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चीतों की भूख मिटाएंगे बांधवगढ़ के चीतल, कूनो आ रहे फेवरेट शिकार

चीतों के शिकार के लिए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से कूनो नेशनल पार्क भेजे जाएंगे चीतल, बनाया गया बेहतरीन प्लान.

CHEETAL SHIFTED KUNO NATIONAL PARK
चीतों की भूख मिटाएंगे बांधवगढ़ के चीतल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 10, 2024, 10:26 AM IST

Updated : Nov 10, 2024, 10:51 AM IST

उमरिया: भारत में जब विदेश से चीतों को लाया गया, तब सबसे बड़ी चिंता यही थी कि चीता जैसे खतरनाक जीव यहां के जंगलों में सरवाइव कैसे करेंगे? अब चीतों पर लगातार बारीकी से नजर रखी जा रही है और अब उन चीतों की चिंता में उनके फेवरेट शिकार की तैयारी की जा रही है. जिससे चीतों को जंगल में उनके फेवरेट शिकार की कमी ना हो. इसके लिए जंगल में चीतल की संख्या बढ़ाई जा रही है, जिसमें बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भी अपना सहयोग दे रहा है.

चीतों की चिंता ऐसे दूर करेगा बांधवगढ़

उमरिया में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व यूं तो बाघों के लिए जाना जाता है. यहां अक्सर ही पर्यटक बाघों के दीदार के लिए ही पहुंचते हैं, लेकिन यहां पर कई ऐसे जीव भी पाए जाते हैं, जिनकी संख्या काफी ज्यादा है. उनमें से चीतल भी एक ऐसा जीव है, जिसकी संख्या बहुतायत में है. अपनी इसी विशेषता की वजह से बांधवगढ़ अब कूनो नेशनल पार्क में पाए जाने वाले चीतों की चिंता दूर करने में अपना अहम योगदान निभा रहा है.

500 चीतल भेजने की तैयारी

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पीके वर्मा ने बताया, ''बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से कूनो नेशनल पार्क में टोटल 500 चीतल भेजने की तैयारी है, जिसमें से 17 का एक ट्रिप सफलता पूर्वक भेज दिया गया है और अभी जल्द ही बाकी चीतल भी भेजे जाएंगे. कुछ इस तरह कूनो नेशनल पार्क में जैव विविधता बनाने में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भी अपना अहम योगदान देगा. कूनो नेशनल पार्क में मांसाहारी जीव तो बहुत ज्यादा हैं, लेकिन शाकाहारी जीवों की कमी है और जैव विविधता बनाने के लिए ये बहुत जरूरी है कि हर प्रकार के जीव उस जंगल में होने चाहिए.''

इस प्रोग्राम के तहत भेजे जा रहे हैं कूनो नेशनल पार्क

पीके वर्मा ने आगे बताया, ''कूनो नेशनल पार्क में चीते तभी जंगल में सरवाइव कर पाएंगे, जब उनके लिए भोजन की भी पर्याप्त व्यवस्था होगी. कूनो नेशनल पार्क में अभी चीतल की संख्या कम है. वहां पर इन जीवों की डेंसिटी बढ़ाने का सरकार का प्लान है. चीतल एक बकरी की तरह का मल्टीपल प्राणी है. वह बकरी की तरह बच्चे देता रहता है और अपनी प्रजाति को तेजी से बढ़ाता है. इसलिए किसी पार्क में 1000 चीतल डाल दें तो वह तेजी से मल्टीपल होने लगते हैं. इसी प्रोग्राम के तहत कूनो नेशनल पार्क में चीतल भेजे जा रहे हैं. बांधवगढ़ से पेंच नेशनल पार्क में भी करीब 2000 चीतल भेजे जाने हैं, जिसमें लगभग डेढ़ हजार भेजे जा चुके हैं.''

चीता का फेवरेट शिकार

चीता एक मांसाहारी जीव है और इन्हें दूसरे देशों से भारत लाकर मध्य प्रदेश के कूनो में बसाया जा रहा है. ऐसे में प्रबंधन यही चाहता है कि चीतों के शिकार की कोई कमी ना हो और जो भी वह भोजन चाहते हैं, उन्हें आसानी से उपलब्ध हो. चीते का फेवरेट शिकार चीतल माना जाता है और इसीलिए कोशिश की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में चीतलों को कूनो नेशनल पार्क में पहुंचाया जाए, जिससे वह खुद ही इतने मल्टीप्ल हो जाएंगे कि फिर वहां चीतल कहीं दूसरी जगहों से नहीं लाना पड़े.

