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यूसीसी को लेकर खत्म होगा कन्फ्यूजन, दूर होगी हर शंका, पब्लिक हुई फाइनल रिपोर्ट, यहां पढ़ें - Uttarakhand Uniform Civil Code - UTTARAKHAND UNIFORM CIVIL CODE

Uttarakhand Uniform Civil Code, UCC report made public, UCC Full Final Report यूनिफॉर्म सिविल कोड की रिपोर्ट पब्लिक कर दी गई हैं. इस रिपोर्ट को पढ़कर हर कोई यूसीसी से जुड़ी शंकाओं को दूर कर सकता है. यूसीसी की ये रिपोर्ट हिंदी और इंग्लिश में सार्वजनिक की गई है. यूसीसी रूल्स मेकिंग, इंप्लीमेंटेशन कमेटी के सदस्य शत्रुघ्न सिंह ने इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी.

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यूनिफॉर्म सिविल कोड की रिपोर्ट पब्लिक (ईटीवी भारत ग्राफिक्स)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 12, 2024, 5:17 PM IST

Updated : Jul 12, 2024, 6:30 PM IST

यूनिफॉर्म सिविल कोड की रिपोर्ट पब्लिक (ETV Bharat)

देहरादून: यूनिफॉर्म सिविल कोड की रूल्स मेकिंग कमेटी ने आज यूसीसी रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है. यूसीसी में कुल 392 अनुच्छेद हैं. यूसीसी रिपोर्ट को चार खंडों में तैयार किया गया है. यूसीसी के पोर्टल पर जाकर इस रिपोर्ट को हिंदी और अंग्रेजी में पढ़ा जा सकता है. यूसीसी रूल्स मेकिंग, इंप्लीमेंटेशन कमेटी के तमाम सदस्यों ने इसकी बारीकी और इसके फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया उत्तराखंड में अक्टूबर महीने में यूसीसी लागू हो सकता है.

उत्तराखंड में लागू होने जा रहे यूसीसी को बनाने से पहले कमेटी ने लगभग 12 देशों के यूसीसी का अध्यन किया. इसमें यूरोप और एशिया के कई देश शामिल हैं. जिसमें बांग्लादेश, इंडोनेशिया, जर्मनी, फ्रांस शामिल हैं. सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर उत्तराखंड यूसीसी को तैयार किया गया है. लगभग 250 से अधिक बैठकों, लगभग 227000 लोगों की राय लेने के बाद इसे धरातल पर उतार गया है. यूसीसी रूल्स मेकिंग, इंप्लीमेंटेशन कमेटी के सदस्य शत्रुघ्न सिंह ने बताया समान नागरिक संहिता को महिलाओं के हित के लिए बनाया गया है. इसके नियम कानून पूरी तरीके से महिलाओं को प्रोटेक्ट करते हैं. इसमें प्रयास किया गया है कि 21वीं सदी में होने के बाद भी महिला और पुरुष में किसी तरह का अंतर न हो. शत्रुघ्न सिंह ने कहा खास बात यह है कि मुस्लिम समुदाय की महिलाएं भी इसके पक्ष में है.

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उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड (फोटो सोर्स: ucc website)

शत्रुघ्न सिंह कहते हैं जब यह लागू होगा तब क्या होगा? किस तरह का विरोध होगा? यह तो मैं नहीं कह सकता, यह सब भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है. अगर यह कोर्ट के सामने जाएगा तो क्या होगा मैं अभी नहीं जानता, मैं इतना जानता हूं कि समान नागरिक संहिता से किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है. हमने इसमें ऐसी व्यवस्था की है जो सभी के लिए आसान, हितकारी है. अगर किसी को ऐसा लगता है कि यूसीसी के जरिये किसी विशेष समुदाय को दबाने या डराने की कोशिश की जा रही है तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. हमने उनके बच्चों का भविष्य सोचकर इसमें बहुत सी बातें लागू की हैं.

