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भारत का नेपाल को पहले मोटर पुल का तोहफा, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में तैयार है संबंध मजबूत करने वाला 'ब्रिज'

उत्तराखंड सरकार ने पिथौरागढ़ में नेपाल बॉर्डर पर 32 करोड़ रुपए में 110 मीटर लंबा फोर लेन पुल बनाया, अगले साल होगा लोकार्पण

INDIA NEPAL BORDER MOTOR BRIDGE
पिथौरागढ़ में नेपाल बॉर्डर पर बना मोटर पुल (PHOTO- ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 3 hours ago

उत्तराखंड: नेपाल सरकार हमेशा से उत्तराखंड के कई इलाकों को नेपाल का बता कर अपने मैप में दर्शाती रही है. इन हरकतों का कई बार भारत सरकार ने विरोध भी किया है. भारत और नेपाल के बीच संबंधों में हल्की सी कड़वाहट के बीच उत्तराखंड सरकार की तरफ से एक बड़ा कदम उठाया गया है. यह कदम भारत और नेपाल के संबंधों को और मजबूत कर सकता है.

भारत और नेपाल को जोड़ने वाला उत्तराखंड में देश का पहला पुल बनकर तैयार हो गया है. इस पुल के तैयार होने के बाद नेपाल को और उत्तराखंड को व्यापारिक दृष्टि से फायदा होगा. साथ ही दोनों देशों के संबंधों में मधुरता भी आ सकती है. कैसा है यह पुल और क्या होगी इसकी खासियत, हम आपको अपनी इस रिपोर्ट में बताते हैं.

India Nepal Border Motor Bridge
पुल का निरीक्षण करते कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत (PHOTO- ETV BHARAT)

उत्तराखंड सरकार ने बनवाया है दो देशों को जोड़ने वाला सेतु: आज से लगभग 2 साल पहले इस पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. खास बात यह है कि पुल में एक-एक पैसा उत्तराखंड सरकार लगा रही है. इस पुल के तैयार होने के बाद नेपाल एशियन हाईवे से जुड़ जाएगा. 110 मीटर लंबा ये मोटर पुल पिथौरागढ़ के छारछुम इलाका से शुरू हो रहा है. खास बात यह है कि पुल निर्माण के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार नेपाल की सीमा में बनने वाली 180 मीटर की एप्रोच रोड भी बनवा रही है. हालांकि अभी इसकी डीपीआर बनकर शासन में पहुंची है, लेकिन जल्द ही बजट स्वीकृत होने की उम्मीद भी है. पुल पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया है. एप्रोच रोड के बनने के बाद दोनों तरफ से वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी.

32 करोड़ खर्च और नेपाल के साथ भारत को फायदा: पुल का निर्माण 2 साल में पूरा हुआ है. इसकी लागत 32 करोड़ रुपए बताई जा रही है. पुल निर्माण से पहले भारत सरकार और नेपाल सरकार के बीच वार्ता हुई थी. जिसके बाद दोनों ही देशों ने इस पर सहमति जताई थी. पुल निर्माण के बाद उत्तराखंड के कुमाऊं को और खासकर पिथौरागढ़, चंपावत जैसे इलाकों को अत्यधिक फायदा होगा. उत्तराखंड या ये कहें कि भारत से ज्यादा नेपाल के दारचुला, कंचनपुर जिलों को इस पुल से काफी फायदा मिलेगा. खास बात यह है कि ऐसा पहली बार है जब भारत सरकार की कोई एजेंसी नेपाल में जाकर काम कर रही है. मतलब उत्तराखंड का पीडब्ल्यूडी विभाग, नेपाल की सीमा में पहुंचकर एप्रोच रोड बनाएगा, जिसके लिए मशीनें पहुंच गई हैं.

पहला मोटर पुल होगा जिससे गुजरेंगे छोटे-बड़े वाहन: पुल तो बनकर तैयार हो गया है, लेकिन इस पर आवाजाही 2025 में शुरू होगी, जब रोड पूरी तरह से नेपाल की सीमा में बन कर तैयार हो जाएगी. पुल की खास बात यह है कि इस पर बड़े वाहन भी आना जाना कर सकेंगे. इतना ही नहीं पैदल चलने के लिए सर्विस लाइन भी दी गई है. भारत और नेपाल को जोड़ने वाला यह पहला ऐसा पहला पुल है, जहां से गाड़ियों की आवाजाही हो पाएगी. अब तक जितने भी पुल उत्तराखंड में नेपाल को जोड़ रहे हैं, वह अधिकतर झूला पुल ही हैं. पुल के पास ही एसएसबी की चौकी बनाई जा रही है. साथ ही पार्किंग के साथ जवानों के रहने की व्यवस्था के लिए भी इमारत खड़ी होगी. दोनों ही देशों की सुरक्षा एजेंसियां यहां पर तैनात होंगी. ये बॉर्डर पर पहला फोर लेन पुल है. रात और दिन वाहन आना जाना करेंगे.

