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चुनाव ड्यूटी में लगी गाड़ियों की जीपीएस से होगी मॉनिटरिंग, ईवीएम से लेकर सुरक्षा बलों के मूवमेंट की हरपल आयोग को मिलेगी जानकारी - Lok Sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

GPS in election vehicles. चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में वाहनों का इस्तेमाल होता है, इसमें निजी और सरकारी दोनों तरह की गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है. इस बार गड़बड़ी रोकने और सही तरीके से मॉनिटरिंग के लिए चुनाव ड्यूटी में लड़ी गाड़ियों में जीपीएस का इस्तेमला किया जाएगा.

GPS in election vehicles
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 17, 2024, 6:24 PM IST

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार

रांची: चुनाव ड्यूटी में लगने वाली गाड़ियों की जीपीएस से मॉनिटरिंग की जायेगी. चुनाव आयोग ने इसके लिए व्यापक प्रबंध किए हैं. इसके तहत झारखंड में लोकसभा चुनाव के दरम्यान बूथ से लेकर स्ट्रॉन्ग रूम तक जाने वाली ईवीएम और निर्वाचनकर्मियों के मूवमेंट पर नजर रखी जायेगी. झारखंड में पहली बार जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए निगरानी रखने की तैयारी में जुटे चुनाव आयोग का मानना है कि इससे चुनाव में पारदर्शिता आयेगी. गाड़ियों के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए जिला मुख्यालय से लेकर चुनाव आयोग कार्यालय में विशेष टीम बनाई गई है जहां ऑनलाइन माध्यम से नजर रखी जायेगी.

किराए में गड़बड़ी पर रोकथाम

चुनाव ड्यूटी में लगनेवाली निजी गाड़ियों के किराए में होने वाली गड़बड़ी पर रोकथाम के लिए आयोग ने वाहन मैनेजमेंट सिस्टम नाम से ऐप लाया है जिसके माध्यम से चुनाव ड्यूटी में लगने वाली गाड़ियों के समय, तारीख, किलोमीटर, सेवा अवधि और भुगतान जैसी तमाम चीजें चुनाव आयोग के डैशबोर्ड पर डिस्प्ले करती रहेंगी. इसके प्रयोग में होने से गाड़ी मालिक के किराया भुगतान संबंधी शिकायत काफी हद तक दूर होने की संभावना है.

GPS in election vehicles
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जीपीएस पर खर्च होंगे 1 करोड़

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार के अनुसार गाड़ी मालिक की आमतौर पर भुगतान को लेकर शिकायत रहती थी जिसे इसके माध्यम से दूर किया जायेगा. उन्होंने कहा कि चुनाव ड्यूटी में लगी गाड़ी खासकर ईवीएम को लेकर बूथ और स्ट्रॉन्ग रूम तक जाने वाली गाड़ी जीपीएस युक्त होंगे जिसके हर मूवमेंट पर आयोग की नजर होगी. इसपर करीब 1 करोड़ खर्च होने की संभावना है. जीपीएस सिस्टम लगाने का मकशद साफ है कि इलेक्शन पारदर्शी तरीके से हो.

उन्होंने कहा कि इसमें कई तरह के फीचर हैं जो हमें मॉनिटर करने में काफी सहायक होगा. उन्होंने कहा कि इस बार 85 साल से ऊपर के मतदाता और दिव्यांग वोटर के लिए भी गाड़ी की व्यवस्था करनी है. इसलिए चुनाव के दरम्यान इस बार गाड़ियों की संख्या काफी अधिक होगी. वाहन मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए गाड़ियों के प्रबंधन को काफी सरल कर दिया गया है. उदाहरण के तौर पर पुलिस की गाड़ियों को संबंधित जिले में ही पैसों का भुगतान कर दिया जाएगा. सिर्फ तेल जिस जिले में उन्हें ड्यूटी पर लगाई जाएगी उस जिले में उन्हें मिलेगा. इसी तरह अन्य सरकारी एवं निजी गाड़ियों के लिए भी प्रबंध को सरल किया गया है.

ये भी पढ़ें-

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रांची: चुनाव ड्यूटी में लगने वाली गाड़ियों की जीपीएस से मॉनिटरिंग की जायेगी. चुनाव आयोग ने इसके लिए व्यापक प्रबंध किए हैं. इसके तहत झारखंड में लोकसभा चुनाव के दरम्यान बूथ से लेकर स्ट्रॉन्ग रूम तक जाने वाली ईवीएम और निर्वाचनकर्मियों के मूवमेंट पर नजर रखी जायेगी. झारखंड में पहली बार जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए निगरानी रखने की तैयारी में जुटे चुनाव आयोग का मानना है कि इससे चुनाव में पारदर्शिता आयेगी. गाड़ियों के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए जिला मुख्यालय से लेकर चुनाव आयोग कार्यालय में विशेष टीम बनाई गई है जहां ऑनलाइन माध्यम से नजर रखी जायेगी.

किराए में गड़बड़ी पर रोकथाम

चुनाव ड्यूटी में लगनेवाली निजी गाड़ियों के किराए में होने वाली गड़बड़ी पर रोकथाम के लिए आयोग ने वाहन मैनेजमेंट सिस्टम नाम से ऐप लाया है जिसके माध्यम से चुनाव ड्यूटी में लगने वाली गाड़ियों के समय, तारीख, किलोमीटर, सेवा अवधि और भुगतान जैसी तमाम चीजें चुनाव आयोग के डैशबोर्ड पर डिस्प्ले करती रहेंगी. इसके प्रयोग में होने से गाड़ी मालिक के किराया भुगतान संबंधी शिकायत काफी हद तक दूर होने की संभावना है.

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जीपीएस पर खर्च होंगे 1 करोड़

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार के अनुसार गाड़ी मालिक की आमतौर पर भुगतान को लेकर शिकायत रहती थी जिसे इसके माध्यम से दूर किया जायेगा. उन्होंने कहा कि चुनाव ड्यूटी में लगी गाड़ी खासकर ईवीएम को लेकर बूथ और स्ट्रॉन्ग रूम तक जाने वाली गाड़ी जीपीएस युक्त होंगे जिसके हर मूवमेंट पर आयोग की नजर होगी. इसपर करीब 1 करोड़ खर्च होने की संभावना है. जीपीएस सिस्टम लगाने का मकशद साफ है कि इलेक्शन पारदर्शी तरीके से हो.

उन्होंने कहा कि इसमें कई तरह के फीचर हैं जो हमें मॉनिटर करने में काफी सहायक होगा. उन्होंने कहा कि इस बार 85 साल से ऊपर के मतदाता और दिव्यांग वोटर के लिए भी गाड़ी की व्यवस्था करनी है. इसलिए चुनाव के दरम्यान इस बार गाड़ियों की संख्या काफी अधिक होगी. वाहन मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए गाड़ियों के प्रबंधन को काफी सरल कर दिया गया है. उदाहरण के तौर पर पुलिस की गाड़ियों को संबंधित जिले में ही पैसों का भुगतान कर दिया जाएगा. सिर्फ तेल जिस जिले में उन्हें ड्यूटी पर लगाई जाएगी उस जिले में उन्हें मिलेगा. इसी तरह अन्य सरकारी एवं निजी गाड़ियों के लिए भी प्रबंध को सरल किया गया है.

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