वेंकटचलम: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में कहा कि देश में कुछ लोगों ने अपने राजनीतिक हित को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखा है और उम्मीद है कि उन्हें सद्बुद्धि आएगी. उपराष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि ऐसे लोग हमारे देश की आजादी के लिए किए गए सर्वोच्च बलिदानों से सीख लेंगे.
नेल्लोर जिले के वेंकटचलम में स्वर्ण भारत ट्रस्ट की बैठक को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि "देश में कुछ लोगों ने अनुचित कारणों से अपने राजनीतिक हितों को राष्ट्रीय हितों से ऊपर रखा है. हमें उम्मीद करनी चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए कि वे समझदार हो जाएं."
धनखड़ की यह टिप्पणी उस समय आई है, जब उन्होंने चिंता व्यक्त की थी कि संवैधानिक पद पर बैठा एक व्यक्ति हमारी अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के उद्देश्य से एक कहानी को हवा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से स्वतः संज्ञान लेने के लिए कह रहा है.
उपराष्ट्रपति की टिप्पणियों को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर एक स्पष्ट हमले के रूप में देखा गया. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च बलिदानों के माध्यम से प्राप्त स्वतंत्रता को हर पल पोषित किया जाना चाहिए ताकि यह खिल सके.
इसके अलावा, धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक भारतीय को आर्थिक राष्ट्रवाद में विश्वास करना चाहिए, इसे स्थानीय के लिए मुखर होने का प्रतिबिंब कहा. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार देश से बाहर जा रहा है, क्योंकि अनावश्यक वस्तुओं का आयात किया जा रहा है, जिससे उद्यमिता में भी बाधा आ रही है.
उपराष्ट्रपति के अनुसार, भारत अनावश्यक रूप से वस्त्र, कालीन, मोमबत्तियां, पतंगें और अन्य वस्तुओं का आयात कर रहा है, जिन्हें देश में आसानी से बनाया जा सकता है और इससे हमारे विदेशी मुद्रा भंडार पर अनावश्यक दबाव से भी बचा जा सकता है.
उन्होंने सभी भारतीयों से अपील की कि वे अनावश्यक आयातों में विदेशी व्यापार बंद करें और उद्योग, व्यापार और वाणिज्य निकायों से इस मुद्दे पर निर्णय लेने का आह्वान किया. हालांकि भारत में प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं, लेकिन धनखड़ ने बंदरगाहों के माध्यम से लौह अयस्क शिपमेंट का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें यह देखकर दुख होता है कि ये संसाधन निर्यात के रूप में हमारे तटों से बाहर जा रहे हैं.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसाधनों में मूल्य संवर्धन की कमी से रोजगार की संभावनाएं नष्ट हो रही हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग सिर्फ जल्दी पैसा कमाना चाहते हैं. उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि भारत इन अक्षमताओं को बर्दाश्त नहीं कर सकता. उन्होंने इन सभी मुद्दों पर ध्यान देने का आह्वान किया.