पटनाः 'यूपीएससी में बिहार का जलवा', जब जब UPSC CSE का रिजल्ट आता है तो अखबरों, टीवी चैनलों और न्यूज पोर्टलों में यह हेडलाइन देखने को मिलता है. यह गर्व की बात जरूर है कि देश में सबसे ज्यादा IAS-IPS बिहार-यूपी से निकलते हैं लेकिन पिछले कुछ वर्षों में परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या घटने लगी है. आखिर इसका क्या कारण है? इसको लेकर बिहार के शिक्षाविद ने बड़ा कारण बताया.
180 से 32 पर आ गई संख्याः पिछले वर्ष 2022 यूपीएससी रिजल्ट में बिहार से 68 उम्मीदवार चयनित हुए थे लेकिन UPSC CSE 2023 में मात्र 32 अभ्यर्थियों का ही चयन हुआ है. टॉप टेन में हिंदी मीडियम के कोई छात्र नहीं हैं. 5 वर्ष पहले अगर साल 2019 के रिजल्ट की बात करें तो 829 सीटों में 180 कैंडिडेट बिहार से चयनित हुए थे.
हिंदी मीडियम स्टूडेंट्स पिछड़ रहेः यूपीएससी के रिजल्ट में गिरावट पर शिक्षाविद गुरु रहमान बताते हैं कि पहले बिहार में तैयारी करने वाले हिंदी मीडियम स्टूडेंट्स की संख्या अधिक होती थी और अभी भी है लेकिन यह परीक्षा क्वालीफाई नहीं कर पा रहे. यूपीएससी के रिजल्ट में हिंदी मीडियम के छात्रों की संख्या लगातार कम हो रही है.
सीसैट पैटर्न में बदलाव कारणः साल 2011 में सीसैट पैटर्न में हुए बदलाव के बाद 2021 में टॉप 20 में मात्र दो विद्यार्थी हिंदी माध्यम से थे. साल 2020 में टॉप 100 में हिंदी मीडियम का एक भी कैंडिडेट जगह नहीं बना पाए थे. इस बार 2023 के रिजल्ट में 32 कैंडिडेट का रिजल्ट आया है. उसमें हिंदी मीडियम का मात्र एक कैंडिडेट हैं.
इस साल हिंदी माध्यम से बिहार से मात्र एक कैंडिडेटः इस बार यूपीएससी में 1016 कैंडीडेट्स सफल हुए इसमें हिंदी मीडियम से मात्र 42 ही सफल हो सके जिसमें राजस्थान से सबसे अधिक 18 कैंडिडेट सफल हुए. उत्तर प्रदेश से 12 अभ्यर्थी लेकिन इन सब में बिहार काफी पीछे है. बिहार से मात्र एक कैंडिडेट हिंदी माध्यम से परीक्षा पास करने में कामयाब रहे.
"बिहारी छात्रों के यूपीएससी में कम चयनित होने के कई कारण हैं. प्राथमिक शिक्षा से लेकर स्नातक शिक्षा तक शैक्षिक गुणवत्ता में बीते दो दशकों में काफी गिरावट आई है. इसके अलावा सी-सैट एडवांस लेवल पर बिहार के छात्रों के प्रदर्शन को रोक रहा है. यूपीएससी का प्रश्न पत्र अंग्रेजी में तैयार होता है इसके बाद उसका हिंदी में अनुवाद किया जाता है, जिसमें कई बार अनुवाद वाली भाषा की शब्द प्रश्न के भावार्थ बदल देते हैं. कॉपी चेक करने वाले अधिकांशत अंग्रेजी माध्यम के होते हैं जिस कारण छात्रों को मार्क्स नहीं आता है." -गुरु रहमान, पटना के शिक्षक
यूट्यूब पर शिक्षकों की भरमार बड़ा कारणः गुरु रहमान ने बताया कि कोरोना के बाद रिजल्ट में काफी गिरावट देखने को मिली. यूट्यूब पर ढेर सारे शिक्षक आ गए हैं. जो यूपीएससी का प्रीलिम्स नहीं दिया वह भी छात्रों को क्वालीफाई कराने का दावा ठोकते हैं. शिक्षक बात बनाते हैं और फीस कम रखते हैं, जिससे छात्र इसमें उलझ जाते हैं. इन सब के अलावा बाजार में जो नोट्स उपलब्ध है इस पर छात्र अधिक भरोसा कर रहे हैं.
यूपीएससी के सिलेबस को देखेंः गुरु रहमान ने बताया कि यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों को समसामयिक आर्थिक और राजनीतिक विषयों का तुलनात्मक अध्ययन होना जरूरी है. जो यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए जरूरी है कि यूपीएससी के सिलेबस को देखें और मूल पुस्तकों को पढ़ने पर अधिक फोकस करें. एनसीईआरटी और डीडी बासु के लिखे संविधान की पुस्तक को पढ़ें.
यूट्यूब चैनलों के बहकावे में ना आएंः गुरुर रहमान ने साफ-साफ कहा कि छात्र जो पढ़े उसे अपने शब्दों में लिखने की आदत डालें. हिदायत भी दी कि यूपीएससी क्वालीफाई कराने का झांसा देने वाले यूट्यूब चैनलों के बहकावे में ना आएं. जो शिक्षक यूपीएससी की पूर्व से तैयारी करते रहे हैं और उनका रिजल्ट अच्छा रहा है. उनपर पर भरोसा करना छात्रों के लिए भी बेहतर होगा.
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