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तेलंगाना: फणिगिरि बौद्ध मंदिर की खुदाई में निकला खजाना, 3 हजार से ज्यादा सिक्कों से भरा घड़ा भी मिला - Treasure unearthed

Treasure unearthed : सूर्यापेट में फणीगिरी के ऐतिहासिक स्थल बौद्ध मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान इक्ष्वाकु काल के सीसे के सिक्कों का एक भंडार मिला है. पढ़ें पूरी खबर...

PHANIGIRI BUDDHIST TEMPLE
फणिगिरि बौद्ध मंदिर की खुदाई में निकला खजाना
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 5, 2024, 1:31 PM IST

नागाराम: तेलंगाना के सूर्यापेट जिले के फणीगिरी में बौद्ध मंदिर में खुदाई के दौरान बड़ी संख्या में प्राचीन सीसे के सिक्के मिले हैं. फणीगिरी गांव सूर्यापेट जिले में स्थित बिक्करू नदी के बाएं किनारे पर स्थित है. फणीगिरी के प्रारंभिक ऐतिहासिक स्थल को पहली बार निजाम के काल में खोजा और संरक्षित किया गया था. इसकी खुदाई 1941 से 1944 तक खाजा महमद अहमद द्वारा की गई थी.

वहीं, एक बार फिर से 29 मार्च को, चल रही खुदाई के दौरान इस जगह से जमीन के स्तर से लगभग 40 सेमी की गहराई पर एक गोलाकार बर्तन मिला. जब उस बर्तन को खोला गया तो उसमें से सीसे के सिक्कों का भंडार मिला. सिक्के की मिलने की खबर पर इतिहास और विरासत विभाग की निदेशक भारती होलिकेरी, सूर्यापेट के अतिरिक्त जिला कलेक्टर बी.एस. और राज्य पुरातत्व विभाग की प्रधान सचिव लता शैलजा रमैया ने गुरुवार को इसका निरीक्षण किया.

जिसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वाईएटीएंडसी की प्रमुख सचिव शैलजा रमैयार और हेरिटेज विभाग तेलंगाना की निदेशक भारती होलिकेरी ने कहा कि बर्तन सीसे के सिक्कों से भरा हुआ था. बर्तन से लगभग 3,730 सिक्के निकाले गए, जिनमें से प्रत्येक का वजन औसतन 2.3 ग्राम था, उन्होंने कहा कि बर्तन का मुंह बाहर की तरफ एक उथले बर्तन से ढका हुआ था और अंदर एक कटोरे का टूटा हुआ आधार था.

उन्होंने कहा कि इस बर्तन को एन सागर, उत्खनन निदेशक, बी मल्लू, सह-उत्खननकर्ता, एस रुशिकेश, साइट पर्यवेक्षक, एस रवितेजा, ट्रेंच सुपरवाइजर, दिव्य, ट्रेंच सुपरवाइजर, सतीश, फोटोग्राफर और अन्य सभी दैनिक श्रमिकों की उपस्थिति में खोजा और खोला गया. उन्होंने बताया कि टीम द्वारा बारीकी से निरीक्षण करने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि सभी सिक्के एक जैसे हैं और सीसे से बने हैं और सिक्कों के आगे के भाग पर हाथी का प्रतीक और पिछे के भाग पर उज्जैन का प्रतीक अंकित है.

उन्होंने कहा कि स्तरित ग्राफिकल और टाइपोलॉजिकल अध्ययन से हम इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि ये सिक्के इक्ष्वाकु काल के थे. राज्य पुरातत्व विभाग की प्रधान सचिव शैलजा रामय्यर ने संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा कि इस बौद्ध मंदिर में खुदाई के दौरान जहां से सिक्के से भरा बर्तन मिला था. स्थान से कई कांच के नमूने, महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले आभूषणों के नमूने और उस समय बच्चों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली गाड़ी का पहिया भी मिला है.