महिलाओं की शादी का प्रावधान: शत्रुघ्न सिंह कहते हैं अब तक कई जगहों पर यह देखा गया है कि एक उम्र के बाद एक समुदाय में शादी कर दी जाती है, लेकिन, समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद यह तय हो जाएगा की 18 साल से कम उम्र की लड़की की शादी किसी भी कीमत पर नहीं हो पाएगी. लड़के की शादी लगभग 21 साल की उम्र पूरी होने पर ही की जा सकेगी.

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सीमां में पहुंची यूसीसी समिति की टीम (फोटो सोर्स: ucc website)

पैतृक संपत्ति को लेकर क्या विवाद और नहीं बढ़ेंगे: समान नागरिक संहिता में पैतृक संपत्ति को लेकर जिस तरह की बातें की गई हैं उसके बाद यह भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कि परिवार में भाई बहनों में झगड़ा शुरू हो जाए. इसको लेकर शत्रुघ्न सिंह कहते हैं मुझे लगता है कि यह लागू होने के बाद परिवार में झगड़ा नहीं बल्कि प्रेम बढ़ेगा. अभी जो व्यवस्था है उसमें हिंदू समुदाय के अंदर पुराना कानून लगा हुआ है. उसमें सुप्रीम कोर्ट को भी टिप्पणी करनी पड़ी. जिसमें यह कहा गया कि लड़कियों को भी लड़कों के तरह ही अधिकार दिए जाएं. सुप्रीम कोर्ट को ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि अब तक लड़कियों के साथ भेदभाव हो रहा था, लेकिन अब राज्य में लड़कियों को भी वही कानून प्राप्त होगा जो लड़कों को मिलता है. इसी तरह से संपत्ति भी बेटी-बेटे दोनों में बांटी जा सकेगी. खास बात यह है कि मुस्लिम समुदाय ने इस पर किसी तरह की कोई टिप्पणी नहीं की. न ही उन्होंने कोई विरोध जताया है.

हलाला को लेकर ऐसे बदल जाएंगे नियम: शत्रुघ्न सिंह कहते हैं हलाला हमारे देश में या अन्य देशों में एक कुरीति की तरह है. मुझे याद है एक बैठक में इस मामले पर मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ था. बैठक में एक व्यक्ति खड़ा हुआ. उसने हलाला का पूरी तरह से विरोध किया. हलाला जैसी परंपरा किसी भी सभ्य समाज में मुझे लगता है बर्दाश्त नहीं की जा सकती. हमने भी समान नागरिक संहिता में यही व्यवस्था की है. कोई भी महिला अगर तलाक लेती है, दोबारा शादी करनी हो तो ऐसा ना हो कि उसे तीसरे व्यक्ति से पहले शादी करनी पड़े, इसको पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है.

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सीएम धामी के साथ यूसीसी समिति (फोटो सोर्स: ucc website)

लिव इन रिलेशन को लेकर हंगामा: समान नागरिक संहिता से ज्यादा चर्चा अगर लिव इन रिलेशनशिप को लेकर हो रही है. उन्होंने कहा सोशल मीडिया से लेकर तमाम लोगों ने इस पर अपनी राय राखी. शत्रुघ्न सिंह कहते हैं मुझे लगता है कि लोग बिना पढ़े और बिना सोचे समझे इसका विरोध कर रहे हैं. हम किसी पर कोई पहरा नहीं लग रहे हैं. हां इतना जरूर है कि अगर कोई लड़की या लड़का 21 साल का है, वह एक साथ रहना चाहता है तो उसे रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा. 21 साल की उम्र के बाद रहने वाले लड़के और लड़की की जानकारी, रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को उन तक ही सीमित रखा जाएगा. जब बात 18 साल के लड़की या लड़के की आती तो ऐसे हालत में मां-बाप के बिना उनका रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. वे कहते हैं हमने देखा है कि जब कोई दो से तीन रिलेशन में रह रहा है, कई बार इसका फायदा उठाकर अपराधी के कार्य भी किए जाते हैं. हम इन्हीं सबको रोकने के लिए इस पर आगे बढ़ रहे हैं. 18 साल की उम्र इतनी परिपक्व नहीं होती कि अपना अच्छा और बुरा सही तरीके से सोच सकें. उन्होंने कहा यह बिल्कुल गोपनीय रहेगा. पब्लिक डोमेन में इसे पब्लिश या प्रचारित प्रसारित नहीं किया जाएगा.

