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दिल्ली रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए को फटकार लगाई, बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण का दिया प्रस्ताव - Supreme Court On Felling Of Trees

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By Sumit Saxena

Published : Jun 24, 2024, 7:28 PM IST

Supreme Court On Felling Of Trees: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के उपाध्यक्ष से इस बारे में स्पष्ट बयान मांगा. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में पेड़ों की कटाई की बेशर्मी से की जा रही इस हरकतों को हल्के में नहीं लिया जा सकता है.

The Supreme Court reprimanded the DDA
सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए को फटकार लगाई (ANI)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के उपाध्यक्ष से रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के संबंध में ‘स्पष्ट’ बयान मांगा. कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या पेड़ों की कटाई अदालत की अनुमति के बिना उपराज्यपाल के आदेश पर की गई. सर्वोच्च न्यायालय ने आगे कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह की हरकतों को हल्के में नहीं लिया जा सकता.

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की अवकाश पीठ ने डीडीए की कार्रवाइयों की गहन जांच का प्रस्ताव रखा, जिसके कारण पेड़ों को नुकसान पहुंचा और परिणामस्वरूप पर्यावरण का क्षरण हुआ. पीठ ने कहा कि राजधानी शहर में इस तरह की हरकतों को इस अदालत द्वारा हल्के में नहीं लिया जा सकता है. यदि अधिकारी पर्यावरण की रक्षा के अपने वैधानिक और संवैधानिक कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं, तो अदालत को सभी अधिकारियों को स्पष्ट संकेत देना होगा कि पर्यावरण को इस तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है.

शीर्ष अदालत ने डीडीए के चार वरिष्ठ अधिकारियों को अवमानना ​​नोटिस भी जारी किया. शीर्ष अदालत ने कहा कि हम उपाध्यक्ष को निर्देश देते हैं कि वह अदालत के समक्ष बताएं कि क्या 3 फरवरी को उपराज्यपाल के साइट दौरे और एलजी के दौरे पर क्या हुआ, इस बारे में कोई आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध है. हमें उपाध्यक्ष से तथ्यों का स्पष्ट विवरण चाहिए, क्योंकि अगर ईमेल में जो संकेत दिया गया है वह सही है, तो पेड़ों की कटाई एलजी के निर्देश पर हुई थी. हम उम्मीद करते हैं कि डीडीए इस पहलू पर स्पष्ट होगा.

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान के लिए निर्देश जारी करने का भी प्रस्ताव रखा. डीडीए और अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को इस मामले में अदालत की सहायता करने के लिए कहा गया है. मामले की अगली सुनवाई 26 जून को होगी.

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने छतरपुर से साउथ एशियन यूनिवर्सिटी तक सड़क निर्माण के लिए दक्षिणी रिज के सतबारी इलाके में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए डीडीए के उपाध्यक्ष सुभाषिश पांडा के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​का नोटिस जारी किया था. अदालत ने उपाध्यक्ष द्वारा दायर एक भ्रामक हलफनामे पर नाराजगी व्यक्त की थी, जिसमें अदालत के समक्ष गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए थे. इसके अतिरिक्त, अदालत ने डीडीए द्वारा काटे गए प्रत्येक पेड़ के बदले 100 नए पेड़ लगाने का आदेश दिया.

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न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की अवकाश पीठ ने डीडीए की कार्रवाइयों की गहन जांच का प्रस्ताव रखा, जिसके कारण पेड़ों को नुकसान पहुंचा और परिणामस्वरूप पर्यावरण का क्षरण हुआ. पीठ ने कहा कि राजधानी शहर में इस तरह की हरकतों को इस अदालत द्वारा हल्के में नहीं लिया जा सकता है. यदि अधिकारी पर्यावरण की रक्षा के अपने वैधानिक और संवैधानिक कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं, तो अदालत को सभी अधिकारियों को स्पष्ट संकेत देना होगा कि पर्यावरण को इस तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है.

शीर्ष अदालत ने डीडीए के चार वरिष्ठ अधिकारियों को अवमानना ​​नोटिस भी जारी किया. शीर्ष अदालत ने कहा कि हम उपाध्यक्ष को निर्देश देते हैं कि वह अदालत के समक्ष बताएं कि क्या 3 फरवरी को उपराज्यपाल के साइट दौरे और एलजी के दौरे पर क्या हुआ, इस बारे में कोई आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध है. हमें उपाध्यक्ष से तथ्यों का स्पष्ट विवरण चाहिए, क्योंकि अगर ईमेल में जो संकेत दिया गया है वह सही है, तो पेड़ों की कटाई एलजी के निर्देश पर हुई थी. हम उम्मीद करते हैं कि डीडीए इस पहलू पर स्पष्ट होगा.

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान के लिए निर्देश जारी करने का भी प्रस्ताव रखा. डीडीए और अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को इस मामले में अदालत की सहायता करने के लिए कहा गया है. मामले की अगली सुनवाई 26 जून को होगी.

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने छतरपुर से साउथ एशियन यूनिवर्सिटी तक सड़क निर्माण के लिए दक्षिणी रिज के सतबारी इलाके में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए डीडीए के उपाध्यक्ष सुभाषिश पांडा के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​का नोटिस जारी किया था. अदालत ने उपाध्यक्ष द्वारा दायर एक भ्रामक हलफनामे पर नाराजगी व्यक्त की थी, जिसमें अदालत के समक्ष गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए थे. इसके अतिरिक्त, अदालत ने डीडीए द्वारा काटे गए प्रत्येक पेड़ के बदले 100 नए पेड़ लगाने का आदेश दिया.

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