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रामघाट का रहस्यमयी मंदिर जहां होती सिर्फ नागों की पूजा, साल में एक बार आते हैं स्वयं महादेव - Nagchandreshwar Temple ujjain

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है. यह मंदिर साल में सिर्फ 24 घंटे यानी एक दिन के लिए ही खुलता है. इस ऑर्टिकल के माध्यम से जानिए इस मंदिर का इतिहास क्या है और महाकाल लोक कॉरिडोर बनने के बाद यहां क्या-क्या बदला है...

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 24, 2024, 6:14 PM IST

Updated : Jun 24, 2024, 7:10 PM IST

NAGCHANDRESHWAR TEMPLE UJJAIN
नागचंद्रेश्वर मंदिर में नाग शैय्या पर विराजित हैं भोलेनाथ (Etv Bharat)

उज्जैन। वैसे देश में अनेकों मंदिर हैं, जो अपनी अलग-अलग मान्यताओं के लिए न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी विख्यात हैं. उन्हीं में से एक उज्जैन जिले का नागचंद्रेश्वर मंदिर है, जो कि साल में मात्र एक बार श्रावण शुक्ल पंचमी यानि की नागपंचमी के दिन खुलता है. वह भी सिर्फ 24 घंटे के लिए. खास बात ये भी है कि ये मंदिर उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है. यहां महाकाल लोक कॉरिडोर की वजह से भक्तों की भीड़ लगी रहती है. हिंदू धर्म में नागों की पूजा की जाती है. हिंदू परंपरा में नागों को भगवान शिव का आभूषण माना जाता है. श्री महाकाल मंदिर के गर्भगृह के ऊपर ओंकरेश्वर मंदिर और उसके भी शीर्ष पर श्री नागचन्द्रेश्वर का मंदिर मौजूद है.

NAGCHANDRESHWAR TEMPLE UJJAIN
नागचंद्रेश्वर मंदिर में नाग शैय्या पर विराजित हैं भोलेनाथ (ETV Bharat)

दर्शन मात्र से मिलती है सर्प दोष से मुक्ति

ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में जो प्रतिमा स्थापित है वह 11वीं शताब्दी की है. इस अद्भुत प्रतिमा में श्री नागचन्द्रेश्वर स्वयं अपने 7 फनों से शोभायमान हो रहे हैं. उनके साथ में शिव-पार्वती के दोनों गण नंदी और सिंह भी विराजित हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरे देश में यह इकलौता मंदिर है, जहां भगवान शिव पूरे परिवार के साथ नाग की शैय्या पर विराजमान हैं. मान्यताओं के मुताबिक नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने मात्र से हर तरह के सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है.

क्या है नागचंद्रेश्वर मंदिर का इतिहास ?

नागचंद्रेश्वर मंदिर को लगभग 11वीं शताब्दी में परमार राजा भोज ने बनवाया था. इसके बाद इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1732 में महाराज राणोजी सिंधिया ने किया था. कहा जाता है कि मंदिर में विराजित मूर्ति 7वीं शताब्दी में नेपाल से उज्जैन लाई गई थी. यह शिव और देवी पार्वती की अत्यंत दुर्लभ मूर्ति है. इस मूर्ति में भगवान शिव अपने दोनों पुत्रों गणेशजी और कार्तिक के साथ विराजित हैं. मूर्ति में ऊपर की ओर सूर्य और चन्द्रमा भी अंकित है. हर साल नागपंचमी के दिन रात 12 बजे कलेक्टर और महानिर्वाणी अखाड़े के महंत द्वारा पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के द्वार आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं. इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर शिव के दर्शन के लिए महाकालेश्वर मंदिर पहुंचते हैं. महाकाल लोक कॉरिडोर बनने के बाद इस स्थान का और ज्यादा महत्व बढ़ गया है.

mahakal lok corridor UJJAIN
महाकाल लोक कॉरिडोर उज्जैन (ETV Bharat)

साल में एक ही दिन क्यों खुलता है नागचंद्रेश्वर मंदिर ?

इस मंदिर की पूजा-पाठ और तमाम व्यवस्थाएं महानिर्वाणी अखाड़े के संन्यासियों द्वारा की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नाग राज तक्षक ने भगवान शिव को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी. तक्षक की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने नागों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया था. माना जाता है कि तक्षक राजा ने प्रभु के सानिध्य में वास करना शुरू कर दिया, लेकिन भगवान महाकाल के वन में वास करने से पूर्व यही मंशा थी कि उनके एकांत में किसी भी तरह की बाधा ना हो. इसी परंपरा के कारण साल में सिर्फ एक बार इस नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट खोले जाते हैं और शेष समय कपाट बंद रहते हैं.

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यहां 400 सालों से लगता आ रहा है भूतों का मेला, बाबा के सामने आते ही कांपने लगती हैं बलाएं, जानिये रहस्य

महाकाल लोक कॉरिडोर की वजह से क्या-क्या बदला ?

अब आपको बताते हैं कि महाकाल लोक कॉरिडोर बनने के बाद यहां क्या क्या बदला है. उज्जैन के इस कॉरिडोर के बनने के बाद महाकाल मंदिर परिसर 10 गुना बड़ा हो गया है. पहले यह केवल 2 हेक्टेयर में फैला हुआ था, लेकिन अब यह 20 हेक्टेयर में फैल गया है. आपको जानकर हैरानी होगी ये कॉरिडोर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से 4 गुना बड़ा है. इस कॉरिडोर की कई विशेषताएं हैं. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर 5 एकड़ में बना हुआ है. जनवरी 2023 से दिसंबर 2023 तक मध्य प्रदेश में 11 करोड़ 21 लाख पर्यटक पहुंचे थे, जिनमें विदेशी पर्यटकों की संख्या 1 लाख 83 हजार रही. खास बात ये रही इनमें से करीब आधे पर्यटक यानि 5,28,41,802 पर्यटकों ने उज्जैन पहुंचकर बाबा महाकाल के दर्शन किए.

