पटना : बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले गिरिराज सिंह की भागलपुर से लेकर किशनगंज तक की हिंदू स्वाभिमान यात्रा ने हलचल मचा दी है. इस यात्रा से न केवल महागठबंधन बल्कि जेडीयू खेमे में यात्रा को लेकर स्थिति सहज नहीं है. जदयू के लिए मुश्किल इसलिए बढ़ी हुई है क्योंकि साल 2020 के विधानसभा चुनाव और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में सीमांचल में जदयू के मुस्लिम उम्मीदवार खाता भी नहीं खोल सके.
गिरिराज की स्वाभिमान यात्रा शुरू : आज से गिरिराज की स्वाभिमान यात्रा भागलपुर से शुरू हो गई है. भागलपुर से लेकर किशनगंज तक जदयू पांच लोकसभा सीट में से 4 में इस बार चुनाव लड़ी थी, एक अररिया सीट पर बीजेपी चुनाव लड़ी और जीती है. महागठबंधन के पास पांच में से तीन सीटें है. गिरिराज सिंह बीजेपी के लिए भागलपुर से लेकर सीमांचल तक आधार बनाना चाहते हैं और इसीलिए बिहार में सहयोगी दलों में भी खलबली मची हुई है.
''बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भले ही इसे व्यक्तिगत यात्रा बता रहे हैं, लेकिन यह सब कुछ स्ट्रेटजी के तहत हो रहा है, जिस पर नीतीश कुमार की नजर जरूर है. लेकिन, इससे जदयू बीजेपी के बीच खटास बढ़ेगा इसकी संभावना कम है.''- अरुण पांडेय, राजनीतिक विश्लेषक
गिरिराज की यात्रा से होगा साइड इफेक्ट? : केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह हिंदुत्व को लेकर चर्चा में बने रहते हैं. अब हिंदू स्वाभिमान यात्रा कर रहे हैं. भागलपुर, कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज पांच लोकसभा क्षेत्र में उनकी यात्रा हो रही है. 5 में से बीजेपी केवल अररिया में चुनाव लड़ती है और लगातार जीतती रही है. चार लोकसभा सीट पर जदयू चुनाव लड़ती है. केवल भागलपुर सीट इस बार जीती है. तीन में इस बार जदयू को हार मिली है.
सीमांचल में महागठबंधन मजबूत : कुल मिलाकर देखें तो महागठबंधन सीमांचल में मजबूत है. इसीलिए गिरिराज सिंह बीजेपी का आधार मजबूत करने के लिए हिंदुओं को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं. नीतीश कुमार का जो पहले से स्टैंड रहा है उसके कारण यह कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा-जदयू के बीच गिरिराज सिंह की यात्रा से संबंधों में खटास पड़ सकता है. लेकिन, राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने गिरिराज सिंह की यात्रा को पार्टी से अलग किया है.
''बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष द्वारा दिया गया बयान सहयोगी दलों को खुश करने के लिए दिया गया है. सहयोगी दल गिरिराज सिंह की यात्रा से असहज ना हो जाएं इसलिए यह बयान दिया गया है. गिरिराज सिंह केंद्रीय मंत्री हैं और बिना प्रधानमंत्री और केंद्रीय नेतृत्व की सहमति के इस तरह की यात्रा नहीं निकाल सकते हैं.''- अरुण पांडेय, राजनीतिक विश्लेषक
'नीतीश को याद है अपनी दो बार की गलती' : दूसरी तरफ नीतीश कुमार ने अभी हाल ही में कटिहार में कहा था कि ''दो बार गलती कर चुके हैं अब गलती नहीं करेंगे.'' एक तरह से उनकी तरफ से भी संकेत दिया गया है. इससे साफ लग रहा है कि गिरिराज सिंह की यात्रा स्ट्रैटेजिक के तहत हो रही है. इससे हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण होगा जिससे विधानसभा चुनाव में लाभ मिलेगा. हरियाणा चुनाव के बाद बीजेपी उत्साह में भी है और यह इस तरह से यात्रा की शुरुआत है. बीजेपी के कई नेता इस तरह की यात्रा करेंगे.
गिरिराज सिंह की यात्रा पर आपत्ति : जदयू की तरफ से कुछ नेताओं ने जरूर गिरिराज सिंह को नसीहत देने की कोशिश की है, लेकिन जदयू की तरह से अभी तक पुरजोर तरीके से विरोध नहीं किया गया है. जदयू के एक मात्र मुस्लिम मंत्री जमा खान का कहना है कि सभी को यात्रा निकालने की छूट है लेकिन यात्रा में कोई ऐसी बात नहीं होनी चाहिए जिससे समाज का माहौल खराब हो.
