नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को उत्तराखंड सरकार ने राज्य के जंगल में लगी आग पर काबू पाने के बारे में जानकारी दी. राज्य सरकार ने बताया कि सिर्फ 0.1 प्रतिशत वन्यजीव इस आग से प्रभावित हुए हैं.
हालांकि मीडिया के कुछ वर्गों ने बताया कि उत्तराखंड का 40 प्रतिशत हिस्सा जल रहा था, जो पूरी तरह से भ्रामक था. राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को बताया पिछले साल नवंबर से राज्य में जंगल में आग लगन की 398 घटनाएं हुई हैं और वह सभी मानव निर्मित हैं.
साथ ही उन्होंने बताया कि जंगल की आग के संबंध में 350 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं और उनमें 62 लोगों को नामित किया गया है. वकील ने कहा कि लोग कहते हैं कि उत्तराखंड का 40 प्रतिशत हिस्सा आग से जल रहा है, जबकि पहाड़ में वन्यजीव इलाके का केवल 0.1 प्रतिशत भाग ही आग की चपेट में हैं.
राज्य सरकार ने जंगल की आग के मुद्दे पर अदालत के समक्ष एक स्थिति रिपोर्ट रखते हुए, जंगल की आग से निपटने के लिए संबंधित अधिकारियों द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में भी पीठ को जानकारी दी.
अधिवक्ता ने पीठ के समक्ष अंतरिम स्थिति रिपोर्ट रखते हुए बताया कि 'क्लाउड सीडिंग' (कृत्रिम बारिश) या 'इंद्र देवता पर निर्भर रहना' इस मुद्दे का समाधान नहीं है और राज्य को इस बारे में निवारक उपाय करने पड़ेंगे. मामले में कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 मई की तारीख तय की है.
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