सीएम धामी ने कहा पूरे प्रदेश को होगा फायदा: उत्तराखंड की सीमा से बनने वाले इस पुल को लेकर उत्तराखंड सरकार भी बेहद खुश है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि भारत और नेपाल के बीच हमेशा से मधुर संबंध रहे हैं. हम यह चाहेंगे कि यह रिश्ते और भी ज्यादा मजबूत हों. उत्तराखंड की सीमा नेपाल से लगती है. नेपाल के लोग उत्तराखंड में व्यापार करने के लिए और धार्मिक गतिविधियों के लिए भी आते हैं. हमें उम्मीद है कि पुल निर्माण के बाद चारधाम यात्रा पर आने वाले नेपाल के श्रद्धालुओं को भी इसका फायदा मिलेगा. लोग अपनी गाड़ी से चारधाम यात्रा दर्शन करने आएंगे. यह अपने आप में अद्भुत होगा. पुल के निर्माण के बाद दोनों ही देश में व्यापारिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी.

कमिश्नर बोले बस थोड़ा इंतजार कीजिए: कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत कहते हैं कि काली नदी पर बनने वाला यह पुल पूरी तरह से तैयार हो गया है. पीडब्ल्यूडी ने इसको बनाया है. अब तक पैदल मार्ग ही नेपाल और भारत के बीच एकमात्र साधन था. पिथौरागढ़ जिले में इतना बड़ा पुल निर्माण होने के बाद दोनों ही देशों को इसका फायदा मिलने जा रहा है. खास बात यह है कि नेपाल का हाइवे पुल के समीप से गुजर रहा है. इसको लेकर नेपाल सरकार द्वारा यह कहा गया था कि अगर हमारी एजेंसी पुल या यह कहें मार्ग को हाइवे तक बना देती है, तो उनका फायदा होगा. हमने इस बात को मानकर आगे की कार्रवाई भी शुरू कर दी है. उम्मीद है कि अगले साल यह पुल चालू हो जाएगा.

एजेंसियों की होगी हर आने जाने वाले पर नजर: आपको बता दें कि इस पुल की शुरुआत होने के बाद दोनों देशों की एजेंसियां यहां पर तैनात होंगी. इसमें एसएसबी के साथ ही कस्टम विभाग और अन्य एजेंसियों की नजर हर आने जाने वाले पर रहेगी.
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उत्तराखंड: नेपाल सरकार हमेशा से उत्तराखंड के कई इलाकों को नेपाल का बता कर अपने मैप में दर्शाती रही है. इन हरकतों का कई बार भारत सरकार ने विरोध भी किया है. भारत और नेपाल के बीच संबंधों में हल्की सी कड़वाहट के बीच उत्तराखंड सरकार की तरफ से एक बड़ा कदम उठाया गया है. यह कदम भारत और नेपाल के संबंधों को और मजबूत कर सकता है.

भारत और नेपाल को जोड़ने वाला उत्तराखंड में देश का पहला पुल बनकर तैयार हो गया है. इस पुल के तैयार होने के बाद नेपाल को और उत्तराखंड को व्यापारिक दृष्टि से फायदा होगा. साथ ही दोनों देशों के संबंधों में मधुरता भी आ सकती है. कैसा है यह पुल और क्या होगी इसकी खासियत, हम आपको अपनी इस रिपोर्ट में बताते हैं.

India Nepal Border Motor Bridge
पुल का निरीक्षण करते कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत (PHOTO- ETV BHARAT)

उत्तराखंड सरकार ने बनवाया है दो देशों को जोड़ने वाला सेतु: आज से लगभग 2 साल पहले इस पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. खास बात यह है कि पुल में एक-एक पैसा उत्तराखंड सरकार लगा रही है. इस पुल के तैयार होने के बाद नेपाल एशियन हाईवे से जुड़ जाएगा. 110 मीटर लंबा ये मोटर पुल पिथौरागढ़ के छारछुम इलाका से शुरू हो रहा है. खास बात यह है कि पुल निर्माण के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार नेपाल की सीमा में बनने वाली 180 मीटर की एप्रोच रोड भी बनवा रही है. हालांकि अभी इसकी डीपीआर बनकर शासन में पहुंची है, लेकिन जल्द ही बजट स्वीकृत होने की उम्मीद भी है. पुल पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया है. एप्रोच रोड के बनने के बाद दोनों तरफ से वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी.