मुस्लिम वोटर जेडीयू से छिटक जाएगा? : पहले ही मुस्लिम वोटर जेडीयू से नाराज हैं. गिरिराज सिंह की यात्रा से मुस्लिम वोटर कहीं और छिटक तो नहीं जाएगा? इस सवाल पर जमा खान ने कहा ''गिरिराज सिंह अपनी यात्रा निकाल रहे हैं, अब क्या करते हैं नहीं करते हैं यह उनकी बात है, लेकिन यात्रा में कोई ऐसी बात नहीं होनी चाहिए जिससे दूसरा वर्ग आहत हो.''
गिरिराज की यात्रा पर ओवैसी की पार्टी की नजर : गिरिराज सिंह की यात्रा पर AIMIM की भी नजर है एम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान का कहना है कि ''एक क्या कई गिरिराज सिंह आ जाएं सीमांचल की गंगा जमुना संस्कृति पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है. लोकसभा चुनाव में अमित शाह भी यात्रा कर चुके हैं, कोई असर नहीं हुआ.'' नीतीश कुमार की चुप्पी पर अख्तरुल इमान ने कहा कि ''जब गिरिराज सिंह के तरफ से कुछ बोला जाएगा तब ना पता चलेगा कि नीतीश कुमार कुछ बोलते हैं या नहीं?''
बीजेपी के लिए सीमांचल क्यों है महत्वपूर्ण : बिहार में मुस्लिम समुदाय की आबादी 17 फीसदी के करीब है. सूबे की कुल 243 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक स्थिति में हैं. इन इलाकों में मुस्लिम आबादी 20 से 40 प्रतिशत या इससे भी अधिक है. बिहार की 11 सीटें हैं जहां 40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं और 7 सीटों पर 30 फीसदी से ज्यादा हैं. इसके अलावा 29 विधानसभा सीटों पर 20 से 30 फीसदी के बीच मुस्लिम मतदाता हैं. सीमांचल के इलाके में मुस्लिम समुदाय की आबादी 40 से 70 फीसदी के करीब है.
क्या कहते हैं आंकड़े? : बिहार के सीमांचल क्षेत्र में 4 लोकसभा सीटें और 24 विधानसभा सीटें आती हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार एनडीए के साथ रहते हुए जेडीयू को दो सीटों पर जीत हासिल की थी और बीजेपी ने एक सीट पर कब्जा जमाया था, जबकि एक सीट कांग्रेस को मिली थी. 2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल की 24 विधानसभा सीटों में से बीजेपी आठ, कांग्रेस पांच और जेडीयू चार सीटें जीती थीं. आरजेडी और भाकपा माले ने एक-एक सीट जीती थी. एआईएमआईएम ने पांच सीटें जीती थीं, जिनमें से चार पिछले साल आरजेडी में शामिल हो गए हैं. ऐसे में आरजेडी के पांच और ओवैसी की पार्टी के एक विधायक सीमांचल में है.
लोकसभा चुनाव में भी फिसली सीट : लोकसभा चुनाव 2024 में 4 में से 2 सीट कांग्रेस ने जीता और एक सीट निर्दलीय रूप में पप्पू यादव ने जीता था, वह भी महागठबंधन का ही हिस्सा हैं. बीजेपी केवल अररिया सीट जीत पाई. यानी की चार में से तीन सीट महाठबंधन खेमे में चला गया. बीजेपी लगातार कोशिश कर रही है कि सीमांचल में उसकी पकड़ मजबूत हो और गिरिराज सिंह की यात्रा उसी को ध्यान में रखकर हो रहा है.
दो चुनाव से जेडीयू खाली हाथ : 2020 विधानसभा चुनाव और 2024 लोक सभा चुनाव में जदयू का एक ही मुस्लिम कैंडिडेट चुनाव नहीं जीत पाया. जदयू खेमे में इसको लेकर नाराजगी भी है. जदयू नेताओं का यह कहना रहा है कि मुसलमानों के लिए नीतीश कुमार ने सबसे ज्यादा काम किया है, लेकिन उसके बावजूद वोट नहीं मिलता है. हालांकि खुलकर यह बात जदयू के नेता नहीं बोलते हैं, लेकिन कसक उन्हें जरूर है.
स्वाभिमान यात्रा पर दलों की नजर : इसके बावजूद नीतीश कुमार नहीं चाहेंगे कि मुस्लिम उनसे नाराज हो जाएं. इसलिए गिरिराज सिंह की यात्रा पर नीतीश कुमार की नजर है. गिरिराज सिंह की यात्रा पर न केवल सहयोगी दल और AIMIM की बल्कि प्रमुख विपक्षी दल राजद और कांग्रेस की भी नजर है. इसलिए खास वर्ग को खुश करने के लिये तेजस्वी यादव लगातार गिरिराज सिंह की यात्रा को लेकर बयान दे रहे हैं.
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