रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड): देशभर में इन दिनों पुलों के टूटने की खबरें आम है. ताजा मामला उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले से सामने आया है. रुद्रप्रयाग जिले में बन रहा प्रदेश का पहला सिग्नेचर ब्रिज टूट गया है. नरकोटा में पुल टूटने के बाद अफरा-तफरी मच गई. प्रदेश का पहला सिग्नेचर ब्रिज रुद्रप्रयाग जिले में नरकोटा में बन रहा है. ये सिग्नेचर ब्रिज बदरीनाथ हाईवे पर पड़ता है. 76 करोड़ की लागत से सिग्नेचर ब्रिज को बनाया जा रहा था.
ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर धारी देवी और रुद्रप्रयाग के बीच नरकोटा में सिग्नेचर ब्रिज का निर्माण किया जा रहा था. 110 मीटर की लंबाई वाले इस मोटरपुल की ऊंचाई तकरीबन 40 मीटर तक है. सिग्नेचर ब्रिज ऑल वेदर सड़क परियोजना के तहत निर्मित किया जा रहा था. नरकोटा में एनएच के बड़े हिस्से को रेलवे ने अधिकृत किया है, जिसके बाद हाईवे के स्थान पर इस सिग्नेचर ब्रिज को निर्मित किया जा रहा है. इस जगह पर साल 2020 में भी हादसा हो चुका है. जिसमें 2 मजदूरों की मौत हुई थी.
दरअसल, ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर रुद्रप्रयाग के निकट नरकोटा में ऑल वेदर परियोजना के तहत लगभग 66 करोड़ की लागत से 110 मीटर लम्बाई वाले सिग्नेचर ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है. उत्तराखंड का नरकोटा में यह पहला सिग्नेचर ब्रिज बन रहा है. 2021 से इस पुल का निर्माण कार्य चल रहा है. 2022 में भी इस का बेस गिर गया था. हादसे में 3 मजदूरों की मौत हो गई थी. इसके बाद पुल निर्माण कार्य ने तेज गति पकड़ी. इस वर्ष मई माह तक पुल का निर्माण कार्य पूर्ण होना था, लेकिन नहीं हो पाया. पुल का निर्माण कार्य लगातार चल रहा था, लेकिन गुरूवार दोपहर को अचानक पुल के एक छोर का टॉवर धराशायी हो गया.
हादसे के समय कोई भी मजदूर पुल पर कार्य नहीं कर रहा था. पुल निर्माण के लिये रेल विकास निगम ने पैसा दिया है. जहां पहले बदरीनाथ हाईवे था, वहां पर रेलवे की टनल बन रही है. टनल के स्थान पर रेलवे इस पुल का निर्माण कार्य करवा रहा है. रेलवे ने राष्ट्रीय राजमार्ग खंड श्रीनगर को यह कार्य दिया गया. एनएच ने कार्यदायी संस्था को पुल का कार्य सौंपा गया है. उत्तराखंड में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर यह पहला घुमावदार पुल बन रहा है.
जिला पंचायत सदस्य नरेंद्र बिष्ट एवं उप प्रधान नरकोटा कुलदीप जोशी ने कहा कंपनी की ओर से सिग्नेचर पुल का निर्माण कार्य किया जा रहा है. जब से इस पुल का कार्य शुरू हुआ है, तब से ही इसके निर्माण कार्य पर सवाल खड़े हुए हैं. शुरुआत में पुल के बेसमेंट निर्माण के दौरान भी बड़ा हादसा हुआ, उसके बाद भी कंपनी ने सबक नहीं लिया. इसके अलावा जहां-जहां कंपनी की ओर से पुलों का निर्माण किया गया, वहां हादसे हुए हैं. कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया जाना चाहिए.