बीमारी नहीं देखने को मिली. फरवरी में ही कुछ जगह पर येलो रस्ट बीमारी देखने को मिली है, लेकिन उसका इतना प्रभाव नहीं है. जिसके चलते हमारा उत्पादन पहले से अच्छा होगा."
'विश्व में नंबर वन बनने का लक्ष्य': गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के डायरेक्टर डॉक्टर ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया "थोड़ी और मेहनत करने से कुछ सालों बाद हम गेहूं उत्पादन में विश्व में नंबर वन हो सकते हैं. हमें उम्मीद है कि कुछ ही सालों में हम अपनी पैदावार को और भी ज्यादा बढ़ा सकते हैं. जिसके चलते हम विश्व में गेहूं में नंबर वन बन सकते हैं. हालांकि जितना हमारा गेहूं का क्षेत्रफल है. हम उस तक ही सीमित रहेंगे, क्योंकि अब हमने गेहूं से मिलेट्स पर ज्यादा जोर दिया है, लेकिन फिर भी हमारा पूरा प्रयास है कि हम ऐसा काम करें कि हम इतने रकबे में ही अच्छा उत्पादन लें और विश्व में नंबर वन बनें."