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यूसीसी समिति (फोटो सोर्स: ucc website)

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता जब लागू होने के बाद अगर किसी की शादी हो रही है तो उसे यह जरूर ध्यान रखना होगा कि वह रजिस्ट्रेशन करवाए. अगर वह ऐसा नहीं करता तो उसे परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. समान नागरिक संहिता में इसके लिए दंड का प्रावधान है. इसके साथ ही अगर शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा तो राशन कार्ड, जमीन खरीद फरोख्त, स्वास्थ या अन्य सरकारी सुविधा संबंधित कोई भी लाभ नहीं मिलेगा.

क्या है यूसीसी का मतलब: यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब धर्म, जाति संप्रदाय के लिए पूरे देश में एक तरह की व्यवस्था का होना है. इसका मतलब यह है कि सभी को एक ही कानून कानून मानना पड़ेगा. जिसमें तीन तलाक, विवाह, बच्चों को गोद लेना, संपत्ति बंटवारा इत्यादि शामिल होंगे.

यूसीसी को लेकर कब क्या हुआ: सीएम बनने के बाद विधानसभा चुनाव 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी लाने ऐलान किया. इसके बाद 27 मई, 2022 को यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए कमेटी बनाई गई. कमेटी में रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यी शामिल थे. इसके बाद कमेटी ने 43 जनसंवाद कार्यक्रम किए. इसमें 2.33 लाख लोगों से सुझाव लिए. 2 फरवरी, 2024 को कमेटी ने सरकार को UCC की रिपोर्ट सौंपी. 7 फरवरी को विधानसभा के पटल यूसीसी पारित किया गया. उसके बाद 11 मार्च को राष्ट्रपति ने भी यूसीसी विधेयक पर स्वीकृति दी. आज 12 जुलाई को यूसीसी रिपोर्ट सार्वजनिक की गई.

ये भी पढ़ें: मुस्लिम देशों में भी लागू है यूनिफॉर्म सिविल कोड, फिर भारत में क्यों हो रहा विरोध

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यूनिफॉर्म सिविल कोड की रिपोर्ट पब्लिक (ETV Bharat)

देहरादून: यूनिफॉर्म सिविल कोड की रूल्स मेकिंग कमेटी ने आज यूसीसी रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है. यूसीसी में कुल 392 अनुच्छेद हैं. यूसीसी रिपोर्ट को चार खंडों में तैयार किया गया है. यूसीसी के पोर्टल पर जाकर इस रिपोर्ट को हिंदी और अंग्रेजी में पढ़ा जा सकता है. यूसीसी रूल्स मेकिंग, इंप्लीमेंटेशन कमेटी के तमाम सदस्यों ने इसकी बारीकी और इसके फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया उत्तराखंड में अक्टूबर महीने में यूसीसी लागू हो सकता है.

