नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) की मीटिंग में शामिल होने के लिए सऊदी अरब की राजधानी रियाद पहुंच चुके हैं. रियाद पहुंचने पर सऊदी के प्रोटोकॉल डिपार्टमेंट के डिप्टी मिनिस्टर अब्दुल मजीद अल स्मारी ने उनका स्वागत किया.
विदेश मंत्रालय ने बताया कि एस जयशंकर सऊदी की दो दिवसीय यात्रा के दौरान गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल मेंबर्स के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे. वह बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के विदेश मंत्री के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें करेंगे.
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, भारत और जीसीसी के बीच राजनीतिक, व्यापार और निवेश, ऊर्जा सहयोग, सांस्कृतिक और लोगों के बीच आपसी संबंधों सहित कई क्षेत्रों में गहरे और बहुआयामी संबंध हैं.
गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल क्या है?
बता दें कि GCC एक क्षेत्रीय संगठन है. इसकी स्थापना 1981 में हुई थी. यह खाड़ी देशों का संगठन है. सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), कतर, बहरीन और ओमान जीसीसी का हिस्सा है. इसका हेडक्वार्टर सऊदी अरब की राजधानी रियाद में है.
कैसे काम करती है जीसीसी?
GCC के तीन हिस्से हैं. पहला है सुप्रीम काउंसिल. यह इसका सबसे अहम विंग है. सभी देशों के हेड ऑफ स्टेट इसके मेंबर हैं. साल में एक बार जीसीसी की मीटिंग होती है.इसमें हर फैसला बहुमत से लिया जाता है. इसके अलावा इसकी एक मिनिस्टीरियल काउंसिल भी है. इसमें सदस्य देशों के विदेश मंत्री मेंबर होते हैं. ये हर 3 महीने पर मिलते हैं. इसके अलावा इसका एक सेक्रेटेरिएट जनरल होता है, जो बजट से लेकर तमाम रिपोर्ट तैयार करता है.
भारत के लिए क्यों अहम है GCC
GCC के सदस्य भारत के लिए आर्थिक और सामरिक रूप से बहुत अहम हैं. जीसीसी के सदस्य देश भारत के कुल क्रूड ऑयल का 34 फीसदी हिस्सा सप्लाई करते हैं. वित्तीय वर्ष 2022-23 में जीसीसी के साथ भारत का व्यापार, कुल व्यापार का 15.8% था. जीसीसी के साथ भारत का व्यापार सालाना 100 बिलियन डॉलर से अधिक है.
वहीं, वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान भारत-जीसीसी द्विपक्षीय व्यापार 161.59 बिलियन डॉलर रहा. वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का निर्यात 56.3 बिलियन डॉलर था, जबकि भारत का आयात 105.3 बिलियन डॉलर था. इतना ही नहीं, जीसीसी देशों में रहने वाले भारतीय प्रवासी हर साल भारत को अरबों डॉलर की धनराशि भेजते हैं, जो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है.
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