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यूपी के ये भी 'मुख्तार', अच्छे खानदानों की बिगड़ी औलादों ने कमाया 'बदनाम' - UPs Mafia Don

20वीं सदी के 8वें और 9वें दशक में यूपी में माफियागिरी ने जोर पकड़ा और एक से बढ़कर एक धाकड़ डॉन उभरकर सामने आए. इनमें से 6 माफिया डॉन ऐसे रहे जो अच्छे खानदान से रहे. आईए जानते हैं ये कैसे अपनी राह भटके, क्यों और कैसे अपराध की दुनिया के सरताज बादशाह बने.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 30, 2024, 4:43 PM IST

Updated : Mar 30, 2024, 6:08 PM IST

हैदराबाद: 'माफिया' शब्द का नाम सुनते ही जेहन में देश के सबसे बढ़े राज्य उत्तर प्रदेश का जिक्र आ जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि, सबसे ज्यादा माफिया यहीं से उभरे. मुंबई में भी इनका ही सिक्का चलता रहा. लेकिन, यूपी में 7 ऐसे माफिया डॉन रहे, जिनके परिवार या खानदान का अपराध की दुनिया से कोई वास्ता नहीं था. फिर भी ये अपराध की दुनिया में कूदे और बदनामी में अपना नाम कमाया. साथ ही अच्छे परिवार की बिगड़ी औलाद होने का ठप्पा लगवाया. आईए जानते हैं इन अच्छे घर की बिगड़ी औलदों का अपराध की दुनिया में प्रवेश क्यों और कैसे हुआ. क्या रही इसके पीछे की Inside Story.

स्वतंत्रता सेनानी का पोता मुख्तार अंसारी कैसे बना डॉन: मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को स्वतंत्रता सेनानी के परिवार में हुआ था. मुख्तार के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी रहने के साथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे.

अहमद अंसारी दिल्ली की जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी रहे. इसके अलावा मुख्तार के नाना उस्मान अंसारी सेना में ब्रिगेडियर रहे. देश के उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार के खानदान से ही आते हैं. इतने प्रभावशाली परिवार में जन्म लेने के बाद भी मुख्तार जो बचपन में अच्छा शूटर था, उसने अपराध की दुनिया में कदम रख लिया.

Mukhtar Ansari
Mukhtar Ansari

दरअसल, अपनी जवानी में उसने ठेकेदारी को करियर बनाया और रेलवे समेत अन्य सरकारी ठेकों पर कब्जा जमाने के लिए उसने गलत रास्ता अपना लिया. मुख्तार की पुलिस डायरी 1988 में तब खुली जब वह 25 साल का था. उस पर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था.

उसके बाद उस पर मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में हत्या, अपहरण, जबरन वसूली के 63 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए. भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में उसे उम्र कैद की सजा हुई थी. अपने अंतिम समय में मुख्तार बांदा जेल में बंद था. वहीं पर 28 मार्च को उसको हार्ट अटैक आया और मौत हो गई.

वकील का बेटा अबु सलेम, कैसे टैक्सी ड्राइवर से बना दाऊद का दाहिना हाथ: अबु सलेम का जन्म यूपी के आजमगढ़ जिले के छोटे से गांव सराय मीर में हुआ था. उसके पिता एक वकील थे. हालांकि उनकी मौत एक सड़क हादसे में तब हुई थी जब अबु सलेम काफी छोटा था.

इसके बाद परिवार चलाने के लिए अबु सलेम ने स्कूटर-बाइक मैकेनिक का काम शुरू किया. स्कूटर-बाइक ठीक करते-करते उसने इंटरमीडिएट किया और फिर दिल्ली चला गया. वहां वह टैक्सी चलाने लगा. 1985 ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में वह दिल्ली से मुंबई चला गया.

Abu Salem
Abu Salem

वहां पर रियर एस्टेट का कारोबार करने लगा. यहीं से उसकी अपराध जगत में एंट्री हुई. पहले वह छोटी-मोटी मारपीट करता रहा. लेकिन, फिर वह अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस के संपर्क में आ गया. उसने डी-कंपनी बनाकर दाऊद के हथियार सप्लाई के काम को शिखर तक पहुंचाया. आजकल उसका ठिकाना मुंबई की आर्थर जेल है. जहां वह 2005 से बंद है.