32 करोड़ खर्च और नेपाल के साथ भारत को फायदा: पुल का निर्माण 2 साल में पूरा हुआ है. इसकी लागत 32 करोड़ रुपए बताई जा रही है. पुल निर्माण से पहले भारत सरकार और नेपाल सरकार के बीच वार्ता हुई थी. जिसके बाद दोनों ही देशों ने इस पर सहमति जताई थी. पुल निर्माण के बाद उत्तराखंड के कुमाऊं को और खासकर पिथौरागढ़, चंपावत जैसे इलाकों को अत्यधिक फायदा होगा. उत्तराखंड या ये कहें कि भारत से ज्यादा नेपाल के दारचुला, कंचनपुर जिलों को इस पुल से काफी फायदा मिलेगा. खास बात यह है कि ऐसा पहली बार है जब भारत सरकार की कोई एजेंसी नेपाल में जाकर काम कर रही है. मतलब उत्तराखंड का पीडब्ल्यूडी विभाग, नेपाल की सीमा में पहुंचकर एप्रोच रोड बनाएगा, जिसके लिए मशीनें पहुंच गई हैं.

पहला मोटर पुल होगा जिससे गुजरेंगे छोटे-बड़े वाहन: पुल तो बनकर तैयार हो गया है, लेकिन इस पर आवाजाही 2025 में शुरू होगी, जब रोड पूरी तरह से नेपाल की सीमा में बन कर तैयार हो जाएगी. पुल की खास बात यह है कि इस पर बड़े वाहन भी आना जाना कर सकेंगे. इतना ही नहीं पैदल चलने के लिए सर्विस लाइन भी दी गई है. भारत और नेपाल को जोड़ने वाला यह पहला ऐसा पहला पुल है, जहां से गाड़ियों की आवाजाही हो पाएगी. अब तक जितने भी पुल उत्तराखंड में नेपाल को जोड़ रहे हैं, वह अधिकतर झूला पुल ही हैं. पुल के पास ही एसएसबी की चौकी बनाई जा रही है. साथ ही पार्किंग के साथ जवानों के रहने की व्यवस्था के लिए भी इमारत खड़ी होगी. दोनों ही देशों की सुरक्षा एजेंसियां यहां पर तैनात होंगी. ये बॉर्डर पर पहला फोर लेन पुल है. रात और दिन वाहन आना जाना करेंगे.

सीएम धामी ने कहा पूरे प्रदेश को होगा फायदा: उत्तराखंड की सीमा से बनने वाले इस पुल को लेकर उत्तराखंड सरकार भी बेहद खुश है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि भारत और नेपाल के बीच हमेशा से मधुर संबंध रहे हैं. हम यह चाहेंगे कि यह रिश्ते और भी ज्यादा मजबूत हों. उत्तराखंड की सीमा नेपाल से लगती है. नेपाल के लोग उत्तराखंड में व्यापार करने के लिए और धार्मिक गतिविधियों के लिए भी आते हैं. हमें उम्मीद है कि पुल निर्माण के बाद चारधाम यात्रा पर आने वाले नेपाल के श्रद्धालुओं को भी इसका फायदा मिलेगा. लोग अपनी गाड़ी से चारधाम यात्रा दर्शन करने आएंगे. यह अपने आप में अद्भुत होगा. पुल के निर्माण के बाद दोनों ही देश में व्यापारिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी.

कमिश्नर बोले बस थोड़ा इंतजार कीजिए: कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत कहते हैं कि काली नदी पर बनने वाला यह पुल पूरी तरह से तैयार हो गया है. पीडब्ल्यूडी ने इसको बनाया है. अब तक पैदल मार्ग ही नेपाल और भारत के बीच एकमात्र साधन था. पिथौरागढ़ जिले में इतना बड़ा पुल निर्माण होने के बाद दोनों ही देशों को इसका फायदा मिलने जा रहा है. खास बात यह है कि नेपाल का हाइवे पुल के समीप से गुजर रहा है. इसको लेकर नेपाल सरकार द्वारा यह कहा गया था कि अगर हमारी एजेंसी पुल या यह कहें मार्ग को हाइवे तक बना देती है, तो उनका फायदा होगा. हमने इस बात को मानकर आगे की कार्रवाई भी शुरू कर दी है. उम्मीद है कि अगले साल यह पुल चालू हो जाएगा.

एजेंसियों की होगी हर आने जाने वाले पर नजर: आपको बता दें कि इस पुल की शुरुआत होने के बाद दोनों देशों की एजेंसियां यहां पर तैनात होंगी. इसमें एसएसबी के साथ ही कस्टम विभाग और अन्य एजेंसियों की नजर हर आने जाने वाले पर रहेगी.
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