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अनोखा है उत्तराखंड का वंशीनारायण मंदिर, सिर्फ रक्षाबंधन के दिन खुलते हैं कपाट, जानिये इसकी वजह - Vanshi Narayan Temple - VANSHI NARAYAN TEMPLE

Vanshi Narayan Temple, History of Vanshi Narayan Temple,Vanshi Narayan Temple Recognition उत्तराखंड अपनी दिव्यता, मंदिरों और धर्मस्थलों के लिए जाना जाता है. यहां पौराणिक महत्व के मंदिरों से लेकर ऐतिहासिक महत्व तक के मंदिर देखने को मिलते हैं. उत्तराखंड में एक ऐसा मंदिर है जिसके कपाट साल में केवल एक दिन रक्षाबंधन के अवसर पर खुलते हैं. इस दिन मंदिर में भगवान को राखी बांधी जाती है.

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अनोखा है उत्तराखंड की वंशीनारायण मंदिर (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 19, 2024, 5:34 PM IST

Updated : Aug 19, 2024, 6:38 PM IST

चमोली: उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. यहां कण कण में भगवान का वास है. उत्तराखंड में एक ऐसा मंदिर भी है जो साल में केवल एक दिन खुलता है. इस दिन इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. कौन सा है वो मंदिर ? क्या है इस मंदिर की मान्यता? आखिर क्यों ये मंदिर साल में एक दिन खुलता है? इन सभी सवालों के जवाब हम आपको देंगे.

Vanshi Narayan Temple
उर्गम घाटी में पड़ती है वंशी नारायण मंदिर (ETV Bharat)

चमोली जिले की उर्गम घाटी में अनोखा मंदिर: साल भर में एक दिन खुलने वाला ये मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में पड़ता है. इस मंदिर का नाम वंशी नारायण है. वंशी नारायण मंदिर उर्गम घाटी से लगभग 12 किमी दूर व समुद्रतल से लगभग 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. वंशी नारायण का मंदिर केवल रक्षाबंधन के दिन खुलता है. कलगोठ गांव में स्थित, कत्यूर शैली में बने इस मंदिर में भगवान नारायण की चतुर्भुज मूर्ति विराजमान है. दस फीट ऊंचे वंशी नारायण मंदिर के विषय में मान्यता है कि राजा बलि के द्वारपाल रहे विष्णु ने वामन अवतार से मुक्ति के बाद सबसे पहले इसी स्थान पर दर्शन दिए थे.

Vanshi Narayan Temple
रक्षाबंधन के दिन मंदिर में उमड़ी भीड़ (ETV Bharat)

क्या है मान्यता: पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु के राजा बलि का द्वारपाल बनने से माता लक्ष्मी को अनेक दिनों तक उनके दर्शन नहीं हुए. भगवान विष्णु के दर्शन न होने से परेशान माता लक्ष्मी उनके अनन्य भक्त नारद मुनि के पास गई. नारद मुनि ने माता लक्ष्मी को पूरी कहानी बताई. तब माता लक्ष्मी ने परेशान होकर नारद मुनि से भगवान विष्णु की मुक्ति का उपाय पूछा. नारद मुनि ने माता लक्ष्मी से कहा कि वह श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन राजा बलि को रक्षासूत्र बांधें, उपहार में राजा बलि से वामन अवतार रूपी विष्णु की मुक्ति मांगें.माता लक्ष्मी रक्षाबंधन के दिन राजा बलि के पास गई. राजा बलि को रक्षासूत्र बांधकर भगवान विष्णु को मुक्त कराया. वंशी नारायण मंदिर के संबंध में मान्यता है कि पाताल लोक के बाद भगवान विष्णु सबसे पहले इसी स्थान पर प्रकट हुए थे.

Vanshi Narayan Temple
वंशी नारायण मंदिर का रास्ता (ETV Bharat)

मंदिर के एक दिन खुलने की दूसरी वजह: वर्गाकार गर्भगृह वाले वंशी नारायण मंदिर के विषय में एक अन्य मान्यता यह है कि यहां वर्ष में 364 दिन नारद मुनि भगवान नारायण की पूजा करते हैं. श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी के साथ नारद मुनि भी पातल लोक गए. इस वजह से केवल उस दिन वह मंदिर में नारायण की पूजा नहीं कर सके थे. इसलिए माना जाता है कि तभी केवल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन स्थानीय लोग मंदिर में जाकर पूजा करते हैं.

VANSHI NARAYAN TEMPLE
वंशी नारायण मंदिर मूर्ति (ETV Bharat)

भगवान वंशीनारायण को लगता है मक्खन का भोग: श्री वंशीनारायण मंदिर के कपाट खुलने पर कलकोठ गांव के प्रत्येक परिवार से भगवान के लिए भोग स्वरूप मक्खन मंदिर में लाया जाता है और फिर इसी मक्खन से श्री हरि के वंशीनारायण स्वरूप का भोग तैयार होता है. इसके साथ ही दुर्लभ प्रजाति के फूलों से भगवान विष्णु की प्रतिभा को सजाया जाता है. ये फूल मंदिर के प्रांगण में स्थित फुलवारी में ही खिलते हैं और इन फूलों को सिर्फ श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन पर्व पर ही तोड़ा जाता है. इसके बाद श्रद्धालु व स्थानीय लोग भगवान वंशीनारायण को रक्षासूत्र बांधते हैं.

