बूंदी. लोकसभा आम चुनाव के बीच बूंदी जिले के केशोरायपाटन व हिंडोली विधानसभा क्षेत्र के दो गांव में लंबे समय से चल रही पानी व सड़क की समस्या को लेकर ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया. ग्रामीणों का आरोप है कि लंबे समय से समस्या होने के बावजूद भी प्रशासन व जनप्रतिनिधियों ने इस और कोई ध्यान नहीं दिया. ग्रामीण समस्याओं के स्थाई समाधान की मांग की. बाद में ग्रामीणों को पानी सप्लाई के लिए लिखित में आश्वासन दिया गया, तो उन्होंने वोट किया.
केशोरायपाटन क्षेत्र के खेड़ली बंधा गांव में ग्रामीण पेयजल समस्या के समाधान की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार कर दिया. मतदान बहिष्कार के चलते दोपहर 12 बजे तक भी गांव का एक भी ग्रामीण मतदान केंद्र पर मतदान करने नहीं पहुंचा. गांव में करीब 400 मतदाता हैं. पेयजल संकट के स्थाई समाधान की मांग को लेकर ग्रामीणों ने प्रशासन के खिलाफ रोष जताया.
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ग्रामीणों का कहना है उच्च अधिकारियों को कई दिनों पहले अवगत कराने के बावजूद पेयजल समस्या का स्थाई समाधान नहीं किया गया. समस्या को लेकर कोई अधिकारी, जनप्रतिनिधि गम्भीरता नहीं दिखा रहे हैं. ज्ञातव्य है कि ग्रामीणों ने पेयजल संकट के स्थाई समाधान की मांग को लेकर बीते दिनों जिला कलेक्टर, उपखण्ड अधिकारी को ज्ञापन दिया था और समस्या से अवगत कराया था. साथ ही समाधान नहीं होने पर मतदान के बहिष्कार की चेतावनी दी थी. जिसके बाद जलदाय विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर हालात देखे थे. उन्होंने समाधान का प्रयास भी किया, लेकिन यह प्रयास नाकाफी रहे.
लिखित आश्वासन के बाद मतदान करने को हुए तैयार: ग्रामीणों के मतदान बहिष्कार की घोषणा के बाद उच्च अधिकारी हरकत में आए. मौके पर पहुंचे जलदाय विभाग के सहायक अभियंता, कापरेन नायब तहसीलदार, हल्का पटवारी द्वारा उच्च अधिकारियों से बात करने के बाद ग्रामीणों को आचार संहिता के 2 माह बाद कोडक्या गांव में लगे ट्यूबवेल से जलापूर्ति करने के लिखित आश्वासन के बाद ग्रामीण मतदान करने के लिए तैयार हुए. 12 बजे बाद बोयाखेड़ा मतदान केंद्र पर मतदान करने पहुंचे. इसके बाद प्रशासन ने राहत की सांस ली.
सड़क-पानी की समस्या को लेकर मतदान का बहिष्कार: वहीं दूसरी ओर भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र की हिंडोली विधानसभा क्षेत्र के नैनवा उपखंड के बंजारों की ढाणी गांव में सड़क व पानी की मांग को लेकर ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया. ग्रामीणों का कहना है कि लिखित शिकायत देने के बावजूद भी प्रशासन व जनप्रतिनिधि द्वारा कोई सुनवाई नहीं की गई. इसे लेकर पूरे गांव ने मतदान के बहिष्कार का निर्णय लिया है. गांव में कुल 600 मतदाता हैं.