नई दिल्ली : भारत ने 1947 में आजादी हासिल की थी तब जम्मू कश्मीर में अत्यधिक उथल-पुथल थी. बाद में 1990 के दशक में जब उदारीकरण ने आर्थिक द्वार खोले और परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू हुई, तब भी जम्मू कश्मीर में उथल-पुथल थी और हम फिर से चूक गए. लेकिन हमें अब नहीं चूकना चाहिए क्योंकि हम विकास की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. उक्त बातें आईएएस शाह फैसल ने इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिए एक कैरियर परामर्श सह बातचीत कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं.
उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जम्मू कश्मीर की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. पुंछ, राजौरी और कश्मीर में बहुत स्पष्टता है और शैक्षणिक माहौल में काफी सुधार हुआ है. जम्मू कश्मीर अब जबरदस्त स्तर पर बढ़ रहा है.
उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों में जम्मू कश्मीर में चीजों में काफी सुधार हुआ है. कोई भी नागरिक नहीं मारा गया है, कोई घेरा और तलाशी अभियान (सीएएसओ) नहीं हुआ है, हमारे किसी भी छात्र को परेशान नहीं किया गया है. फैसल ने कहा कि कोई नागरिक हत्या नहीं हुई है, पिछले महीने ही तीन नागरिकों को सुरक्षा बलों ने उठाया था जिनके शवों के बाद भारी आक्रोश हुआ और बाद में रक्षा मंत्री, सेना प्रमुख ने प्रभावित क्षेत्रों और शोक संतप्त परिवारों का दौरा किया.
फैसल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के छात्रों और युवाओं ने अत्यधिक अशांति देखी है. रक्तपात और हिंसा के चरम वर्षों के दौरान और विशेष रूप से 1989-2019 तक, हम सभी ने हड़तालों को अपने नियमित जीवन पर प्रभाव डालते हुए देखा है. मैंने खुद इन हड़तालों के कारण छह बहुमूल्य वर्ष खो दिए, जिससे न केवल हमारे शैक्षणिक जीवन पर बल्कि हमारे व्यक्तिगत जीवन पर भी असर पड़ा. बता दें कि जम्मू कश्मीर के आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने 2010 में यूपीएससी में टॉप किया था और बाद में 2019 में उन्होंने सेवा से इस्तीफा दे दिया था लेकिन 2021 में वापस सेवा में लौट आए थे. शाह फैसल ने 2019 में सेवा से इस्तीफा देने के बाद अपना खुद का राजनीतिक संगठन जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) लॉन्च किया, लेकिन बाद में उनके फिर से सेवा में शामिल हो जाने प लोगों की भौंहें तन गईं थी, क्योंकि लोग आश्चर्यचकित थे कि ऐसा क्या हो सकता है जिसके कारण उन्हें अचानक ऐसा करना पड़ा.
नौकरी छोड़ने के अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए फैसल ने कहा कि मैं अपने नोएडा अपार्टमेंट में बैठा था और सोच रहा था कि अब मुझे क्या करना चाहिए? मेरी पत्नी भी एक अधिकारी हैं और वह तब खर्च उठा रही थीं. यह एक कठिन समय था. मेरे पास सारी डिग्रियां थीं और आईएएस के तौर पर 10 साल का अनुभव था लेकिन मुझे कुछ पता नहीं था. लोग मुझे बीजेपी समर्थक या कुछ लोग देशद्रोही भी कहते थे, लेकिन उस वक्त कुछ लोग मेरे पास आए जिन्होंने मुझे समझा और कहा कि ऐसा नहीं है आलोचना करना बुरा है. फिर उन्होंने मुझे एक और मौका दिया ताकि मैं फिर से इसमें शामिल हो सकूं और फिर मैं 2021 में इसमें शामिल हो गया.
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