देहरादून: राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघ के ट्रांसलोकेशन पर फिलहाल ब्रेक लग गया है. वन विभाग आगामी कुछ महीनों में अब इस प्रक्रिया का आगे बढ़ाएगा. दरअसल टाइगर रिजर्व में मौजूद शावकों के कारण विभाग के अधिकारियों ने अपनी रणनीति को बदला है. ऐसे में अब महकमा जनवरी माह के बाद कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से बाघ को राजाजी टाइगर रिजर्व में लाने पर विचार कर रहा है.
राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघ का ट्रांसलोकेशन रुका: राजाजी टाइगर रिजर्व को अपने नए मेहमान के लिए अभी कुछ और इंतजार करना होगा. हालांकि टाइगर रिजर्व में नए मेहमान के स्वागत को लेकर करीब करीब सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. लेकिन वाइल्ड लाइफ से जुड़े विशेषज्ञों की कुछ आशंकाओं के चलते फिलहाल इस प्लान में कुछ संशोधन किया गया है. खास बात यह है कि बाघ के ट्रांसलोकेट कार्यक्रम में संशोधन की वजह राजाजी में मौजूद दो शावक बने हैं. ऐसे में अब बाघ को ट्रांसलोकेट करने का यह प्रोजेक्ट जनवरी महीने के बाद पूरा किए जाने पर विचार किया जा रहा है.
शावकों के कारण रुका बाघ का ट्रांसलोकेशन: राजाजी टाइगर रिजर्व में 5 बाघों को लाने की योजना है. इनमें से चार बाघ पहले ही राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी क्षेत्र में लाए जा चुके हैं. इनमें से एक बाघिन चार शावकों को भी जन्म दे चुकी है. हालांकि इनमें से सिर्फ दो शावक ही फिलहाल जिंदा हैं. दो शावकों का गुलदार शिकार कर चुके हैं. अच्छी बात यह है कि अब वन विभाग पांचवें टाइगर को भी राजाजी टाइगर रिजर्व में लाने का प्रयास कर रहा है. जिसके लिए सभी तैयारी भी पूरी कर ली गई थीं. लेकिन महकमे के अफसरों ने खास कारणों के चलते फिलहाल इस प्रोजेक्ट पर ब्रेक लगाने का फैसला किया.
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शावकों को नुकसान पहुंचा सकता है बाघ: राजाजी टाइगर रिजर्व में चार शावकों को जन्म देने वाली बाघिन के 2 शावक यहां मौजूद गुलदार द्वारा मारे जा चुके हैं. ऐसे में अब दो शावक इस बाघिन के साथ ही घूमते हुए रिकॉर्ड किए गए हैं. वन विभाग के अधिकारियों को आशंका है कि यदि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से बाघ को यहां लाया जाता है, तो इस बाघिन के संपर्क में आने पर इसके शावकों को ये बाघ नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसे में फिलहाल इस प्रोजेक्ट को रोकने का फैसला लिया गया है.
बाघों का ब्रीडिंग सीजन रहता है अहम: बाघों के लिए नवंबर, दिसंबर और जनवरी का महीना ब्रीडिंग सीजन होता है. इस दौरान बाघ और बाघिन के संपर्क में आने पर बाघिन के शावक साथ होने की स्थिति में उन्हें नुकसान पहुंचने की आशंका रहती है. इन्हीं आशंकाओं को समझते हुए वन विभाग फिलहाल किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं करना चाहता. महकमे के अफसर इस प्रोजेक्ट को सफल रूप देने के लिए सभी पहलुओं परखने के बाद ही बाघ को ट्रांसलोकेट करने पर विचार कर रहे हैं.
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वन विभाग का है ये प्लान: वन विभाग का नया प्लान यह है कि बाघिन के इन शावकों को कुछ बड़ा होने दिया जाए. ताकि ये शावक खुद से अपनी बाघिन मां को छोड़कर शिकार करने लगें. ऐसा होने पर ये वयस्क रूप में खुद परिपक्व हो जाएंगे और तब बाघ का इन्हें खतरा नहीं रहेगा.
राजाजी टाइगर रिजर्व में हैं इतने बाघ: राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी हिस्से में टाइगर्स को लाने की योजना लंबे समय से चल रही है. इसके लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) द्वारा 5 बाघों को यहां लाने की अनुमति पहले ही दी जा चुकी है. राजाजी टाइगर रिजर्व का पश्चिमी हिस्सा बाघों की मौजूदगी के लिहाज से बेहद संभावनाओं भरा है. यहां फिलहाल 5 से 6 बाघ ही मौजूद हैं. जबकि राजाजी टाइगर रिजर्व के पूर्वी हिस्से में करीब 50 बाघ मौजूद हैं. इस तरह पश्चिमी हिस्से में भी टाइगर्स की संख्या बढ़ाने के लिए इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जा रहा है.
कॉर्बेट की तरह राजाजी में भी वाइल्ड लाइफ पर्यटन की अपार संभावनाएं: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वाइल्ड लाइफ पर्यटन अपने उच्चतम स्तर पर है. यह वह जगह है, जहां देश भर में वाइल्ड लाइफ टूरिज्म से जुड़े सबसे ज्यादा पर्यटकों की आमद होती है. ऐसे में राजाजी में भी टाइगर्स की संख्या बढ़ाकर इस क्षेत्र को भी वाइल्ड लाइफ पर्यटन के लिहाज से बड़ा केंद्र बनाया जा सकता है. वन महकमा भी कुछ इसी तरह की उम्मीदें राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ने से लगा रहा है.
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