पिता की हत्या का बदला लेने को ब्रजेश सिंह ने अपराध से हाथ मिलाया: अरुण सिंह उर्फ ब्रजेश सिंह का जन्म यूपी के बनारस के धौरहारा गांव में एक किसान परिवार में हुआ था. पिता रविंद्रनाथ सिंह किसान होने के साथ एक प्रभावशाली नेता भी थे. 27 अगस्त 1984 को रविंद्रनाथ की हत्या कर दी गई थी.

Brijesh Singh
Brijesh Singh

पिता की हत्या का बदला लेने के लिए ब्रजेश सिंह अपराध की दुनिया में कूदा और 27 मई 1985 को उसने अपने पिता के कातिल हरिहर सिंह की हत्या कर दी. इसके बाद अपराध की दुनिया में उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

उस पर हत्या, हत्या के प्रयास जैसे कई मामले दर्ज हुए और उसे 2008 में पुलिस ने ओडीशा से गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद वह राजनीति में कूदा और एमएलसी बना.

अतीक अहमद, कोयला चोरी से माफिया तक का सफर: अतीक अहमद का जन्म 1962 में यूपी के प्रयागराज में हुआ था. एक गरीब परिवार में जन्मे अतीक के पिता तांगा चलाते थे. हाईस्कूल में फेल होने के बाद अतीक ने अपने परिवार की गरीबी को दूर करने के लिए अपराध की दुनिया में कदम रखा.

शुरुआत में उसने ट्रेन से कोयला चोरी करना शुरू किया. फिर रेलवे समेत अन्य सरकारी ठेकों पर अपना कब्जा जमा लिया. 17 साल की उम्र में ही उस पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो गया था. माफियागिरी से उसने अकूत संपत्ति बनाई और गैंगेस्टर से राजनीति में कूद गया.

Atiq Ahmed
Atiq Ahmed

27 साल की उम्र में वह प्रयागराज पश्चिम से विधायक बना. फिर राजनीति और अपराध दोनों साथ लेकर वह चला. उसके खिलाफ 100 से ज्यादा हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, जबरन वसूली के मुकदमे दर्ज हैं. 2023 में वकील उमेश पाल की हत्या के बाद अतीक अहमद को भी मार दिया गया था.

धनंजय सिंह, राजपूत फैमिली का एक सफेदपोश अपराधी: धनंजय सिंह का जन्म कोलकाता की एक राजपूत फैमिली में हुआ था. लेकिन, धनंजय के जन्म के साथ ही उनका परिवार यूपी के जौनपुर में शिफ्ट हो गया. धनंजय ने हाईस्कूल में रहते हुए अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था.

Dhananjay Singh
Dhananjay Singh

उसने अपने टीचर की ही हत्या कर दी थी. इसके साथ ही वह धमकाने, शांति भंग के मामलों में भी पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हो गया. 1991 से 2023 तक उसका सफेदपोश अपराध की दुनिया में सिक्का चला. वह जनता दल (यू) से विधायक और सांसद भी रहा. 2020 के एक अपहरण के मामले में उसे 7 साल की सजा सुनाई गई, जिसके बाद से वह जेल में है.

टीचर का बेटा था श्रीप्रकाश शुक्ला, 5 साल तक अन्य गैंगेस्टर हो गए थे अंडरग्राउंड: अपराध की दुनिया में श्रीप्रकाश शुक्ला ऐसा नाम था, जिससे गैंगेस्टर भी थर्राते थे. उसके पिता एक शिक्षक और पहलवान थे. बताया जाता है कि श्रीप्रकाश अपनी बहन से हुई छेड़छाड़ का बदला लेते हुए अपराध की दुनिया में कूद पड़ा. बहन के साथ छेड़छाड़ करने वाले को श्रीप्रकाश ने भरे बाजार में मौत के घाट उतार दिया था.

Shriprakash Shukla
Shriprakash Shukla

इसके बाद से उसका टेरर शुरू हो गया. 1973 में गोरखपुर में जन्मा श्रीप्रकाश पहला ऐसा डॉन था जिसने हत्या के लिए AK-47 रायफल का प्रयोग करते तहलका मचा दिया था. 5 साल तक जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह बने रहे श्रीप्रकाश का अंत पुलिस की गोली से हुआ. 22 सितंबर 1988 को UP STF ने उसे एनकाउंटर में मार गिराया था.