उत्तराखंड में लागू होने जा रहे यूसीसी को बनाने से पहले कमेटी ने लगभग 12 देशों के यूसीसी का अध्यन किया. इसमें यूरोप और एशिया के कई देश शामिल हैं. जिसमें बांग्लादेश, इंडोनेशिया, जर्मनी, फ्रांस शामिल हैं. सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर उत्तराखंड यूसीसी को तैयार किया गया है. लगभग 250 से अधिक बैठकों, लगभग 227000 लोगों की राय लेने के बाद इसे धरातल पर उतार गया है. यूसीसी रूल्स मेकिंग, इंप्लीमेंटेशन कमेटी के सदस्य शत्रुघ्न सिंह ने बताया समान नागरिक संहिता को महिलाओं के हित के लिए बनाया गया है. इसके नियम कानून पूरी तरीके से महिलाओं को प्रोटेक्ट करते हैं. इसमें प्रयास किया गया है कि 21वीं सदी में होने के बाद भी महिला और पुरुष में किसी तरह का अंतर न हो. शत्रुघ्न सिंह ने कहा खास बात यह है कि मुस्लिम समुदाय की महिलाएं भी इसके पक्ष में है.

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उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड (फोटो सोर्स: ucc website)

शत्रुघ्न सिंह कहते हैं जब यह लागू होगा तब क्या होगा? किस तरह का विरोध होगा? यह तो मैं नहीं कह सकता, यह सब भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है. अगर यह कोर्ट के सामने जाएगा तो क्या होगा मैं अभी नहीं जानता, मैं इतना जानता हूं कि समान नागरिक संहिता से किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है. हमने इसमें ऐसी व्यवस्था की है जो सभी के लिए आसान, हितकारी है. अगर किसी को ऐसा लगता है कि यूसीसी के जरिये किसी विशेष समुदाय को दबाने या डराने की कोशिश की जा रही है तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. हमने उनके बच्चों का भविष्य सोचकर इसमें बहुत सी बातें लागू की हैं.

महिलाओं की शादी का प्रावधान: शत्रुघ्न सिंह कहते हैं अब तक कई जगहों पर यह देखा गया है कि एक उम्र के बाद एक समुदाय में शादी कर दी जाती है, लेकिन, समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद यह तय हो जाएगा की 18 साल से कम उम्र की लड़की की शादी किसी भी कीमत पर नहीं हो पाएगी. लड़के की शादी लगभग 21 साल की उम्र पूरी होने पर ही की जा सकेगी.

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सीमां में पहुंची यूसीसी समिति की टीम (फोटो सोर्स: ucc website)

पैतृक संपत्ति को लेकर क्या विवाद और नहीं बढ़ेंगे: समान नागरिक संहिता में पैतृक संपत्ति को लेकर जिस तरह की बातें की गई हैं उसके बाद यह भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कि परिवार में भाई बहनों में झगड़ा शुरू हो जाए. इसको लेकर शत्रुघ्न सिंह कहते हैं मुझे लगता है कि यह लागू होने के बाद परिवार में झगड़ा नहीं बल्कि प्रेम बढ़ेगा. अभी जो व्यवस्था है उसमें हिंदू समुदाय के अंदर पुराना कानून लगा हुआ है. उसमें सुप्रीम कोर्ट को भी टिप्पणी करनी पड़ी. जिसमें यह कहा गया कि लड़कियों को भी लड़कों के तरह ही अधिकार दिए जाएं. सुप्रीम कोर्ट को ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि अब तक लड़कियों के साथ भेदभाव हो रहा था, लेकिन अब राज्य में लड़कियों को भी वही कानून प्राप्त होगा जो लड़कों को मिलता है. इसी तरह से संपत्ति भी बेटी-बेटे दोनों में बांटी जा सकेगी. खास बात यह है कि मुस्लिम समुदाय ने इस पर किसी तरह की कोई टिप्पणी नहीं की. न ही उन्होंने कोई विरोध जताया है.

हलाला को लेकर ऐसे बदल जाएंगे नियम: शत्रुघ्न सिंह कहते हैं हलाला हमारे देश में या अन्य देशों में एक कुरीति की तरह है. मुझे याद है एक बैठक में इस मामले पर मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ था. बैठक में एक व्यक्ति खड़ा हुआ. उसने हलाला का पूरी तरह से विरोध किया. हलाला जैसी परंपरा किसी भी सभ्य समाज में मुझे लगता है बर्दाश्त नहीं की जा सकती. हमने भी समान नागरिक संहिता में यही व्यवस्था की है. कोई भी महिला अगर तलाक लेती है, दोबारा शादी करनी हो तो ऐसा ना हो कि उसे तीसरे व्यक्ति से पहले शादी करनी पड़े, इसको पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है.