उमरिया: भारत में जब विदेश से चीतों को लाया गया, तब सबसे बड़ी चिंता यही थी कि चीता जैसे खतरनाक जीव यहां के जंगलों में सरवाइव कैसे करेंगे? अब चीतों पर लगातार बारीकी से नजर रखी जा रही है और अब उन चीतों की चिंता में उनके फेवरेट शिकार की तैयारी की जा रही है. जिससे चीतों को जंगल में उनके फेवरेट शिकार की कमी ना हो. इसके लिए जंगल में चीतल की संख्या बढ़ाई जा रही है, जिसमें बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भी अपना सहयोग दे रहा है.

चीतों की चिंता ऐसे दूर करेगा बांधवगढ़

उमरिया में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व यूं तो बाघों के लिए जाना जाता है. यहां अक्सर ही पर्यटक बाघों के दीदार के लिए ही पहुंचते हैं, लेकिन यहां पर कई ऐसे जीव भी पाए जाते हैं, जिनकी संख्या काफी ज्यादा है. उनमें से चीतल भी एक ऐसा जीव है, जिसकी संख्या बहुतायत में है. अपनी इसी विशेषता की वजह से बांधवगढ़ अब कूनो नेशनल पार्क में पाए जाने वाले चीतों की चिंता दूर करने में अपना अहम योगदान निभा रहा है.

500 चीतल भेजने की तैयारी

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पीके वर्मा ने बताया, ''बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से कूनो नेशनल पार्क में टोटल 500 चीतल भेजने की तैयारी है, जिसमें से 17 का एक ट्रिप सफलता पूर्वक भेज दिया गया है और अभी जल्द ही बाकी चीतल भी भेजे जाएंगे. कुछ इस तरह कूनो नेशनल पार्क में जैव विविधता बनाने में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भी अपना अहम योगदान देगा. कूनो नेशनल पार्क में मांसाहारी जीव तो बहुत ज्यादा हैं, लेकिन शाकाहारी जीवों की कमी है और जैव विविधता बनाने के लिए ये बहुत जरूरी है कि हर प्रकार के जीव उस जंगल में होने चाहिए.''

इस प्रोग्राम के तहत भेजे जा रहे हैं कूनो नेशनल पार्क

पीके वर्मा ने आगे बताया, ''कूनो नेशनल पार्क में चीते तभी जंगल में सरवाइव कर पाएंगे, जब उनके लिए भोजन की भी पर्याप्त व्यवस्था होगी. कूनो नेशनल पार्क में अभी चीतल की संख्या कम है. वहां पर इन जीवों की डेंसिटी बढ़ाने का सरकार का प्लान है. चीतल एक बकरी की तरह का मल्टीपल प्राणी है. वह बकरी की तरह बच्चे देता रहता है और अपनी प्रजाति को तेजी से बढ़ाता है. इसलिए किसी पार्क में 1000 चीतल डाल दें तो वह तेजी से मल्टीपल होने लगते हैं. इसी प्रोग्राम के तहत कूनो नेशनल पार्क में चीतल भेजे जा रहे हैं. बांधवगढ़ से पेंच नेशनल पार्क में भी करीब 2000 चीतल भेजे जाने हैं, जिसमें लगभग डेढ़ हजार भेजे जा चुके हैं.''

चीता का फेवरेट शिकार

चीता एक मांसाहारी जीव है और इन्हें दूसरे देशों से भारत लाकर मध्य प्रदेश के कूनो में बसाया जा रहा है. ऐसे में प्रबंधन यही चाहता है कि चीतों के शिकार की कोई कमी ना हो और जो भी वह भोजन चाहते हैं, उन्हें आसानी से उपलब्ध हो. चीते का फेवरेट शिकार चीतल माना जाता है और इसीलिए कोशिश की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में चीतलों को कूनो नेशनल पार्क में पहुंचाया जाए, जिससे वह खुद ही इतने मल्टीप्ल हो जाएंगे कि फिर वहां चीतल कहीं दूसरी जगहों से नहीं लाना पड़े.

Last Updated : Nov 10, 2024, 10:51 AM IST
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