जालना: मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मंगलवार को अपने समुदाय के विधायकों और सांसदों से आग्रह किया कि वे ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण की लड़ाई में एकजुट हों, अन्यथा आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें. पत्रकारों से बात करते हुए जरांगे ने आरक्षण की मांग की वकालत करते हुए 6 से 13 जुलाई तक महाराष्ट्र के हर जिले में शांतिपूर्ण रैलियां आयोजित करने की योजना की रूपरेखा बताई.
उन्होंने कहा कि 'मराठा समुदाय के नेताओं को मराठा आरक्षण के लिए एकजुटता दिखाने के लिए इन रैलियों में शामिल होना चाहिए. उन्हें 'सेज सोयरे' (रक्त संबंधियों) की मसौदा अधिसूचना और पुराने हैदराबाद और सतारा राजपत्रों के कार्यान्वयन की मांग करनी चाहिए, जिन्होंने साबित किया है कि मराठा कुनबी हैं.'
जरांगे उस मसौदा अधिसूचना के क्रियान्वयन की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे रहे हैं, जो कुनबियों को मराठा समुदाय के सदस्यों के ऋषि सोयारे (रक्त संबंधी) के रूप में मान्यता देता है. वह एक ऐसे कानून के लिए भी जोर दे रहे हैं, जो कुनबियों को मराठा के रूप में पहचाने, जिससे उन्हें ओबीसी समूह के तहत कोटा के लिए पात्र बनाया जा सके.
उन्होंने कहा कि 'जो मराठा नेता आरक्षण के मुद्दे का समर्थन करने में विफल रहेंगे, उन्हें आगामी विधानसभा चुनावों में परिणाम भुगतने होंगे.' माना जाता है कि मराठा वोटों के ध्रुवीकरण से हाल के लोकसभा चुनावों में विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को फ़ायदा हुआ, जबकि भाजपा को नुकसान हुआ.
जरांगे ने महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और एनसीपी नेता छगन भुजबल पर मराठा आरक्षण के खिलाफ ओबीसी नेताओं को एकजुट करने का भी आरोप लगाया. आरक्षण कार्यकर्ता ने दावा किया कि उन्हें लालच दिया गया और मराठा आरक्षण आंदोलन छोड़ने के लिए विभिन्न पदों की पेशकश की गई, लेकिन वह पीछे नहीं हटे.
उन्होंने कहा कि 'ऐसा लगता है कि सरकार हमारी मांगों को पूरा करने के लिए उत्सुक नहीं है, इसलिए हमारा संघर्ष लंबा चलेगा.' आरक्षण विरोध के बीच, इस साल की शुरुआत में महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक पारित किया.