नई दिल्ली: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के चेयरपर्सन मनोज सोनी ने अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले इस्तीफा दे दिया है, जिसे लेकर कई तरह की बहस शुरू हो गई है. उन्होंने पद छोड़ते हुए कहा कि मैं अपने निजी कारणों से यह पद छोड़ रहा हूं. गौरतलब है कि मनोज सोनी का कार्यकाल अभी 5 साल बाकी था. 2017 में वह यूपीएससी के सदस्य बने और 16 मई 2023 को उन्हें यूपीएससी के अध्यक्ष का पद सौंपा गया था. उन्होंने इस्तीफा देते हुए साफ कर दिया है कि पूजा खेडकर मामले से इसका कोई संबंध नहीं है.
यहां देना चाहते हैं समय
वहीं, सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि इस्तीफे के बाद मनोज सोनी अपना समय अनुपम मिशन को देना चाहते हैं. अनुपम मिशन स्वामीनारायण सम्प्रदाय की एक ब्रांच है. बता दें, स्वामीनारायण सम्प्रदाय हिंदू धर्म के वैष्णव मार्ग के अंतर्गत एक संप्रदाय है.
एक महीने पहले दिया था इस्तीफा
सूत्रों के मुताबिक, मनोज सोनी ने करीब एक महीने पहले राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. अभी तक शीर्ष अधिकारियों ने उनका त्याग पत्र स्वीकार नहीं किया है. हालांकि, यह साफ नहीं है कि उनका इस्तीफा स्वीकार किया जाएगा या नहीं. सूत्रों के हवाले से जो खबर सामने आ रही है उसके मुताबिक, सोनी का इस्तीफा प्रोबेशनरी IAS अधिकारी पूजा खेडकर से जुड़े विवादों से संबंधित नहीं है, जिन पर कथित तौर पर चयनित होने के लिए फर्जी विकलांगता और जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने का आरोप है.
कैसा रहा मनोज सोनी का करियर?
59 वर्षीय प्रख्यात शिक्षाविद् सोनी ने 28 जून, 2017 को आयोग के सदस्य के रूप में पदभार संभाला था. जून 2017 में यूपीएससी में शामिल होने से पहले, मनोज सोनी ने अपने गृह राज्य में दो विश्वविद्यालयों के चांसलर के रूप में तीन कार्यकाल दिए. 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने उन्हें एमएस यूनिवर्सिटी, वडोदरा का चांसलर बनाया था. गौरतलब है कि सोनी 40 साल की उम्र में कुलपति बने थे. उन्होंने 16 मई, 2023 को यूपीएससी अध्यक्ष के रूप में शपथ ली और उनका कार्यकाल 15 मई, 2029 को समाप्त होना था.
क्या है पूजा खेडकर विवाद
सोनी का इस्तीफा ऐसे समय में हुआ है, जब यूपीएससी ने ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ केस दर्ज किया है. खेडकर तब सुर्खियों में आई थीं, जब उन्हें एक नौकरशाह के रूप में सत्ता और विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करने के लिए प्रशिक्षण पूरा करने से पहले ही पुणे से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया था. खेडकर का मामला सामने आने और विवाद पैदा होने के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों ने उसके प्रमाण-पत्रों की जांच शुरू हुई. इसके बाद ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई.
अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति
अनुच्छेद 316 के अनुसार, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति, संघ आयोग या संयुक्त आयोग के मामले में, राष्ट्रपति द्वारा तथा राज्य आयोग के मामले में, राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाएगी.
अभी भी बने हुए हैं वर्तमान अध्यक्ष
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अध्यक्ष मनोज सोनी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन आयोग की निर्देशिका में मनोज सोनी को अभी भी यूपीएससी का वर्तमान अध्यक्ष बनाया गया है. इस बाबत एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि उन्होंने इस्तीफा तो दे दिया है, लेकिन सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है. इसलिए मनोज सोनी को अभी भी आधिकारिक तौर पर यूपीएससी का माननीय अध्यक्ष बनाया गया है.
यूपीएससी का गठन
लोक सेवा आयोग के कार्य भारत सरकार अधिनियम, 1919 में निर्धारित नहीं किए गए थे, बल्कि भारत सरकार अधिनियम, 1919 की धारा 96(सी) की उपधारा (2) के अंतर्गत बनाए गए लोक सेवा आयोग (कार्य) नियम, 1926 द्वारा विनियमित किए गए थे. इसके अलावा, भारत सरकार अधिनियम, 1935 में संघ के लिए एक लोक सेवा आयोग और प्रत्येक प्रांत या प्रांतों के समूह के लिए एक प्रांतीय लोक सेवा आयोग की परिकल्पना की गई थी. इसलिए, भारत सरकार अधिनियम, 1935 के प्रावधानों के अनुसार और 1 अप्रैल, 1937 को इसके प्रभावी होने के साथ, लोक सेवा आयोग संघीय लोक सेवा आयोग बन गया.
26 जनवरी, 1950 को भारत के संविधान के लागू होने के साथ ही संघीय लोक सेवा आयोग को संघ लोक सेवा आयोग के रूप में जाना जाने लगा. इसके साथ ही संघीय लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य संविधान के अनुच्छेद 378 के खंड (1) के आधार पर संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य बन गए.
यूपीएससी के कार्य
भारत के संविधान के अनुच्छेद 320 के तहत, आयोग को, अन्य बातों के साथ-साथ, सिविल सेवाओं और पदों पर भर्ती से संबंधित सभी मामलों पर परामर्श किया जाना आवश्यक है. संविधान के अनुच्छेद 320 के तहत आयोग के कार्यों में संघ की सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षा आयोजित करना, साक्षात्कार के माध्यम से चयन द्वारा सीधी भर्ती, पदोन्नति. प्रतिनियुक्ति या अवशोषण पर अधिकारियों की नियुक्ति, सरकार के तहत विभिन्न सेवाओं और पदों के लिए भर्ती नियमों को तैयार करना और उनमें संशोधन करना, विभिन्न सिविल सेवाओं से संबंधित अनुशासनात्मक मामले और भारत के राष्ट्रपति द्वारा आयोग को भेजे गए किसी भी मामले पर सरकार को सलाह देना शामिल है.
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