Vanshi Narayan Temple
वंशी नारायण मंदिर (ETV Bharat)

स्थानीय महिलाएं वंशी नारायण को बांधती हैं राखी: इस दिन स्थानीय महिलाऐं वंशी नारायण मंदिर आती हैं. वह भगवान को राखी बांधती हैं. माना जाता है कि वंशी नारायण मंदिर पांडवों के काल में निर्मित किया गया था.

पढ़ें- रक्षाबंधन के दिन यहां भगवान विष्णु को बांधी जाती है राखी, ठाकुर जाति के पुजारी करते हैं पूजा, जानें पौराणिक महत्व


चमोली: उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. यहां कण कण में भगवान का वास है. उत्तराखंड में एक ऐसा मंदिर भी है जो साल में केवल एक दिन खुलता है. इस दिन इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. कौन सा है वो मंदिर ? क्या है इस मंदिर की मान्यता? आखिर क्यों ये मंदिर साल में एक दिन खुलता है? इन सभी सवालों के जवाब हम आपको देंगे.

Vanshi Narayan Temple
उर्गम घाटी में पड़ती है वंशी नारायण मंदिर (ETV Bharat)

चमोली जिले की उर्गम घाटी में अनोखा मंदिर: साल भर में एक दिन खुलने वाला ये मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में पड़ता है. इस मंदिर का नाम वंशी नारायण है. वंशी नारायण मंदिर उर्गम घाटी से लगभग 12 किमी दूर व समुद्रतल से लगभग 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. वंशी नारायण का मंदिर केवल रक्षाबंधन के दिन खुलता है. कलगोठ गांव में स्थित, कत्यूर शैली में बने इस मंदिर में भगवान नारायण की चतुर्भुज मूर्ति विराजमान है. दस फीट ऊंचे वंशी नारायण मंदिर के विषय में मान्यता है कि राजा बलि के द्वारपाल रहे विष्णु ने वामन अवतार से मुक्ति के बाद सबसे पहले इसी स्थान पर दर्शन दिए थे.

Vanshi Narayan Temple
रक्षाबंधन के दिन मंदिर में उमड़ी भीड़ (ETV Bharat)

क्या है मान्यता: पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु के राजा बलि का द्वारपाल बनने से माता लक्ष्मी को अनेक दिनों तक उनके दर्शन नहीं हुए. भगवान विष्णु के दर्शन न होने से परेशान माता लक्ष्मी उनके अनन्य भक्त नारद मुनि के पास गई. नारद मुनि ने माता लक्ष्मी को पूरी कहानी बताई. तब माता लक्ष्मी ने परेशान होकर नारद मुनि से भगवान विष्णु की मुक्ति का उपाय पूछा. नारद मुनि ने माता लक्ष्मी से कहा कि वह श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन राजा बलि को रक्षासूत्र बांधें, उपहार में राजा बलि से वामन अवतार रूपी विष्णु की मुक्ति मांगें.माता लक्ष्मी रक्षाबंधन के दिन राजा बलि के पास गई. राजा बलि को रक्षासूत्र बांधकर भगवान विष्णु को मुक्त कराया. वंशी नारायण मंदिर के संबंध में मान्यता है कि पाताल लोक के बाद भगवान विष्णु सबसे पहले इसी स्थान पर प्रकट हुए थे.

Vanshi Narayan Temple
वंशी नारायण मंदिर का रास्ता (ETV Bharat)

मंदिर के एक दिन खुलने की दूसरी वजह: वर्गाकार गर्भगृह वाले वंशी नारायण मंदिर के विषय में एक अन्य मान्यता यह है कि यहां वर्ष में 364 दिन नारद मुनि भगवान नारायण की पूजा करते हैं. श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी के साथ नारद मुनि भी पातल लोक गए. इस वजह से केवल उस दिन वह मंदिर में नारायण की पूजा नहीं कर सके थे. इसलिए माना जाता है कि तभी केवल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन स्थानीय लोग मंदिर में जाकर पूजा करते हैं.

VANSHI NARAYAN TEMPLE
वंशी नारायण मंदिर मूर्ति (ETV Bharat)

भगवान वंशीनारायण को लगता है मक्खन का भोग: श्री वंशीनारायण मंदिर के कपाट खुलने पर कलकोठ गांव के प्रत्येक परिवार से भगवान के लिए भोग स्वरूप मक्खन मंदिर में लाया जाता है और फिर इसी मक्खन से श्री हरि के वंशीनारायण स्वरूप का भोग तैयार होता है. इसके साथ ही दुर्लभ प्रजाति के फूलों से भगवान विष्णु की प्रतिभा को सजाया जाता है. ये फूल मंदिर के प्रांगण में स्थित फुलवारी में ही खिलते हैं और इन फूलों को सिर्फ श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन पर्व पर ही तोड़ा जाता है. इसके बाद श्रद्धालु व स्थानीय लोग भगवान वंशीनारायण को रक्षासूत्र बांधते हैं.

Vanshi Narayan Temple
वंशी नारायण मंदिर (ETV Bharat)

स्थानीय महिलाएं वंशी नारायण को बांधती हैं राखी: इस दिन स्थानीय महिलाऐं वंशी नारायण मंदिर आती हैं. वह भगवान को राखी बांधती हैं. माना जाता है कि वंशी नारायण मंदिर पांडवों के काल में निर्मित किया गया था.

पढ़ें- रक्षाबंधन के दिन यहां भगवान विष्णु को बांधी जाती है राखी, ठाकुर जाति के पुजारी करते हैं पूजा, जानें पौराणिक महत्व


Last Updated : Aug 19, 2024, 6:38 PM IST
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