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सीएम धामी के साथ यूसीसी समिति (फोटो सोर्स: ucc website)

लिव इन रिलेशन को लेकर हंगामा: समान नागरिक संहिता से ज्यादा चर्चा अगर लिव इन रिलेशनशिप को लेकर हो रही है. उन्होंने कहा सोशल मीडिया से लेकर तमाम लोगों ने इस पर अपनी राय राखी. शत्रुघ्न सिंह कहते हैं मुझे लगता है कि लोग बिना पढ़े और बिना सोचे समझे इसका विरोध कर रहे हैं. हम किसी पर कोई पहरा नहीं लग रहे हैं. हां इतना जरूर है कि अगर कोई लड़की या लड़का 21 साल का है, वह एक साथ रहना चाहता है तो उसे रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा. 21 साल की उम्र के बाद रहने वाले लड़के और लड़की की जानकारी, रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को उन तक ही सीमित रखा जाएगा. जब बात 18 साल के लड़की या लड़के की आती तो ऐसे हालत में मां-बाप के बिना उनका रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. वे कहते हैं हमने देखा है कि जब कोई दो से तीन रिलेशन में रह रहा है, कई बार इसका फायदा उठाकर अपराधी के कार्य भी किए जाते हैं. हम इन्हीं सबको रोकने के लिए इस पर आगे बढ़ रहे हैं. 18 साल की उम्र इतनी परिपक्व नहीं होती कि अपना अच्छा और बुरा सही तरीके से सोच सकें. उन्होंने कहा यह बिल्कुल गोपनीय रहेगा. पब्लिक डोमेन में इसे पब्लिश या प्रचारित प्रसारित नहीं किया जाएगा.

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यूसीसी समिति (फोटो सोर्स: ucc website)

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता जब लागू होने के बाद अगर किसी की शादी हो रही है तो उसे यह जरूर ध्यान रखना होगा कि वह रजिस्ट्रेशन करवाए. अगर वह ऐसा नहीं करता तो उसे परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. समान नागरिक संहिता में इसके लिए दंड का प्रावधान है. इसके साथ ही अगर शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा तो राशन कार्ड, जमीन खरीद फरोख्त, स्वास्थ या अन्य सरकारी सुविधा संबंधित कोई भी लाभ नहीं मिलेगा.

क्या है यूसीसी का मतलब: यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब धर्म, जाति संप्रदाय के लिए पूरे देश में एक तरह की व्यवस्था का होना है. इसका मतलब यह है कि सभी को एक ही कानून कानून मानना पड़ेगा. जिसमें तीन तलाक, विवाह, बच्चों को गोद लेना, संपत्ति बंटवारा इत्यादि शामिल होंगे.

यूसीसी को लेकर कब क्या हुआ: सीएम बनने के बाद विधानसभा चुनाव 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी लाने ऐलान किया. इसके बाद 27 मई, 2022 को यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए कमेटी बनाई गई. कमेटी में रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यी शामिल थे. इसके बाद कमेटी ने 43 जनसंवाद कार्यक्रम किए. इसमें 2.33 लाख लोगों से सुझाव लिए. 2 फरवरी, 2024 को कमेटी ने सरकार को UCC की रिपोर्ट सौंपी. 7 फरवरी को विधानसभा के पटल यूसीसी पारित किया गया. उसके बाद 11 मार्च को राष्ट्रपति ने भी यूसीसी विधेयक पर स्वीकृति दी. आज 12 जुलाई को यूसीसी रिपोर्ट सार्वजनिक की गई.

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Last Updated : Jul 12, 2024, 6:30 PM IST
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