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नए आपराधिक कानून में लापरवाही से मौत के लिए सजा में कोई बदलाव नहीं: केंद्र - New Criminal Law - NEW CRIMINAL LAW

New Criminal Law: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 106 (1) के तहत डॉक्टरों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा वापस लेने की मांग कर रहा है. इस धारा में कहा गया है कि इलाज करते समय किसी डॉक्टर की लापरवाही से हुई मौत के लिए उसे दो साल की सजा हो सकती है.

New Criminal Law
नए आपराधिक कानून (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 9, 2024, 7:12 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र ने मंगलवार को दोहराया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से शुरू किए गए एक महीने के राष्ट्रव्यापी अभियान 'जस्टिस फॉर डॉक्टर्स' के बीच नए आपराधिक कानून के तहत लापरवाही से होने वाली मौत के लिए सजा में कोई बदलाव नहीं किया गया है. डॉक्टरों ने जुलाई-अगस्त में इस अभियान को शुरू किया था. इसके उद्देश्य डॉक्टरों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा और डॉक्टरों पर हिंसा को रोकना है.

जानकारी के मुताबिक इंडियन मेडिकल एसोसिएशन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 106 (1) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगा. इस धारा में कहा गया है कि इलाज करते समय किसी रजिस्टर डॉक्टर की लापरवाही से मरीज की मौत होने पर दो साल की सजा और जुर्माना लगाया जाएगा.

सरकार ने कहा, "यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी भी व्यक्ति ( डॉक्टर्स सहित) की लापरवाही से मौत होने पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 ए के तहत 2 साल तक की कैद या जुर्माना लगता है." सरकार ने बताया कि जब दिसंबर 2023 में आईपीसी को भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) से बदलने के लिए विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था, तो लापरवाही से हुई मौत को बीएनएस, 2023 की धारा 106 (1) के तहत 5 साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान था.

2 साल तक का कारावास
सरकार ने स्पष्ट किया कि उसे मेडिकल प्रैक्टिशनर्स से अभ्यावेदन प्राप्त हुए थे. इसके बाद बीएनएस 2023 की उक्त धारा 106 (1) में संशोधन किया गया था ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि अगर रजिस्टर डॉक्टर इलाज करते समय लापरवाही बरतता है, तो उन्हें 2 साल तक के कारावास और जुर्माने से दंडित किया जाएगा.

आईएमए ने एसोसिएशन के सभी राज्य अध्यक्षों को लिखा पत्र
इससे पहले सोमवार को आईएमए के सभी राज्य अध्यक्षों और सचिवों को भेजे गए पत्र में आईएमए अध्यक्ष आरवी अशोकन और महासचिव अनिल कुमार जे नाइक ने उनसे जुलाई के अंतिम सप्ताह से अगस्त के पहले सप्ताह तक अभियान के लिए कमर कसने का आग्रह किया. यह पत्र आईएमए के सभी स्थानीय शाखा अध्यक्षों और सचिवों को भी भेजा गया.

पत्र में कहा गया है, "आईएमए डॉक्टरों और अस्पतालों में हिंसा पर एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग करता है. इसके अलावा कथित आपराधिक लापरवाही के मामलों में धारा 26 के लागू होने के साथ-साथ चिकित्सा पेशे को आपराधिक अभियोजन से छूट देने की मांग करता है." एसोसिएशन ने कहा, "आईएमए डॉक्टरों को आपराधिक अभियोजन से छूट दिलाने की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है."

IMA ने कहा कि डॉक्टरों की पेशेवर सेवा को आपराधिक अभियोजन से छूट देने का मामला वैध है. डॉक्टरों को आपराधिक अभियोजन के डर के बिना एक सुरक्षित और मिलनसार माहौल प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी है. आपराधिक चिकित्सा लापरवाही के मामलों में नुकसान पहुंचाने के इरादे को घोर लापरवाही से बदल दिया गया है. बीएनएस में घोर लापरवाही को परिभाषित नहीं किया गया है.

यह भी पढ़ें- दूसरों की बीवी से रहें दूर, शादी का झांसा देने से भी बचें, गलती की तो हो जाएगी मुश्किल

नई दिल्ली: केंद्र ने मंगलवार को दोहराया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से शुरू किए गए एक महीने के राष्ट्रव्यापी अभियान 'जस्टिस फॉर डॉक्टर्स' के बीच नए आपराधिक कानून के तहत लापरवाही से होने वाली मौत के लिए सजा में कोई बदलाव नहीं किया गया है. डॉक्टरों ने जुलाई-अगस्त में इस अभियान को शुरू किया था. इसके उद्देश्य डॉक्टरों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा और डॉक्टरों पर हिंसा को रोकना है.

जानकारी के मुताबिक इंडियन मेडिकल एसोसिएशन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 106 (1) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगा. इस धारा में कहा गया है कि इलाज करते समय किसी रजिस्टर डॉक्टर की लापरवाही से मरीज की मौत होने पर दो साल की सजा और जुर्माना लगाया जाएगा.

सरकार ने कहा, "यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी भी व्यक्ति ( डॉक्टर्स सहित) की लापरवाही से मौत होने पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 ए के तहत 2 साल तक की कैद या जुर्माना लगता है." सरकार ने बताया कि जब दिसंबर 2023 में आईपीसी को भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) से बदलने के लिए विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था, तो लापरवाही से हुई मौत को बीएनएस, 2023 की धारा 106 (1) के तहत 5 साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान था.

2 साल तक का कारावास
सरकार ने स्पष्ट किया कि उसे मेडिकल प्रैक्टिशनर्स से अभ्यावेदन प्राप्त हुए थे. इसके बाद बीएनएस 2023 की उक्त धारा 106 (1) में संशोधन किया गया था ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि अगर रजिस्टर डॉक्टर इलाज करते समय लापरवाही बरतता है, तो उन्हें 2 साल तक के कारावास और जुर्माने से दंडित किया जाएगा.

आईएमए ने एसोसिएशन के सभी राज्य अध्यक्षों को लिखा पत्र
इससे पहले सोमवार को आईएमए के सभी राज्य अध्यक्षों और सचिवों को भेजे गए पत्र में आईएमए अध्यक्ष आरवी अशोकन और महासचिव अनिल कुमार जे नाइक ने उनसे जुलाई के अंतिम सप्ताह से अगस्त के पहले सप्ताह तक अभियान के लिए कमर कसने का आग्रह किया. यह पत्र आईएमए के सभी स्थानीय शाखा अध्यक्षों और सचिवों को भी भेजा गया.

पत्र में कहा गया है, "आईएमए डॉक्टरों और अस्पतालों में हिंसा पर एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग करता है. इसके अलावा कथित आपराधिक लापरवाही के मामलों में धारा 26 के लागू होने के साथ-साथ चिकित्सा पेशे को आपराधिक अभियोजन से छूट देने की मांग करता है." एसोसिएशन ने कहा, "आईएमए डॉक्टरों को आपराधिक अभियोजन से छूट दिलाने की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है."

IMA ने कहा कि डॉक्टरों की पेशेवर सेवा को आपराधिक अभियोजन से छूट देने का मामला वैध है. डॉक्टरों को आपराधिक अभियोजन के डर के बिना एक सुरक्षित और मिलनसार माहौल प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी है. आपराधिक चिकित्सा लापरवाही के मामलों में नुकसान पहुंचाने के इरादे को घोर लापरवाही से बदल दिया गया है. बीएनएस में घोर लापरवाही को परिभाषित नहीं किया गया है.

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