देहरादून (उत्तराखंड): देशभर में पीएम मुद्रा लोन योजना के नाम पर ठगी करने वाले साइबर ठगों के सरगना को एसटीएफ की टीम ने यूपी के मथुरा से गिरफ्तार किया है. एसटीएफ ने गिरोह के सदस्यों से काफी कैश, दर्जनों मोबाइल, कई सिम कार्ड और एटीएम कार्ड बरामद किए हैं. आरोपी साइबर ठग गिरोह का संचालक बनने से पहले सिक्योरिटी गार्ड था. आरोपी के खिलाफ थाना सेलाकुई, साइबर थाना देहरादून में मुकदमा दर्ज है.
फरार चल रहा था आरोपी: जानकारी के तहत, हाल ही में उत्तराखंड एसटीएफ ने प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना के नाम पर थाना प्रेमनगर, देहरादून क्षेत्र में रहकर ऑनलाइन ठगी करने वाले साइबरों ठगों के गिरोह के 2 सदस्यों को गिरफ्तार किया था. जिनके द्वारा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के निवासियों के अलावा देशभर में कई लोगों के साथ लाखों रुपये की धोखाधड़ी की गई थी. इस पूरे गिरोह का मुख्य संचालक दीपक राज शर्मा तभी से फरार चल रहा था.
एसटीएफ ने दबिश देकर किया अरेस्ट: एसटीएफ आरोपी दीपक राज की तलाश में जगह-जगह दबिश दे रही थी. इसी बीच एसटीएफ को फरार दीपक राज शर्मा के संबंध में वृंदावन, मथुरा छिपे होने की सूचना मिली. एसटीएफ ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दीपक राज को वृंदावन से गिरफ्तार किया. एसटीएफ की मानें तो आरोपी से पूछताछ पर गिरोह में शामिल अन्य आरोपियों की जानकारी जुटाई जा रही है. टीम ने आरोपी के कब्जे से 1 लाख 31 हजार रुपए कैश, 23 मोबाइल, 18 एटीएम कार्ड, 71 सिम कार्ड, 2 बैंक पास बुक और कई लाखों रुपए के हिसाब किताब की 14 डायरियां बरामद की हैं.
आरोपी कैसे बना साइबर ठग का सरगना: दीपक राज शर्मा ने अपने गांव के चुन्नीलाल इंटर कॉलेज सुल्तानपुर, यूपी से 12वीं पास की है. साल 2015 में दीपक देहरादून में काम करने आया. उसने सबसे पहले वसंत विहार में हॉक कमांडो सिक्योरिटी सर्विस में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की. इसके बाद दीपक ने कॉल सेंटर में भी काम किया. दीपक कॉल सेंटर के जरिए लोगों से अलग-अलग कंपनियों के टावर लगाने के नाम पर ठगी करता था. वहीं से साइबर ठगी का काम सीखकर दीपक ने लोगों को ठगना शुरू किया. साल 2015 में दीपक साइबर ठगी के मामले में थाना सेलाकुई से जेल गया. जेल से बाहर आने के बाद साल 2022 में दीपक ने वसंत विहार में अनुराग चौक के पास अपना कॉल सेंटर खोला और मुद्रा लोन के नाम पर साइबर ठगी की वारदातों को अंजाम देना शुरू किया.
हालांकि, साल 2022 में ही साइबर थाना देहरादून ने साइबर ठगी के आरोप में दीपक को गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया. उस दौरान आरोपी दीपक के साथ ऋषिपाल, सोहित शर्मा, विकास शर्मा भी जेल गए थे. एक महीने जेल में रहकर जमानत पर छूटने के बाद वह वापस अपने गांव चला गया. इसके बाद दीपक साल 2023 जून में वापस देहरादून आया और प्रेमनगर क्षेत्र में दोबारा से एक कॉल सेंटर खोला. इस दौरान दीपक ने प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना के नाम से ठगी करनी शुरू की. इस काम के लिए उसने अपने साथ 10 लोगों को भी जोड़ा. जबकि ठगी ने हजार रुपए प्रति सिम खरीदा गया था. एसटीएफ के मुताबिक, आरोपी दीपक फर्जी बैंक खाते बिहार से 25 से 30 हजार रुपए में खरीदता था. मुद्रा लोन का मैसेज और विज्ञापन का काम दिल्ली के एक लड़के से कराता था.
रोजाना लाख रुपए की कमाई: एसटीएफ के मुताबिक, आरोपी दीपक मुद्रा लोन को लेकर फर्जी कॉल से धोखाधड़ी कर प्रति सप्ताह 6 से 7 लाख रुपए कमाता था. जिसमें 50 प्रतिशत हिस्सा अपनी टीम को और 50 प्रतिशत खुद रखता था. दीपक ने ठगी की कमाई से सुद्धोवाला प्रेमनगर में दो प्लॉट लगभग 32 लाख रुपए में खरीदे गए. 5-5 लाख की तीन कमेटियों में धोखाधड़ी की रकम लगाई है. ठाकुरपुर में एक गारमेंट्स के दुकान में भी इन्वेस्ट किया है. इसके अलावा कई अहम जानकारी मिली हैं, जिनके संबंध में एसटीएफ आगे कार्रवाई की योजना बना रही है.
लोगों को इस तरह अपने जाल में फंसाता था: आरोपी लोगों को प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना के बारे में यह बताकर ठगी करता था कि वह इस योजना कार्यालय का सरकारी कर्मचारी है और उन्हें मुद्रा लोन दिलाने में मदद कर सकता है. फिर उसके बाद मुद्रा लोन को स्वीकृत करने और ज्यादा सब्सिडी पाने के लिए कमीशन और प्रोसेसिंग शुल्क के रूप में लोगों से अलग-अलग बैंक खातों में हजारों रुपए जमा कराता था. इस दौरान प्रयोग किए जाने वाले सभी खाते और मोबाइल नंबर फर्जी होते थे.
ठगी के लिए खरीदे सिम कार्ड: इस पूरे गैंग को दीपक राज शर्मा संचालित कर रहा था. उसके दक्षिण भारत के राज्यों के लोगों से मुद्रा लोन योजना के नाम धोखाधड़ी करने के लिए 4-5 लड़के आंध्र प्रदेश व अन्य राज्यों के रखे हुए थे. इसके लिए सभी खाते फर्जी खोले गए थे और फर्जी मोबाइल नंबरों से जुड़े हुए थे. जैसे ही लोगों के पैसे फर्जी खातों में जमा होते थे, तुरंत एटीएम से पैसों को निकाल लिया जाता था. ठगी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सारे सिम कार्ड फर्जी आईडी पर लिए गए थे. 3 से 4 महीने बाद उन खातों के एटीएम को और प्रयोग किए गए सिम कार्ड नंबर को तोड़कर फेंक दिया जाता था.
मामले में क्या बोली पुलिस: एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि गिरोह का सरगना दीपक राज पहले भी लोगों के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में दो बार जेल जा चुका है. इनके द्वारा देश के अलग-अलग कोने में धोखाधड़ी की गई है. भविष्य में आरोपी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी और साइबर ठगी से जो भी संपत्ति अर्जित की गई है, वह भी सीज कराई जाएगी.
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