ये भी पढ़ेंः योगी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर बोले, गरीबों का मसीहा और क्रांतिकारी था मुख्तार अंसारी

ये भी पढ़ेंः सुपुर्दे खाक से पहले मुख्तार की मूंछों पर बेटे उमर ने दिया ताव

हैदराबाद: 'माफिया' शब्द का नाम सुनते ही जेहन में देश के सबसे बढ़े राज्य उत्तर प्रदेश का जिक्र आ जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि, सबसे ज्यादा माफिया यहीं से उभरे. मुंबई में भी इनका ही सिक्का चलता रहा. लेकिन, यूपी में 7 ऐसे माफिया डॉन रहे, जिनके परिवार या खानदान का अपराध की दुनिया से कोई वास्ता नहीं था. फिर भी ये अपराध की दुनिया में कूदे और बदनामी में अपना नाम कमाया. साथ ही अच्छे परिवार की बिगड़ी औलाद होने का ठप्पा लगवाया. आईए जानते हैं इन अच्छे घर की बिगड़ी औलदों का अपराध की दुनिया में प्रवेश क्यों और कैसे हुआ. क्या रही इसके पीछे की Inside Story.

स्वतंत्रता सेनानी का पोता मुख्तार अंसारी कैसे बना डॉन: मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को स्वतंत्रता सेनानी के परिवार में हुआ था. मुख्तार के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी रहने के साथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे.

अहमद अंसारी दिल्ली की जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी रहे. इसके अलावा मुख्तार के नाना उस्मान अंसारी सेना में ब्रिगेडियर रहे. देश के उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार के खानदान से ही आते हैं. इतने प्रभावशाली परिवार में जन्म लेने के बाद भी मुख्तार जो बचपन में अच्छा शूटर था, उसने अपराध की दुनिया में कदम रख लिया.

Mukhtar Ansari
Mukhtar Ansari

दरअसल, अपनी जवानी में उसने ठेकेदारी को करियर बनाया और रेलवे समेत अन्य सरकारी ठेकों पर कब्जा जमाने के लिए उसने गलत रास्ता अपना लिया. मुख्तार की पुलिस डायरी 1988 में तब खुली जब वह 25 साल का था. उस पर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था.

उसके बाद उस पर मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में हत्या, अपहरण, जबरन वसूली के 63 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए. भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में उसे उम्र कैद की सजा हुई थी. अपने अंतिम समय में मुख्तार बांदा जेल में बंद था. वहीं पर 28 मार्च को उसको हार्ट अटैक आया और मौत हो गई.

वकील का बेटा अबु सलेम, कैसे टैक्सी ड्राइवर से बना दाऊद का दाहिना हाथ: अबु सलेम का जन्म यूपी के आजमगढ़ जिले के छोटे से गांव सराय मीर में हुआ था. उसके पिता एक वकील थे. हालांकि उनकी मौत एक सड़क हादसे में तब हुई थी जब अबु सलेम काफी छोटा था.

इसके बाद परिवार चलाने के लिए अबु सलेम ने स्कूटर-बाइक मैकेनिक का काम शुरू किया. स्कूटर-बाइक ठीक करते-करते उसने इंटरमीडिएट किया और फिर दिल्ली चला गया. वहां वह टैक्सी चलाने लगा. 1985 ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में वह दिल्ली से मुंबई चला गया.

Abu Salem
Abu Salem

वहां पर रियर एस्टेट का कारोबार करने लगा. यहीं से उसकी अपराध जगत में एंट्री हुई. पहले वह छोटी-मोटी मारपीट करता रहा. लेकिन, फिर वह अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस के संपर्क में आ गया. उसने डी-कंपनी बनाकर दाऊद के हथियार सप्लाई के काम को शिखर तक पहुंचाया. आजकल उसका ठिकाना मुंबई की आर्थर जेल है. जहां वह 2005 से बंद है.

