देहरादून: पूरे देश में इस समय पेपर लीक का मामला छाया हुआ है. इसको लेकर राजनीति चरम पर है. दरअसल सबसे पहले NEET के पेपर में गड़बड़ी होने की बातें सामने आई. इसके ठीक बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने यूजीसी नेट की परीक्षा में गड़बड़ी होने की बात कहते हुए परीक्षा को रद्द करने के आदेश जारी कर दिए. इतना ही नहीं इसको लेकर सीबीआई जांच के भी निर्देश दिए गए. पेपर लीक प्रकरण पर देश भर में चल रहे बवंडर के बीच केंद्र सरकार ने एंटी पेपर लीक कानून को भी लागू करवा लिया. इसके जरिए पेपर लीक करने वालों पर सख्त कार्रवाई की मंशा को जाहिर किया गया. इसमें कई कठोर कार्रवाई से जुड़े प्रावधान भी रखे गए. केंद्र सरकार ने पेपर लीक प्रकरण को लेकर जो कानून लाया है, उत्तराखंड राज्य इससे भी कठोर करवाई वाला नकल रोधी कानून पहले ही लागू कर चुका है.
केंद्र सरकार के कानून के तहत नकल करने का दोषी पाए जाने पर सर्विस प्रोवाइडर्स पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा. साथ ही परीक्षा संचालन में आए खर्च की भी उससे वसूली होगी. यह सर्विस प्रोवाइडर 4 साल तक किसी भी पब्लिक एक्जाम को संचालित नहीं कर पाएगा. ऐसे व्यक्ति के खिलाफ 3 साल से लेकर 10 साल तक की कैद और एक करोड़ के जमाने का भी प्रावधान है. इस मामले में उत्तराखंड का कानून ज्यादा सख्त है, क्योंकि, यदि कोई प्रिंटिंग प्रेस या सेवा प्रदाता संस्था की तरफ से नकल कराने का काम किया जाता है तो ऐसे दोषी व्यक्तियों को आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. साथ ही 10 करोड़ रुपए तक के अर्थदंड का भी प्रावधान है.
परीक्षा से जुड़े अधिकारियों या संगठित होकर ऐसे अपराध करने वाले लोगों के खिलाफ भी कठोर सजा का प्रावधान रखा गया है. केंद्र सरकार के कानून के तहत ऐसी स्थिति में 5 से 10 साल की सजा और एक करोड़ रुपए का जुर्माना कानून में तय किया गया है. उत्तराखंड में लागू किए गए नकल रोधी कानून के तहत संगठित होकर यदि कोई इस अपराध में शामिल होता हुआ पाया जाता है तो ऐसे व्यक्ति को भी आजीवन कारावास और 10 करोड़ तक के जमाने का प्रावधान रखा गया है.
केंद्र सरकार के अंतिम पेपर लीक कानून के तहत अब पेपर लीक या परीक्षा में धांधली करने वालों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है. इसके तहत परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों का उपयोग करते हुए पाए जाने पर किसी भी व्यक्ति को कम से कम 3 साल की कैद की सजा हो सकती है, जबकि इसे बढ़ाकर 5 साल तक किया जा सकता है. इस दौरान ऐसे व्यक्ति के खिलाफ 10 लाख रुपए का भी जुर्माना लगाया जा सकता है.
इस मामले में उत्तराखंड के नकल रोधी कानून में भी कार्रवाई को लेकर सजा का प्रावधान किया गया है. यदि परीक्षार्थी द्वारा खुद नक़ल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल करते हुए अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो ऐसे व्यक्ति को 3 साल की कारावास और न्यूनतम 5 लाख का जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी यदि ऐसे परीक्षार्थी के नकल में शामिल होने की बात सामने आती है तो ऐसी स्थिति में 10 साल के कारावास और न्यूनतम 10 लाख के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है. इतना ही नहीं अगले 10 साल तक किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में संबंधित परीक्षार्थी को मौका नहीं दिया जाएगा.
इस तरह केंद्र सरकार के कानून में जहां 10 साल की सजा और एक करोड़ के जमाने को अधिकतम रखा गया है, वहीं उत्तराखंड ने नकल रोधी कानून में आजीवन कारावास और 10 करोड़ के जुर्माने का प्रावधान है.
केंद्र और उत्तराखंड में नकल विरोधी कानून में यह हैं प्रावधान
- उत्तराखंड में नकल विरोधी कानून के तहत दोषियों को 10 करोड़ तक का जुर्माना और आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया.
- केंद्र सरकार ने भी 10 साल की सजा और एक करोड़ का जुर्माना तय किया है.
- कानून के तहत पेपर लीक करने वाले माफियाओं की संपत्ति कुर्क करने का है प्रावधान.
- उत्तराखंड में पेपर लीक में शामिल अभ्यर्थियों को भी परीक्षाओं से कुछ साल के लिए डिबार करने का है नियम.
उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) कानून 2023 में ये हैं प्रावधान-
- उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक, नकल कराने या गलत साधनों का इस्तेमाल पाए जाने पर दोषी को आजीवन कारावास की सजा और 10 करोड़ रुपये तक जुर्माने का प्रावधान.
- यदि कोई व्यक्ति, सेवा देने वाली संस्था, प्रिंटिंग प्रेस, कोचिंग संस्थान आदि गलत साधनों में लिप्त पाए जाते हैं तो उन्हें आजीवन कारावास की सजा और 10 करोड़ रुपये का जुर्माना होगा.
- यदि भर्ती परीक्षा का कोई अभ्यर्थी के स्वयं नकल करते या कराते हुए अनुचित साधनों में शामिल पाए जाने पर तीन साल की सजा और न्यूनतम पांच लाख जुर्माने का प्रावधान.
- यदि वही अभ्यर्थी दूसरी बार भी किसी प्रतियोगी परीक्षा में फिर दोषी पाया जाता है तो उसपर न्यूनतम 10 वर्ष की सजा और न्यूनतम 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
- नकल करते पाए जाने पर आरोपी अभ्यर्थी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाएगी. चार्जशीट दाखिल होने की डेट से दो से पांच वर्ष के लिए उसे निलंबित किया जाएगा और दोषी साबित होने पर उस अभ्यर्थी को 10 वर्ष के लिए सभी परीक्षा देने से सस्पेंड कर दिया जाएगा.
- वहीं, अगर वही अभ्यर्थी दोबारा नकल करते पाया गया तो आरोप पत्र दाखिल करने से पांच से 10 साल के लिए निलंबित किया जाएगा और दोष साबित होने पर वो आजीवन प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने से रोक दिया जाएगा.
- इसके साथ ही, यदि कोई व्यक्ति परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षडयंत्र करता है तो उसे आजीवन कारावास तक की सजा व 10 करोड़ रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है.
- सजा गैर जमानती अपराध की श्रेणी में शामिल.
- दोषियों की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान.