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मुफलिसी में है 50 हजार से ज्यादा सांपों का रेस्क्यू करने वाला कश्यप परिवार, आजकल कर रहा घायल चील का उपचार - Snake expert Chandrasen Kashyap

Snake expert Chandrasen Kashyap एक ऐसा परिवार जिसने अपना जीवन सांपों के संरक्षण में बिता दिया, लेकिन आज सरकारों की बेरुखी की वजह से यह परिवार मुफलिसी का जीवन जीने को मजबूर है. यह परिवार चंद्रसेन कश्यप का है, जो हजारों बेजुबानों की जान बचा चुका है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 6, 2024, 7:17 AM IST

Updated : Jul 6, 2024, 8:13 AM IST

Snake expert Chandrasen Kashyap
रामनगर के चंद्रसेन कश्यप (फोटो- ईटीवी भारत)
मुफलिसी में चंद्रसेन कश्यप का परिवार (वीडियो- ईटीवी भारत)

रामनगर: आमतौर पर सांपों को देखकर हम दूर भागने लगते हैं या फिर उसे मारने की कोशिश करते हैं. लेकिन रामनगर में एक ऐसा परिवार है, जो इन सांपों को बचाने का काम कर रहा है, जिससे न केवल सांपों का संरक्षण हो पा रहा है बल्कि, इंसानों की भी उनसे जान बच रही है. इस परिवार ने अपना जीवन सांपों के संरक्षण में बिता दिया है, लेकिन आज ये परिवार मुफलिसी का जीवन जीने को मजबूर हो गया. यह परिवार सर्प विशेषज्ञ और वन्यजीव प्रेमी चंद्रसेन कश्यप का है, जिसे सरकार से कोई सम्मान नहीं मिला है. चंद्रसेन अभी तक हजारों सांपों के साथ ही घायल पशु और पक्षियों समेत हजारों जीवों को उपचार कर चुके हैं. इनदिनों एक चील का उपचार करने में जुटे हैं.

Snake expert Chandrasen Kashyap
चील के साथ चंद्रसेन कश्यप (फोटो- ईटीवी भारत)

बता दें कि रामनगर के सर्प विशेषज्ञ चंद्रसेन कश्यप वन विभाग की मदद से अब तक 50 हजार से ज्यादा सांपों को कॉर्बेट के आसपास के लगते क्षेत्रों से पकड़कर जंगलों में आजाद कर चुके हैं. उनका पूरा परिवार सांपों के संरक्षण को लेकर बीते कई सालों से काम कर रहा है, लेकिन आज तक उनको वो नाम नहीं मिल पाया, न ही सरकार और न ही वन विभाग ने आज तक उनके इस काम के लिए उन्हें सम्मानित किया. इससे चंद्रसेन कश्यप का परिवार हताश है. आलम है कि कहीं से कोई सहयोग न मिलने से उन्हें दो जून की रोटी की जुगत करना भी मुश्किल हो गया.

घायल चील का उपचार कर रहे चंद्रसेन कश्यप: इन दिनों चंद्रसेन कश्यप एक घायल चील का उपचार कर रहे हैं. इस चील को उन्होंने तराई पश्चिमी के थारी क्षेत्र से रेस्क्यू किया था. उसके पंखों पर चोट लगी थी. जिसका घरेलू उपचार कश्यप और उनके परिवार ने घर पर ही शुरू किया. ये चील अब तकरीबन ठीक भी हो चुकी है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि चील अब चंद्रसेन कश्यप को छोड़कर कहीं नहीं जा रही है. उसे चंद्रसेन से लगाव हो गया है, जिसे देख स्थानीय लोग अचंभित हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत में सर्प विशेषज्ञ चंद्रसेन कश्यप ने बताया कि वो एक महीने से इस घायल चील का उपचार कर रहे हैं. उन्होंने चील का घरेलू उपचार किया. जैसे-तैसे कर चील के खाने के लिए खरीदकर रोजाना मछलियां भी ला रहे हैं. अब चील उड़ान भी भरने लगी है. चील सुबह उड़ जाती है, लेकिन शाम को फिर वापस आ जाती है. उन्होंने कहा कि वो चील का उपचार और देखभाल अपने बच्चों की तरह ही कर रहे हैं.

