चंडीगढ़: वैस्कुलाइटिस यानी वाहिकाशोध एक रेयर डिजीज के तौर पर जानी जाती है. वहीं, वैस्कुलाइटिस की बीमारी से संबंधी जानकारी ने होने से मरीज को इसके भयानक परिणाम का सामना करना पड़ सकता है. लोगों में इस बीमारी के प्रति कम जानकारी होने के चलते मई माह को इंटरनेशनल वैस्कुलाइटिस महीने के रूप में मनाया जाता है.
चंडीगढ़ पीजीआई में 500 मरीज रजिस्टर्ड: चंडीगढ़ पीजीआई में इस बीमारी से जूझ रहे हजारों लोग अपना इलाज करवा रहे हैं. इस बीमारी से जुड़ा एक समूह भी बनाया गया है. ये समूह इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को जागरूकता के साथ हर संभव मदद पहुंचा रहा है. चंडीगढ़ पीजीआई में इस बीमारी के करीब 500 से ज्यादा मरीज रजिस्टर्ड हैं जो रेगुलर यहां आकर अपना इलाज करवा रहे हैं.
डॉ. अमित ने की जानकारी साझा: चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर वैस्कुलाइटिस के प्रति जागरूकता बढ़ाने संबंधी अभियान भी चला रहे हैं. निजी अस्पतालों के मुकाबले आम लोगों को पीजीआई में सस्ती दरों पर इलाज मुहैया करवाया जा रहा है. इस संबंध में ईटीवी भारत से पीजीआई के आंतरिक चिकित्सा विभाग के रूमेटोलॉजी विंग में प्रोफेसर डॉ. अमित शर्मा ने इस बीमारी के विषय में विस्तार से अधिक जानकारी साझा की है.
क्या है रक्तवाहिका?: डॉक्टर अमन शर्मा ने बताया कि रक्त वाहिकाएं धमनियों और शिराओं का एक विशाल नेटवर्क है. जो हृदय से सभी अंगों तक रक्त पहुंचाता है और फिर रक् को वापस हृदय की ओर धकेलता है. वैस्कुलाइटिस एक रेयर डिजीज है. ये दुर्लभ बीमारियों का एक समूह है. जो रक्त वाहिकाओं में सूजन और उन्हें खराब करने का कारण बनता है. वैस्कुलाइटिस के कारण होने वाली सूजन रक्त वाहिकाओं (एंडोठेलियम) या धमनी या शिरा की दीवार को प्रभावित कर सकती है. सबसे बड़ी धमनी से लेकर सबसे छोटी वाहिका तक कोई भी वाहिका इसमें शामिल हो सकती है. क्षतिग्रस्त रक्त वाहिकाओं में रक्त प्रवाह में कमी रक्त प्रवाह की कमी के कारण आज शंकर या पूर्व अंग विफल हो सकता है. कमजोर रक्त वाहिकाओं की दीवार के टूटने से रक्तचाप हो सकता हैं.
किस उम्र में होता है ज्यादा प्रभाव?: वैस्कुलाइटिस स्त्री-पुरुष दोनों में 40 से ज्यादा उम्र में देखा जाता है. हाल ही में बच्चों से लेकर वयस्कों तक व व्यापक आयु वर्ग को प्रभावित कर रहा है. इसके कई अलग-अलग प्रकार हैं. जिनमें से कुछ अलग-अलग आयु समूहों के लिए पूर्वाग्रह रखते हैं. जैसे विशाल कोशिका धमनीशोथ वृद्ध रोगियों को प्रभावित करता है.
क्या है बीमारी की वजह?: डॉक्टर अमन ने बताया कि इस संबंध में कोई भी ठोस उत्तर नहीं दिया जा सकता है. कभी-कभी हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी जैसे संक्रमण इस बीमारी के कुछ प्रकार का कारण बन सकते हैं. कभी-कभी ये किसी दवा या कोकीन की प्रतिक्रिया के रूप में विकसित हो सकते हैं. इनमें से कुछ की आनुवंशिक प्रवृत्ति को हाल ही में ADA2 जीन उत्परिवर्तन के कारण DADA2 पॉली आर्थराइटिस नोडोसा के रूप में पहचाना गया है.
बीमारी को पहचाना मुश्किल: वैस्कुलाइटिस बीमारी को पहचानना बहुत मुश्किल है. ज्यादातर मरीजों में यह आंखों पर असर छोड़ती है. जिसके चलते रोशनी चले जाने का खतरा बना रहता है. मरीज इस बीमारी में उलझे रहते हैं. कोई आंखों के डॉक्टरों को दिखाता है तो कोई न्यूरोलॉजी के डॉक्टर को परेशानी बताता है. क्योंकि आम लोगों को इस बीमारी को समझने में मुश्किल आती है. इसका बड़ा कारण है कि लोगों को इसके प्रति जानकारी कम होती है.
क्या है बीमारी के लक्षण?: इस बीमारी को पहचानना बेहद ही मुश्किल है. विशेषज्ञों की मानें तो सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, खांसी, हाथ-पांव में झनझनाहट महसूस होना, त्वचा पर चकत्ते होना, वजन घटना, बुखार और थकान लगातार रहना, जोड़ों में दर्द लगातार रहना, पेट दर्द होना, किडनी की समस्या रहने से पेशाब का रंग गहरा होना, पेशाब में खून आना इस बीमारी के मुख्य लक्षण है.
बीमारी की पुष्टि: कभी-कभी वैस्कुलाइटिस का निदान करना काफी कठिन होता है. लेकिन अंतिम निदान के लिए बायोप्सी लेने या इमेजिंग अध्ययन करने की आवश्यकता हो सकती है. आमतौर पर की जाने वाली बायोप्सी में त्वचा, टेम्पोरल धमनी, किडनी, सरल तंत्रिका और शायद ही कभी खुले फेफड़े की बायोप्सी होती है. एएनसीए जैसे रक्त परीक्षण है, जो निदान करने में मदद करते हैं.
वैस्कुलाइटिस समूह कर रहा मरीजों की मदद: इस तरह के मरीजों के लिए वैस्कुलेटर समिति बनाई गई है. जिसका गठन एक पीड़ित पूजा गोयल की ओर से किया गया है. इस बीमारी से ग्रस्त होने के बावजूद भी वह रोगियों को सहायता समूह बनाते हुए. इस बीमारी से जूझ रहे लोगों की मदद कर रही है. उनका उद्देश्य है कि वह डॉक्टर और रोगियों को इस बीमारी के बारे में शिक्षित करें. पूजा ने इस समिति के माध्यम से इलाज से लेकर वित्तीय सहायता तक प्रदान की है. आज इस समूह से कई मरीजों को नया जीवन की और बढ़ रहे है. अब तक इस समूह से 70 लोग जुड़े हुए हैं.