नई दिल्ली: रूस की ट्रांसमैशहोल्डिंग (TMH) द्वारा 6.5 बिलियन डॉलर की वंदे भारत ट्रेन परियोजना के लिए रेगूलेटरी और टेक्निकल बाधाओं के चलते हो रही देरी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कजान यात्रा के दौरान मामले पर चर्चा की जा सकती है. रूसी इंजीनियरिंग प्रमुख टीएमएच सरकारी रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) के साथ संयुक्त उद्यम में इस परियोजना को क्रियान्वित कर रही है. रूसी पक्ष ने जुलाई में मोदी की मॉस्को यात्रा के दौरान परियोजना में रुकावटों के मुद्दे उठाए थे और उम्मीद है कि 22 अक्टूबर को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री के कजान जाने पर भी इस मुद्दे पर चर्चा होगी.
मामले से परिचित लोगों ने बताया कि टीएमएच द्वारा वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण के लिए 6.5 अरब डॉलर की संयुक्त उद्यम परियोजना को प्रभावित करने वाली नियामक और तकनीकी बाधाओं को इस हफ्ते पीएम मोदी की कजान यात्रा के दौरान मास्को द्वारा उठाए जाने की उम्मीद है.
पुतिन से मिलेंगे पीएम मोदी
मोदी मंगलवार को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने वाले हैं. दोनों नेताओं की पिछली मुलाकात 8-9 जुलाई को मास्को में वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए हुई थी. पुतिन ने सितंबर में कहा था कि आगामी बैठक दोनों पक्षों के लिए चल रही पहलों का जायजा लेने का अवसर होगी.
58,000 करोड़ रुपये की बोली
RVNL और TMH के कंसोर्टियम को मार्च 2023 में 200 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण और रखरखाव के लिए 58,000 करोड़ रुपये की बोली जीतने के बाद से कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है, जिसकी अनुमानित लागत प्रति ट्रेन सेट 120 करोड़ रुपये थी. इसके बाद, सरकार ने अनुबंध को 200 सेट से घटाकर 120 सेट कर दिया, जिससे कुल परियोजना का साइज घटकर 36,000 करोड़ रुपये रह गया.
नाम न बताने की शर्त पर बताया लोगों ने बताया कि बाद में सरकार ने विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) का इनेट रेलवे सॉल्यूशंस लिमिटेड में शेयरधारिता संरचना को बदलने के कंसोर्टियम के अनुरोध को रोक दिया. उन्होंने कहा कि शेयर स्वैप केवल संबंधित रूसी संस्थाओं के बीच प्रस्तावित किया गया था, जिससे किसी भी तरह से आरवीएनएल की इक्विटी हिस्सेदारी प्रभावित नहीं हुई.
गौरलतब है कि आरवीएनएल, काइनेट रेलवे सॉल्यूशंस, प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय, रेलवे और वित्त मंत्रालय के प्रवक्ताओं ने इस मामले पर ईमेल से पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया. इससे पहले टीएमएच के वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सितंबर में नई दिल्ली का दौरा किया था, जिसका उद्देश्य परियोजना में आ रही बाधाओं को दूर करना था.