Snake expert Chandrasen Kashyap
सर्प विशेषज्ञ चंद्रसेन कश्यप (फोटो- ईटीवी भारत)

उन्होंने बताया कि चील को उनसे ऐसा लगाव हो गया है कि वो उन्हें छोड़कर कहीं भी नहीं जा रही है. उन्होंने कहा कि चील के स्वस्थ होने पर वो वन विभाग की मदद से जंगल में छोड़ देंगे ताकि, वो अपने परिवार से मिल सके. कश्यप ने बताया कि वो नाम के लिए काम नहीं कर रहे हैं. बस उन्हें पशु-पक्षी, जीव-जंतु, सांपों आदि से प्रेम है. वो चाहते हैं कि इन्हें कोई न मारे. इसलिए वो इनके संरक्षण का संदेश लोगों को देने का काम कर रहे हैं. वो वन विभाग की मदद से वन्य जीवों का रेस्क्यू कर जंगलों में आजाद करते हैं.

समाजसेवी गणेश रावत ने बताई कश्यप परिवार की कई बातें: वहीं, रामनगर के समाजसेवी गणेश रावत कहते हैं कि चंद्रसेन कश्यप का परिवार मुफलिसी की जिंदगी गुजार रहा है. चद्रसेन एक अनोखा व्यक्तित्व है. पहले सांप निकलता था तो लोग कहते थे 'मार दो', लेकिन चंद्रसेन कश्यप ने इतनी जागरूकता फैलाई कि आज सांप निकलने पर लोग चंद्रसेन कश्यप को याद करते हैं. उनसे सांपों को ले जाकर जंगल में छोड़ने को कहते हैं.

वो कहते हैं कि सांपों का ही नहीं, एक बार उन्होंने एक घायल बंदर का उपचार भी किया था. जिसके बाद बंदर को उनसे इतना प्रेम हो गया कि वो उन्हें छोड़कर ही नहीं जाता था. आजकल एक चील का उपचार कर रहे हैं. वो चील भी एक परिवार की तरह उनसे घुल मिल गई है, जो अब उन्हें छोड़कर नहीं जाना चाहती है. उन्होंने सरकार से उनकी सुध लेने की अपील की है.

वनाधिकारियों ने चंद्रसेन कश्यप के काम को सराहा: रामनगर वन प्रभाग के अधिकारी वीरेंद्र पांडे कहते हैं कि सांपों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर चंद्रसेन कश्यप का पूरा परिवार सालों से काम कर रहा है. घायल सांपों के साथ ही अन्य पशु पक्षी, जीव जंतुओं का भी कश्यप का परिवार घरेलू उपचार करता है. वो कहते हैं कि चंद्रसेन कश्यप वन विभाग की भी लगातार मदद करते हैं.

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मुफलिसी में चंद्रसेन कश्यप का परिवार (वीडियो- ईटीवी भारत)

रामनगर: आमतौर पर सांपों को देखकर हम दूर भागने लगते हैं या फिर उसे मारने की कोशिश करते हैं. लेकिन रामनगर में एक ऐसा परिवार है, जो इन सांपों को बचाने का काम कर रहा है, जिससे न केवल सांपों का संरक्षण हो पा रहा है बल्कि, इंसानों की भी उनसे जान बच रही है. इस परिवार ने अपना जीवन सांपों के संरक्षण में बिता दिया है, लेकिन आज ये परिवार मुफलिसी का जीवन जीने को मजबूर हो गया. यह परिवार सर्प विशेषज्ञ और वन्यजीव प्रेमी चंद्रसेन कश्यप का है, जिसे सरकार से कोई सम्मान नहीं मिला है. चंद्रसेन अभी तक हजारों सांपों के साथ ही घायल पशु और पक्षियों समेत हजारों जीवों को उपचार कर चुके हैं. इनदिनों एक चील का उपचार करने में जुटे हैं.

Snake expert Chandrasen Kashyap
चील के साथ चंद्रसेन कश्यप (फोटो- ईटीवी भारत)

बता दें कि रामनगर के सर्प विशेषज्ञ चंद्रसेन कश्यप वन विभाग की मदद से अब तक 50 हजार से ज्यादा सांपों को कॉर्बेट के आसपास के लगते क्षेत्रों से पकड़कर जंगलों में आजाद कर चुके हैं. उनका पूरा परिवार सांपों के संरक्षण को लेकर बीते कई सालों से काम कर रहा है, लेकिन आज तक उनको वो नाम नहीं मिल पाया, न ही सरकार और न ही वन विभाग ने आज तक उनके इस काम के लिए उन्हें सम्मानित किया. इससे चंद्रसेन कश्यप का परिवार हताश है. आलम है कि कहीं से कोई सहयोग न मिलने से उन्हें दो जून की रोटी की जुगत करना भी मुश्किल हो गया.

