देहरादून: उत्तराखंड में वनाग्नि हर साल वन विभाग के लिए चुनौती बन जाती है. इस बार भी कुछ इसी तरह से वन विभाग को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है. इसी बीच वन महकमे के कर्मी लोकसभा चुनाव 2024 में ड्यूटी के कारण फॉरेस्ट फायर की तैयारी पूरी नहीं होने की बात कहते सुने जा रहे हैं, जबकि कर्मचारियों में फील्ड कर्मियों पर सरकार की कार्रवाई को लेकर आक्रोश भी है.
उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर सीजन 15 फरवरी से 15 जून तक: प्रदेश में फॉरेस्ट फायर सीजन 15 फरवरी से 15 जून तक होता है. अप्रैल का महीना महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान आग लगने की घटनाएं बढ़नी शुरू हो जाती हैं. ऐसे में फील्ड कर्मचारियों को आग से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहना पड़ता है, लेकिन आरोप है कि इस दौरान वन विभाग के कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी में लगा दिया गया. हैरत की बात यह है कि फॉरेस्ट फायर सीजन के दौरान वन विभाग के कर्मचारी चुनाव ड्यूटी में ना लगाए जाएं, इसके लिए प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु से लेकर वन विभाग के मुखिया तक ने बार-बार पत्र लिखे. चुनाव आयोग भी इसको लेकर सहमत दिखाई दिया, लेकिन फिर भी फील्ड कर्मचारियों की ड्यूटी चुनाव में लगाई गई.
अधिकारी बोले चुनाव में ड्यूटी लगाना राजकीय निर्णय: प्रमुख वन संरक्षक हॉफ धनंजय मोहन ने कहा कि फील्ड कर्मचारियों की चुनाव में ड्यूटी लगाना राजकीय निर्णय था. लिहाजा इस पर उनका कुछ भी कहना ठीक नहीं है, लेकिन जिस तरह से वन विभाग के कर्मचारी 10 से 15 दिन तक चुनाव ड्यूटी में तैनात रहे, उससे जंगलों में प्रतिकूल असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि चुनाव भी बेहद महत्वपूर्ण होते हैं और वन विभाग द्वारा फॉरेस्ट फायर को लेकर पहले से भी तैयारी कर ली गई थी.
कर्मचारियों ने उठाए सवाल: वन विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि लोकसभा चुनाव भी महत्वपूर्ण है, लेकिन जब पहले ही फॉरेस्ट फायर की स्थितियों को लेकर इस बार हालत गंभीर होने की संभावना व्यक्त की जा रही थी, तो ऐसी स्थिति में बार-बार पत्र लिखे जाने और सभी की सहमति होने के बावजूद क्यों जिला स्तर पर जिलाधिकारी द्वारा चुनाव ड्यूटी में वन विभाग के कर्मचारियों को लगाया गया.
सहायक वन कर्मचारी संघ ने जताई नाराजगी: सहायक वन कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष स्वरूपचंद रमोला ने बताया कि फील्ड कर्मचारियों को जब चुनाव में नहीं लगाए जाने के निर्देश दिए गए थे, तो फिर आदेश की अवहेलना क्यों की गई. वहीं, जब वन विभाग को तैयारी करनी थी, तब जिलाधिकारी ने फील्ड कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी में लगा दिया और अब छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा रही है, जो कि गलत है. उन्होंने कहा कि एक बीट 1000 से 2500 हेक्टेयर का क्षेत्र का होता है. ऐसे में एक बीट अफसर या एक दरोगा कैसे इतने क्षेत्र में आग लगने से रोक सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में पेश होंगी मुख्य सचिव राधा रतूड़ी: हालांकि पिछले कुछ दिनों में वन विभाग ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके अनुसार राज्य में जंगलों के जलने की घटनाएं कम हुई हैं. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर गंभीर दिखाई दे रहा है और जंगलों के जलने के मामले में मुख्य सचिव को हाजिर होने के निर्देश दिए हैं. हालांकि इस मामले में सरकार का अपना पक्ष है, लेकिन चुनाव के दौरान जिला अधिकारियों द्वारा चुनाव ड्यूटी के लिए फील्ड कर्मचारियों को लगाए जाने का यह मामला वन विभाग में कर्मचारियों की जुबान पर बना हुआ है. साथ ही अब सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाइयों की भी कर्मचारी संगठनों द्वारा निंदा की जा रही है.
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