यह पहली बार है कि देश में एक ही जगह से इतने सारे सिक्के मिले हैं. बौद्ध धर्म के इतिहास को उजागर करने में यह एक महान मील का पत्थर साबित होगा. इस उपलब्धि के कारण फणीगिरी गांव विश्व मानचित्र पर आ गया है. राज्य के इतिहास और विरासत विभाग की निदेशक भारती होलिकेरी ने कहा कि निजामों के शासनकाल के दौरान, बुद्ध क्षेत्र में ऐतिहासिक स्मारकों की पहचान की गई और दुनिया भर के कई देशों के पर्यटकों का ध्यान फणीगिरी पर गया.

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वहीं, एक बार फिर से 29 मार्च को, चल रही खुदाई के दौरान इस जगह से जमीन के स्तर से लगभग 40 सेमी की गहराई पर एक गोलाकार बर्तन मिला. जब उस बर्तन को खोला गया तो उसमें से सीसे के सिक्कों का भंडार मिला. सिक्के की मिलने की खबर पर इतिहास और विरासत विभाग की निदेशक भारती होलिकेरी, सूर्यापेट के अतिरिक्त जिला कलेक्टर बी.एस. और राज्य पुरातत्व विभाग की प्रधान सचिव लता शैलजा रमैया ने गुरुवार को इसका निरीक्षण किया.

जिसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वाईएटीएंडसी की प्रमुख सचिव शैलजा रमैयार और हेरिटेज विभाग तेलंगाना की निदेशक भारती होलिकेरी ने कहा कि बर्तन सीसे के सिक्कों से भरा हुआ था. बर्तन से लगभग 3,730 सिक्के निकाले गए, जिनमें से प्रत्येक का वजन औसतन 2.3 ग्राम था, उन्होंने कहा कि बर्तन का मुंह बाहर की तरफ एक उथले बर्तन से ढका हुआ था और अंदर एक कटोरे का टूटा हुआ आधार था.

उन्होंने कहा कि इस बर्तन को एन सागर, उत्खनन निदेशक, बी मल्लू, सह-उत्खननकर्ता, एस रुशिकेश, साइट पर्यवेक्षक, एस रवितेजा, ट्रेंच सुपरवाइजर, दिव्य, ट्रेंच सुपरवाइजर, सतीश, फोटोग्राफर और अन्य सभी दैनिक श्रमिकों की उपस्थिति में खोजा और खोला गया. उन्होंने बताया कि टीम द्वारा बारीकी से निरीक्षण करने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि सभी सिक्के एक जैसे हैं और सीसे से बने हैं और सिक्कों के आगे के भाग पर हाथी का प्रतीक और पिछे के भाग पर उज्जैन का प्रतीक अंकित है.

उन्होंने कहा कि स्तरित ग्राफिकल और टाइपोलॉजिकल अध्ययन से हम इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि ये सिक्के इक्ष्वाकु काल के थे. राज्य पुरातत्व विभाग की प्रधान सचिव शैलजा रामय्यर ने संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा कि इस बौद्ध मंदिर में खुदाई के दौरान जहां से सिक्के से भरा बर्तन मिला था. स्थान से कई कांच के नमूने, महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले आभूषणों के नमूने और उस समय बच्चों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली गाड़ी का पहिया भी मिला है.

यह पहली बार है कि देश में एक ही जगह से इतने सारे सिक्के मिले हैं. बौद्ध धर्म के इतिहास को उजागर करने में यह एक महान मील का पत्थर साबित होगा. इस उपलब्धि के कारण फणीगिरी गांव विश्व मानचित्र पर आ गया है. राज्य के इतिहास और विरासत विभाग की निदेशक भारती होलिकेरी ने कहा कि निजामों के शासनकाल के दौरान, बुद्ध क्षेत्र में ऐतिहासिक स्मारकों की पहचान की गई और दुनिया भर के कई देशों के पर्यटकों का ध्यान फणीगिरी पर गया.

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