चेन्नई: तमिलनाडु सरकार ने 28 मई को विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति की बैठक में नए मुल्लापेरियार बांध के निर्माण पर पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (EIA) अध्ययन के लिए केरल के प्रस्ताव को शामिल करने पर शुक्रवार को कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने सरकार ने मांग की कि इस विषय को एजेंडे से हटा दिया जाए. साथ ही, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मुल्लापेरियार बांध मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के पहले के आदेशों का हितधारकों द्वारा पालन नहीं किए जाने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी.
स्टालिन ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव को संबोधित एक पत्र में कहा, 'मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए मुल्लापेरियार में (मौजूदा बांध को ध्वस्त करने के बाद) एक नए बांध के निर्माण के लिए अध्ययन करने के केरल के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार के विचार पर तमिलनाडु सरकार की कड़ी आपत्ति व्यक्त करना चाहता हूं'. उन्होंने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOIF) के तहत विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) ने अपनी आगामी बैठक के एजेंडे में केरल के सिंचाई डिजाइन और अनुसंधान बोर्ड (IDRB) के प्रस्ताव को शामिल किया है. मौजूदा मुल्लापेरियार बांध के बदले नया जलाशय बनाने का यह प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ है.
विभिन्न विशेषज्ञ समितियों ने बार-बार मौजूदा बांध को सभी पहलुओं में सुरक्षित पाया है और शीर्ष अदालत ने 27 फरवरी, 2006 और 7 मई, 2014 को अपने फैसलों में इस पर प्रकाश डाला था. 2018 में, तमिलनाडु ने मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाया, जब केरल ने एक नए बांध के प्रस्ताव के लिए ईआईए अध्ययन के लिए अनुमोदन प्राप्त करने का प्रयास किया. स्टालिन ने पत्र में कहा कि यह फैसला सुनाया गया कि ऐसे किसी भी कदम के लिए अदालत की अनुमति की आवश्यकता होगी.
उन्होंने कहा कि इसलिए, केरल के आईडीआरबी के साथ-साथ ईएसी के पूर्व अनुरोध पर विचार करने का वर्तमान कार्य सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना होगा. तमिलनाडु की आपत्तियों से जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सचिव, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और ईएसी के सभी सदस्यों को पहले ही अवगत करा दिया है'.
स्टालिन ने पत्र में कहा, 'अगर इस मुद्दे पर विभिन्न हितधारकों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेशों का पालन नहीं किया जाता है, तो हम अवमानना याचिका दायर करने सहित कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का इरादा रखते हैं'. इसलिए, उन्होंने भूपेन्द्र यादव से 28 मई की बैठक में नए मुल्लापेरियार बांध के लिए ईआईए अध्ययन के केरल के प्रस्ताव को एजेंडे से हटाने के लिए एमओईएफ अधिकारियों और ईएसी के सदस्य सचिव को निर्देश देने का आग्रह किया.
मुख्यमंत्री ने आग्रह किया, 'साथ ही केंद्र को भविष्य में केरल से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं लेना चाहिए. स्थिति की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, मैं इस संबंध में आपके तत्काल व्यक्तिगत हस्तक्षेप का अनुरोध करता हूं'. इस बीच, अन्नाद्रमुक महासचिव एडप्पादी के पलानीस्वामी ने राज्य सरकार से शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लंघन करने के लिए पड़ोसी राज्य केरल के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का आह्वान किया.
पलानीस्वामी ने एक बयान में कहा, 'कम से कम अब द्रमुक सरकार को जागना चाहिए और कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए और इस तरह केरल सरकार के दुर्भावनापूर्ण कृत्यों को समाप्त करना चाहिए. इसे तमिलनाडु के अधिकारों को बरकरार रखना चाहिए और मौजूदा बांध के जल स्तर को 152 फीट तक बढ़ाने के अलावा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार मुल्लापेरियार के बेबी (सहायक) बांध को मजबूत करने के लिए कदम उठाना चाहिए'.
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