घायल चील का उपचार कर रहे चंद्रसेन कश्यप: इन दिनों चंद्रसेन कश्यप एक घायल चील का उपचार कर रहे हैं. इस चील को उन्होंने तराई पश्चिमी के थारी क्षेत्र से रेस्क्यू किया था. उसके पंखों पर चोट लगी थी. जिसका घरेलू उपचार कश्यप और उनके परिवार ने घर पर ही शुरू किया. ये चील अब तकरीबन ठीक भी हो चुकी है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि चील अब चंद्रसेन कश्यप को छोड़कर कहीं नहीं जा रही है. उसे चंद्रसेन से लगाव हो गया है, जिसे देख स्थानीय लोग अचंभित हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत में सर्प विशेषज्ञ चंद्रसेन कश्यप ने बताया कि वो एक महीने से इस घायल चील का उपचार कर रहे हैं. उन्होंने चील का घरेलू उपचार किया. जैसे-तैसे कर चील के खाने के लिए खरीदकर रोजाना मछलियां भी ला रहे हैं. अब चील उड़ान भी भरने लगी है. चील सुबह उड़ जाती है, लेकिन शाम को फिर वापस आ जाती है. उन्होंने कहा कि वो चील का उपचार और देखभाल अपने बच्चों की तरह ही कर रहे हैं.

Snake expert Chandrasen Kashyap
सर्प विशेषज्ञ चंद्रसेन कश्यप (फोटो- ईटीवी भारत)

उन्होंने बताया कि चील को उनसे ऐसा लगाव हो गया है कि वो उन्हें छोड़कर कहीं भी नहीं जा रही है. उन्होंने कहा कि चील के स्वस्थ होने पर वो वन विभाग की मदद से जंगल में छोड़ देंगे ताकि, वो अपने परिवार से मिल सके. कश्यप ने बताया कि वो नाम के लिए काम नहीं कर रहे हैं. बस उन्हें पशु-पक्षी, जीव-जंतु, सांपों आदि से प्रेम है. वो चाहते हैं कि इन्हें कोई न मारे. इसलिए वो इनके संरक्षण का संदेश लोगों को देने का काम कर रहे हैं. वो वन विभाग की मदद से वन्य जीवों का रेस्क्यू कर जंगलों में आजाद करते हैं.

समाजसेवी गणेश रावत ने बताई कश्यप परिवार की कई बातें: वहीं, रामनगर के समाजसेवी गणेश रावत कहते हैं कि चंद्रसेन कश्यप का परिवार मुफलिसी की जिंदगी गुजार रहा है. चद्रसेन एक अनोखा व्यक्तित्व है. पहले सांप निकलता था तो लोग कहते थे 'मार दो', लेकिन चंद्रसेन कश्यप ने इतनी जागरूकता फैलाई कि आज सांप निकलने पर लोग चंद्रसेन कश्यप को याद करते हैं. उनसे सांपों को ले जाकर जंगल में छोड़ने को कहते हैं.

वो कहते हैं कि सांपों का ही नहीं, एक बार उन्होंने एक घायल बंदर का उपचार भी किया था. जिसके बाद बंदर को उनसे इतना प्रेम हो गया कि वो उन्हें छोड़कर ही नहीं जाता था. आजकल एक चील का उपचार कर रहे हैं. वो चील भी एक परिवार की तरह उनसे घुल मिल गई है, जो अब उन्हें छोड़कर नहीं जाना चाहती है. उन्होंने सरकार से उनकी सुध लेने की अपील की है.

वनाधिकारियों ने चंद्रसेन कश्यप के काम को सराहा: रामनगर वन प्रभाग के अधिकारी वीरेंद्र पांडे कहते हैं कि सांपों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर चंद्रसेन कश्यप का पूरा परिवार सालों से काम कर रहा है. घायल सांपों के साथ ही अन्य पशु पक्षी, जीव जंतुओं का भी कश्यप का परिवार घरेलू उपचार करता है. वो कहते हैं कि चंद्रसेन कश्यप वन विभाग की भी लगातार मदद करते हैं.

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Last Updated : Jul 6, 2024, 8:13 AM IST
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