देहरादून (उत्तराखंड): सूबे में मानसून की बौछार जारी है. कई जिलों में दो दिनों से लगातार बारिश हो रही है. मूसलाधार बारिश की वजह से कई जगह से सड़कें बंद होने और नदियों के उफान पर बहने की खबरें आने लगी है. पहाड़ों में बारिश होने की वजह से मैदानी इलाकों का जलस्तर बढ़ने लगा है. जिससे नदी तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को अलर्ट किया जा रहा है.
#WATCH | Uttarakhand: Rain lashes parts of Dehradun city. pic.twitter.com/rwh1EA34eC
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 2, 2024
उत्तराखंड में ज्यादातर जिलों में लगातार हो रही बारिश: हर साल मानसून सीजन में बारिश जमकर कहर बरपाती है. मंदाकिनी, भागीरथी, अलकनंदा, गंगा, कोसी, शारदा, काली, रामगंगा, सरयू, खोह नदी समेत तमाम नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है. इसके अलावा बरसाती नाले भी मानसून सीजन में उफान पर बहने लगते हैं. जिससे मैदानी क्षेत्र और नदी तटीय इलाकों में काफी तबाही मचती है.
इन नदियों में पानी ज्यादा होने की वजह से न केवल उत्तराखंड, बल्कि उत्तर प्रदेश के कई इलाकों को भी खतरा पैदा हो जाता है. अभी मानसून का शुरुआती दौर है, लेकिन अभी से ही मानसून की बौछार डराने लगी है. इसका एक नमूना बदरीनाथ धाम में देखने को मिला. जहां अलकनंदा नदी का जलस्तर खतरे के निशान पर पहुंच गया. लिहाजा, पुलिस प्रशासन को स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं को नदी किनारे से दूर रहने की हिदायत दी गई.
अभी मानसून की बारिश को महज चार दिन हुए हैं, लेकिन नदियों का रौद्र रूप अभी से ही डराने लगी है. ऐसे में मौसम विभाग को भी चेतावनी जारी कर लोगों को आगाह किया जा रहा है. मौसम विभाग की मानें तो आने वाले कुछ दिनों में उत्तराखंड में बारिश की बौछार और तेज होगी. जिससे नदियां उफान में आने और भूस्खलन की घटनाएं बढ़ सकती है.
अगर बारिश ज्यादा होती है तो नदियों का जलस्तर बढ़ेगा. जो पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों में बाढ़ के हालात पैदा कर देगी. फिलहाल, अभी प्रदेश की तमाम नदियां खतरे के निशान से नीचे बह रही हैं, लेकिन बारिश ज्यादा होती है तो नदियों का जलस्तर बढ़ सकता है. जिससे नदी तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती है.
उत्तराखंड की तमाम नदियों का जलस्तर: मौजूदा समय में उत्तराखंड की नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे है. अभी पिथौरागढ़ में काली नदी 888.30 मीटर पर बह रही है. जबकि, इसका खतरे का निशान 890.00 मीटर है. इसके अलावा पिथौरागढ़ की ही गोरी नदी मौजूदा समय में 604.30 मीटर पर बह रही है. जबकि इसका खतरे का निशान 607.80 मीटर है.
वहीं, सरयू नदी मौजूदा समय में 445.50 मीटर पर बह रही है. जबकि, इसका खतरे का निशान 453.00 मीटर है. चंपावत की नदी का भी जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. यहां से बहने वाली शारदा नदी मौजूदा समय में 217.80 मीटर पर बह रही है. जबकि, इसके खतरे का निशान 221.70 मीटर है.
बारिश की वजह से गढ़वाल की तमाम नदियां भी उफान पर है. चमोली में बहने वाली अलकनंदा मौजूदा समय में 952.00 मीटर पर बह रही है. जबकि, इसका खतरे का निशान 957.40 मीटर है. चमोली के पिंडर घाटी से बहने वाली पिंडर नदी 76 8.11 मीटर पर बह रही है. जबकि, इसका खतरे का निशान 773.00 मीटर है. इसी तरह से हरिद्वार में गंगा नदी मौजूदा समय में 291.55 मीटर पर बह रही है. जबकि, खतरे का निशान 294.00 मीटर है.
मौसम विभाग ने बारिश के साथ दी ये चेतावनी: उत्तराखंड मौसम निदेशक विक्रम सिंह की मानें तो आने वाले तीन से चार दिनों में और ज्यादा बारिश होने की संभावना है. फिलहाल, सबसे ज्यादा बारिश का असर कुमाऊं में देखा जा रहा है, लेकिन गढ़वाल भी इससे अछूता नहीं है. मौसम विभाग की ओर से चारधाम यात्रियों और स्थानीय लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है. साथ ही घर से बेवजह बाहर न निकलने की अपील की है. इसके अलावा किसी भी नदी नाले या सूखी नदी के किनारे न जाने को कहा है.
देहरादून में जान जोखिम में डाल रहे लोग: देहरादून के माल देवता में बहने वाली नदी पर लोग अभी भी अपनी जान जोखिम में डालकर मौज मस्ती करने पहुंच रहे हैं. देहरादून के एक छोर पर बहने वाली माल देवता नदी में लोग परिवार के साथ पहुंचते हैं, लेकिन यहां पर अचानक से कब पानी आ जाए. किसी को भनक तक नहीं लगती.
हाल ही में महाराष्ट्र के लातूर में हुए हादसे को देश और दुनिया ने देखा कि कैसे एक परिवार पानी के तेज बहाव में बह गया. उन्हें पता भी नहीं लगा कि कब पानी ने उन्हें घेर लिया. इसी तरह के हालात उत्तराखंड के कई जगहों पर पैदा हो जाते हैं. लिहाजा, अगर आप इस तरह की गलती कर रहे हैं तो सावधान हो जाएं.
बरसात के दौरान बरतें ये सावधानियां-
- मौसम विभाग की पूर्वानुमान और चेतावनी पर नजर बनाए रखें.
- बरसात के दौरान नदी-नालों से दूर ही रहें.
- नदियों और गदेरों में नहाने से बचें.
- बरसात में सावधानीपूर्वक सड़कों पर आवाजाही करें.
- तेज बारिश या कोहरे की स्थिति में वाहनों की लाइट ऑन रखें.
- संवेदनशील पहाड़ी ढलानों और जगहों पर जाने से बचें.
- जलभराव की स्थिति में किसी भी तालाब और पोखर आदि से दूर रहें.
- बरसात के दौरान भूस्खलन क्षेत्र में न जाएं.
- बिजली चमकने के दौरान पेड़ों से दूरी बनाए रखें.
- नदी का जलस्तर बढ़ने पर तत्काल सुरक्षित स्थान पर चले जाएं.
- यदि आपका घर गदेरे या किसी नदी के पास हैं तो विशेष सतर्कता या सावधानी बरतें.
- हमेशा अपने पास आपातकालीन नंबर को रखें.
- अपने घर पर एक आपातकालीन किट भी तैयार रखें.
- किसी भी आपात स्थिति में इसकी सूचना तत्काल कंट्रोल रूम को दें.
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