देहरादून: उत्तराखंड में साल 2016 में एक निजी शिक्षण संस्थान में स्थापित प्रदेश के पहले इनक्यूबेटर सेंटर में 10x10 के कमरे से शुरू हुए सनफॉक्स टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड (Sunfox Technology Private Limited) कंपनी ने साल 2021 में पहली बार अपने मेडिकल प्रोडक्ट को मार्केट में उतारा था. उस सक्सेस के बाद अब यह स्टार्टअप सालाना 10 करोड़ का टर्नओवर जनरेट कर रहा है और आज दुनियाभर में इस कंपनी के प्रोडक्ट एक्टिव हैं. इसी क्रम में कंपनी हार्ट अटैक की समस्या का समाधान मार्केट में लाने जा रही है, जिसका नाम स्पंदन प्रो डिवाइस है. इसकी सहायता से लोग अल्फा टेस्ट कर सकते हैं.
स्पंदन ईसीजी मशीन कंपनी का पहला सफल प्रोडक्ट: उत्तराखंड से शुरू हुए पहले स्टार्टअप के रूप में सनफॉक्स टेक्नोलॉजी ने सबसे पहले पोर्टेबल एक डिवाइस बनाई, जो कहीं पर भी मोबाइल की तरह काम करके आपकी इंस्टेंट एक रिपोर्ट दे सकती है. इस डिवाइस के मार्केट में आने से अस्पतालों में बड़ी-बड़ी मशीनों और उनमें लगने वाले समय से लोग बचने लगे. यही वजह है कि इसका मूल्य शुरुआत में ₹10,000 था और बाद में मार्केट में डिमांड बढ़ने के बाद इसका मूल्य ₹7000 कर दिया गया है.
इस डिवाइस ने इतनी सफलता पाई कि स्टार्टअप रातों-रात हिट हो गया. इसके अलावा यह कंपनी लगातार नए प्रोडक्ट बना रही है, जिसमें इंडियन आर्मी के लिए भी कई डिवाइस बनाना शामिल है. कई बार स्टार्टअप के लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहा और उनसे मुलाकात की. जी-20 में भी स्टार्टअप सेगमेंट में इस स्टार्टअप को चेयर स्टार्टअप में रखा गया.
हार्ट अटैक से बचाएगी स्पंदन प्रो डिवाइस: कोरोना के बाद पूरे देश में हार्ट अटैक की समस्या बढ़ती जा रही है. सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हुए हैं, जिसमें देखा जा रहा है कि जिम में एक्सरसाइज करते-करते जवान लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो गई है. ऐसे में सनफॉक्स टेक्नोलॉजी कंपनी की तरफ से स्पंदन प्रो डिवाइस बनाई गई है, जो आपकी क्षमता की गणना करेगी और आपको जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज करने से रोकेगी.
स्पंदन प्रो डिवाइस करेगा अल्फा टेस्ट: सनफॉक्स टेक्नोलॉजी के टेक्निकल हेड नितिन चंदौला बताते हैं कि उनकी कंपनी द्वारा एक ऐसी डिवाइस बनाई गई है, जिससे अल्फा टेस्ट किया जाता है. अल्फा टेस्ट एक तरह का मानव शरीर का फिटनेस टेस्ट है, लेकिन यहां टेस्ट एक खास स्थिति में किया जाता है. इसमें व्यक्ति अपने शरीर पर कसरत करके अतिरिक्त दबाव डालता है और यह टेस्ट बताता है कि आपका शरीर कितना दबाव झेल सकता है.
शोधकर्ता बताते हैं कि इस अल्फा टेस्ट के जरिए वह व्यक्ति की एक्सरसाइज करते हुए हार्ट, माइंड और मसल्स की रीडिंग लेते हैं और अपनी तकनीक के माध्यम से इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि व्यक्ति अपने हाथ, मसल्स और अपने मन पर कितना प्रेशर झेल सकता है. यानी एक व्यक्ति के कसरत करने की अधिकतम क्षमता क्या है.
टेस्टेड और प्रूवन है यह स्ट्रैंथ चेकिंग डिवाइस: इस टेक्नोलॉजी को इन्वेंट करने वाले सनफॉक्स टेक्नोलॉजी के शोधकर्ता बताते हैं कि इस टेक्नोलॉजी को कई अलग-अलग पैरामीटर पर टेस्ट किया गया है. इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से 10 ओलंपिक खिलाड़ियों पर भी टेस्ट किया गया है और उनके रिजल्ट का मिलान मैन्युअल टेस्ट से भी किया गया है. उन्होंने कहा कि इसकी एक्यूरेसी के साथ-साथ इसके परिणामों ने बेहतर प्रदर्शन किया है. यह डिवाइस एक एथलीट खिलाड़ी की ट्रेनिंग और उसकी स्ट्रैंथ को और मजबूत करने में भी काम आ सकती है.
दरअसल, इस डिवाइस का इस्तेमाल एक्सरसाइज करते हुए व्यक्ति पर किया जाता है और उससे प्राप्त होने वाली रीडिंग से उसके शारीरिक ऑर्गन्स और रिस्पांस के साथ-साथ रिकवरी का भी डाटा कलेक्ट किया जाता है. इसी डाटा के आधार पर व्यक्ति की सामर्थ का निर्धारण होता है.
राज्य और केन्द्र से स्टार्टअप को मिली आर्थिक सहायता: उत्तराखंड के पहले स्टार्टअप्स एंड सनफॉक्स टेक्नोलॉजी के फाउंडर रजत जैन बताते हैं कि उन्हें उत्तराखंड सरकार द्वारा अब तक 6.5 लाख रुपए की मदद मिली है, जबकि केंद्र सरकार से तकरीबन 50 लाख रुपए तक की मदद मिली है. इसके अलावा कंपनी पर खुद के तकरीबन 2 करोड़ और इन्वेस्टर के 11 करोड़ लगे हुए हैं. यही नहीं, उत्तराखंड के स्टार्टअप पर US गवर्नमेंट का भी तकरीबन ढाई करोड़ रुपए लगा हुआ है. जिस तरह से भारत में पीएम केयर फंड होता है, उसी तरह यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका में US aid फंड होता है, जिससे उत्तराखंड के इस स्टार्टअप में इन्वेस्ट किया गया है.
2016 में उत्तराखंड के पहले स्टार्टअप की हुई थी शुरुआत: सनफॉक्स टेक्नोलॉजी के फाउंडर रजत जैन ने बताया कि उन्होंने 2012 में बीटेक में एडमिशन लिया था. पहले साल उन्होंने सिविल से बीटेक किया, लेकिन दूसरे साल में उन्होंने अपने विषय बदलकर इलेक्ट्रॉनिक कर लिया. साथ ही उन्होंने बीटेक करते-करते कई नए इन्वेंशन किए थे और कई रिसर्च पेपर भी लिख चुके थे. उन्होंने कहा कि उनकी रुचि उस समय फार्मूला कार में थीं और बीटेक पूरा करने के बाद उन्होंने फॉर्मूला कार बनाने वाली कंपनियों में बहुत नौकरी भी ढूंढी लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिली. जिसके बाद उन्होंने साल 2016 में ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में बने प्रदेश के पहले इनक्यूबेशन सेंटर से उत्तराखंड के पहले स्टार्टअप की शुरुआत की. स्टार्टअप शुरू करने और उसे आगे बढ़ाने में प्रोफेसर विनय तिवारी (उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी के प्रथम VC) ने उनका भरपूर सहयोग किया.
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