उज्जैन। वैसे देश में अनेकों मंदिर हैं, जो अपनी अलग-अलग मान्यताओं के लिए न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी विख्यात हैं. उन्हीं में से एक उज्जैन जिले का नागचंद्रेश्वर मंदिर है, जो कि साल में मात्र एक बार श्रावण शुक्ल पंचमी यानि की नागपंचमी के दिन खुलता है. वह भी सिर्फ 24 घंटे के लिए. खास बात ये भी है कि ये मंदिर उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है. यहां महाकाल लोक कॉरिडोर की वजह से भक्तों की भीड़ लगी रहती है. हिंदू धर्म में नागों की पूजा की जाती है. हिंदू परंपरा में नागों को भगवान शिव का आभूषण माना जाता है. श्री महाकाल मंदिर के गर्भगृह के ऊपर ओंकरेश्वर मंदिर और उसके भी शीर्ष पर श्री नागचन्द्रेश्वर का मंदिर मौजूद है.

NAGCHANDRESHWAR TEMPLE UJJAIN
नागचंद्रेश्वर मंदिर में नाग शैय्या पर विराजित हैं भोलेनाथ (ETV Bharat)

दर्शन मात्र से मिलती है सर्प दोष से मुक्ति

ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में जो प्रतिमा स्थापित है वह 11वीं शताब्दी की है. इस अद्भुत प्रतिमा में श्री नागचन्द्रेश्वर स्वयं अपने 7 फनों से शोभायमान हो रहे हैं. उनके साथ में शिव-पार्वती के दोनों गण नंदी और सिंह भी विराजित हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरे देश में यह इकलौता मंदिर है, जहां भगवान शिव पूरे परिवार के साथ नाग की शैय्या पर विराजमान हैं. मान्यताओं के मुताबिक नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने मात्र से हर तरह के सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है.

क्या है नागचंद्रेश्वर मंदिर का इतिहास ?

नागचंद्रेश्वर मंदिर को लगभग 11वीं शताब्दी में परमार राजा भोज ने बनवाया था. इसके बाद इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1732 में महाराज राणोजी सिंधिया ने किया था. कहा जाता है कि मंदिर में विराजित मूर्ति 7वीं शताब्दी में नेपाल से उज्जैन लाई गई थी. यह शिव और देवी पार्वती की अत्यंत दुर्लभ मूर्ति है. इस मूर्ति में भगवान शिव अपने दोनों पुत्रों गणेशजी और कार्तिक के साथ विराजित हैं. मूर्ति में ऊपर की ओर सूर्य और चन्द्रमा भी अंकित है. हर साल नागपंचमी के दिन रात 12 बजे कलेक्टर और महानिर्वाणी अखाड़े के महंत द्वारा पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के द्वार आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं. इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर शिव के दर्शन के लिए महाकालेश्वर मंदिर पहुंचते हैं. महाकाल लोक कॉरिडोर बनने के बाद इस स्थान का और ज्यादा महत्व बढ़ गया है.

mahakal lok corridor UJJAIN
महाकाल लोक कॉरिडोर उज्जैन (ETV Bharat)

साल में एक ही दिन क्यों खुलता है नागचंद्रेश्वर मंदिर ?

इस मंदिर की पूजा-पाठ और तमाम व्यवस्थाएं महानिर्वाणी अखाड़े के संन्यासियों द्वारा की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नाग राज तक्षक ने भगवान शिव को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी. तक्षक की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने नागों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया था. माना जाता है कि तक्षक राजा ने प्रभु के सानिध्य में वास करना शुरू कर दिया, लेकिन भगवान महाकाल के वन में वास करने से पूर्व यही मंशा थी कि उनके एकांत में किसी भी तरह की बाधा ना हो. इसी परंपरा के कारण साल में सिर्फ एक बार इस नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट खोले जाते हैं और शेष समय कपाट बंद रहते हैं.

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यहां 400 सालों से लगता आ रहा है भूतों का मेला, बाबा के सामने आते ही कांपने लगती हैं बलाएं, जानिये रहस्य

महाकाल लोक कॉरिडोर की वजह से क्या-क्या बदला ?

अब आपको बताते हैं कि महाकाल लोक कॉरिडोर बनने के बाद यहां क्या क्या बदला है. उज्जैन के इस कॉरिडोर के बनने के बाद महाकाल मंदिर परिसर 10 गुना बड़ा हो गया है. पहले यह केवल 2 हेक्टेयर में फैला हुआ था, लेकिन अब यह 20 हेक्टेयर में फैल गया है. आपको जानकर हैरानी होगी ये कॉरिडोर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से 4 गुना बड़ा है. इस कॉरिडोर की कई विशेषताएं हैं. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर 5 एकड़ में बना हुआ है. जनवरी 2023 से दिसंबर 2023 तक मध्य प्रदेश में 11 करोड़ 21 लाख पर्यटक पहुंचे थे, जिनमें विदेशी पर्यटकों की संख्या 1 लाख 83 हजार रही. खास बात ये रही इनमें से करीब आधे पर्यटक यानि 5,28,41,802 पर्यटकों ने उज्जैन पहुंचकर बाबा महाकाल के दर्शन किए.

Last Updated : Jun 24, 2024, 7:10 PM IST
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