पिता की हत्या का बदला लेने को ब्रजेश सिंह ने अपराध से हाथ मिलाया: अरुण सिंह उर्फ ब्रजेश सिंह का जन्म यूपी के बनारस के धौरहारा गांव में एक किसान परिवार में हुआ था. पिता रविंद्रनाथ सिंह किसान होने के साथ एक प्रभावशाली नेता भी थे. 27 अगस्त 1984 को रविंद्रनाथ की हत्या कर दी गई थी.

Brijesh Singh
Brijesh Singh

पिता की हत्या का बदला लेने के लिए ब्रजेश सिंह अपराध की दुनिया में कूदा और 27 मई 1985 को उसने अपने पिता के कातिल हरिहर सिंह की हत्या कर दी. इसके बाद अपराध की दुनिया में उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

उस पर हत्या, हत्या के प्रयास जैसे कई मामले दर्ज हुए और उसे 2008 में पुलिस ने ओडीशा से गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद वह राजनीति में कूदा और एमएलसी बना.

अतीक अहमद, कोयला चोरी से माफिया तक का सफर: अतीक अहमद का जन्म 1962 में यूपी के प्रयागराज में हुआ था. एक गरीब परिवार में जन्मे अतीक के पिता तांगा चलाते थे. हाईस्कूल में फेल होने के बाद अतीक ने अपने परिवार की गरीबी को दूर करने के लिए अपराध की दुनिया में कदम रखा.

शुरुआत में उसने ट्रेन से कोयला चोरी करना शुरू किया. फिर रेलवे समेत अन्य सरकारी ठेकों पर अपना कब्जा जमा लिया. 17 साल की उम्र में ही उस पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो गया था. माफियागिरी से उसने अकूत संपत्ति बनाई और गैंगेस्टर से राजनीति में कूद गया.

Atiq Ahmed
Atiq Ahmed

27 साल की उम्र में वह प्रयागराज पश्चिम से विधायक बना. फिर राजनीति और अपराध दोनों साथ लेकर वह चला. उसके खिलाफ 100 से ज्यादा हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, जबरन वसूली के मुकदमे दर्ज हैं. 2023 में वकील उमेश पाल की हत्या के बाद अतीक अहमद को भी मार दिया गया था.

धनंजय सिंह, राजपूत फैमिली का एक सफेदपोश अपराधी: धनंजय सिंह का जन्म कोलकाता की एक राजपूत फैमिली में हुआ था. लेकिन, धनंजय के जन्म के साथ ही उनका परिवार यूपी के जौनपुर में शिफ्ट हो गया. धनंजय ने हाईस्कूल में रहते हुए अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था.

Dhananjay Singh
Dhananjay Singh

उसने अपने टीचर की ही हत्या कर दी थी. इसके साथ ही वह धमकाने, शांति भंग के मामलों में भी पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हो गया. 1991 से 2023 तक उसका सफेदपोश अपराध की दुनिया में सिक्का चला. वह जनता दल (यू) से विधायक और सांसद भी रहा. 2020 के एक अपहरण के मामले में उसे 7 साल की सजा सुनाई गई, जिसके बाद से वह जेल में है.

टीचर का बेटा था श्रीप्रकाश शुक्ला, 5 साल तक अन्य गैंगेस्टर हो गए थे अंडरग्राउंड: अपराध की दुनिया में श्रीप्रकाश शुक्ला ऐसा नाम था, जिससे गैंगेस्टर भी थर्राते थे. उसके पिता एक शिक्षक और पहलवान थे. बताया जाता है कि श्रीप्रकाश अपनी बहन से हुई छेड़छाड़ का बदला लेते हुए अपराध की दुनिया में कूद पड़ा. बहन के साथ छेड़छाड़ करने वाले को श्रीप्रकाश ने भरे बाजार में मौत के घाट उतार दिया था.

Shriprakash Shukla
Shriprakash Shukla

इसके बाद से उसका टेरर शुरू हो गया. 1973 में गोरखपुर में जन्मा श्रीप्रकाश पहला ऐसा डॉन था जिसने हत्या के लिए AK-47 रायफल का प्रयोग करते तहलका मचा दिया था. 5 साल तक जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह बने रहे श्रीप्रकाश का अंत पुलिस की गोली से हुआ. 22 सितंबर 1988 को UP STF ने उसे एनकाउंटर में मार गिराया था.

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Last Updated : Mar 30, 2024, 6:08 PM IST
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